गोरखपुरः जनपद में ईद-उल-अजहा का त्योहार भाईचारे के पैगाम के साथ मनाया गया. हजरते इब्राहिम खलीलुल्लाह की याद को ताजा करने के लिए मवेशियों की कुर्बानी पेश करने की रस्म अदा की गई. श्रवण मास का अंतिम सोमवार और ईद-उल-अजहा पर्व को देखते हुए पुलिस और आलाधिकारियों ने समस-समय पर धार्मिक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण किया. इस अवसर पर बैलो मदरसा मकतब के धर्मगुरु मौलाना आस मुहम्मद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
रीति रिवाज के साथ मनाया गया पर्व
- जिले में मुस्लिम समुदाय ने परंपरागत रीति रिवाज के साथ ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया.
- मस्जिदों और ईदगाहों में हर्षोल्लास के साथ नमाज अदा की गई.
- अकीदतमंदों ने गिले शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी.
- सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने कड़े इन्तजाम किए थे.
- इबादतगाहों के इर्दगिर्द पुलिस बल के जवानों को तनात किया गया था.
- पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत जांचते रहे.
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कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परम्परा
धर्मगुरु आस मोहम्मद के मुताबिक, अल्हम्दुलिल्लाह आज पूरे आलम ए इस्लाम में अल्लाह की रजामंदी के लिए तमाम मूहमेनीन व मूहमेनात के जानिब से कुर्बानी पेश कर रहे हैं. कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलिह सलाम की सुन्नत है. अल्लाह ताला ने ख्वाब के जरिए से हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह को कुर्बानी का हुक्म दिया था. हजरते इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने इकलौते चहेते बेटे इस्माइल को रब की रजा के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए.
बेटे से लिया मशविरा
बेटे को लेकर कुर्बानगाह पर हाजिर हुए थे. बेटे से भी मशवरा लिया था. बेटा रब का हुक्म ये है तो तेरी राय क्या है? तब हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम ने जवाब दिया था कि वालिद ए ग्रामी आप हमें रब की रजा के लिए कुर्बान कर दें. इन्साअल्लाहुल्ल रहमान आप हमें साबिर और शाकिर पाएंगे.
पिता ने बेटे के गर्दन पर चला दी छूरी
हजरते इब्राहिम ने अपने बेटे हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम की गर्दन पर छुरी चलाई. अल्लाह तबारक ताला ने उनकी जगह जन्नती मेंढ़ा पेश कर दिया. हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम के जरिए से जन्नती मेंढा कुर्बान हुआ. हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम बगल में बैठकर मुस्कुराने लगे. अल्लाह तबारक ताला ने हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम को वही भेद दिया कि ए इब्राहिम तुमने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया. अल्लाह ने जो हुक्म दिया था उसको पूरा करके दिखाया.
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इब्राहिम के बुढापे में बेटे इस्माइल का हुआ था जन्म
धर्मगुर ने कहा कि हकीकत बात तो यह है कि अल्लाह ताला ने हजरते इब्राहिम को बुढापे में हजरते इस्माइल को अता किए गए थे. हजरते इब्राहिम जब बुढापे के आलम आ गए थे, तब उनके घर इस्माइल पैदा हुए.
औलाद प्यारी या अल्लाह
धर्मगुरु ने बताया कि अल्लाह तबारक ताला इस सुबहे को जाहिर करने के लिए कि हजरते इब्राहिम हमसे ज्यादा मुहब्बत करते हैं कि अपने बेटे से. अल्लाह तबारक ताला ने हुक्म दिया कि ए इब्राहिम तुम अपने बेटे को मेरे बारगाह में कुर्बान कर दो.
कुर्बानी का सिलसिला कयामत तक रहेगा जारी
हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम ने रब की मुहब्बत के लिए उसकी रजा के लिए अपनी अजीजतर सबसे महबूब अपने बेटे इस्माइल को अलहिस्सलाम की कुर्बानी अल्लाह की राह में पेश कर दी. वहीं से बन्दे मोमिन पर कुर्बानी करने का सिलसिला शुरु हुआ और कयामत तक जारी रहेगा. अरबी कैलेंडर के मुताबिक साल के आखिरी महीना जिलहिज्जा की 10-11--12 तारीख को मवेशियों की कुर्बानी पेश की जाती है. इस वर्ष 12-13-14 अगस्त को कुर्बानी की रस्म अदा की गई.
धर्मगुरु ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया
जनपद के बैलों स्थित दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारूल उलूम के धर्मगुरु मौलाना आस मोहम्मद मिस्बाही ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया. धर्मगुरु ने कहा कि ईटीवी भारत ने मौका दिया कि हम अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने रख सकें.