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गोरखपुरः जानिए कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परम्परा - बकरीद

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ईद-उल-अजहा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. वहीं सावन का आखिरी सोमवार और बकरीद के पर्व को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. पुलिस के आला अधिकारियों ने समय-समय पर भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

ईद-उल-अजहा.
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Published : Aug 13, 2019, 9:32 AM IST

गोरखपुरः जनपद में ईद-उल-अजहा का त्योहार भाईचारे के पैगाम के साथ मनाया गया. हजरते इब्राहिम खलीलुल्लाह की याद को ताजा करने के लिए मवेशियों की कुर्बानी पेश करने की रस्म अदा की गई. श्रवण मास का अंतिम सोमवार और ईद-उल-अजहा पर्व को देखते हुए पुलिस और आलाधिकारियों ने समस-समय पर धार्मिक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण किया. इस अवसर पर बैलो मदरसा मकतब के धर्मगुरु मौलाना आस मुहम्मद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

ईद-उल-अजहा के बारे में जानकारी देते मुस्लिम धर्मगुरु.

रीति रिवाज के साथ मनाया गया पर्व

  • जिले में मुस्लिम समुदाय ने परंपरागत रीति रिवाज के साथ ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया.
  • मस्जिदों और ईदगाहों में हर्षोल्लास के साथ नमाज अदा की गई.
  • अकीदतमंदों ने गिले शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी.
  • सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने कड़े इन्तजाम किए थे.
  • इबादतगाहों के इर्दगिर्द पुलिस बल के जवानों को तनात किया गया था.
  • पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत जांचते रहे.

पढ़ें- लखनऊ: मंत्री मोहसिन रजा ने अनाथ बच्चों संग मनाई बकरीद

कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परम्परा
धर्मगुरु आस मोहम्मद के मुताबिक, अल्हम्दुलिल्लाह आज पूरे आलम ए इस्लाम में अल्लाह की रजामंदी के लिए तमाम मूहमेनीन व मूहमेनात के जानिब से कुर्बानी पेश कर रहे हैं. कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलिह सलाम की सुन्नत है. अल्लाह ताला ने ख्वाब के जरिए से हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह को कुर्बानी का हुक्म दिया था. हजरते इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने इकलौते चहेते बेटे इस्माइल को रब की रजा के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए.

बेटे से लिया मशविरा
बेटे को लेकर कुर्बानगाह पर हाजिर हुए थे. बेटे से भी मशवरा लिया था. बेटा रब का हुक्म ये है तो तेरी राय क्या है? तब हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम ने जवाब दिया था कि वालिद ए ग्रामी आप हमें रब की रजा के लिए कुर्बान कर दें. इन्साअल्लाहुल्ल रहमान आप हमें साबिर और शाकिर पाएंगे.

पिता ने बेटे के गर्दन पर चला दी छूरी
हजरते इब्राहिम ने अपने बेटे हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम की गर्दन पर छुरी चलाई. अल्लाह तबारक ताला ने उनकी जगह जन्नती मेंढ़ा पेश कर दिया. हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम के जरिए से जन्नती मेंढा कुर्बान हुआ. हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम बगल में बैठकर मुस्कुराने लगे. अल्लाह तबारक ताला ने हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम को वही भेद दिया कि ए इब्राहिम तुमने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया. अल्लाह ने जो हुक्म दिया था उसको पूरा करके दिखाया.

पढ़ें- प्रदेश भर में अमन-चैन से मनाया गया ईद-उल-अजहा का त्यौहार

इब्राहिम के बुढापे में बेटे इस्माइल का हुआ था जन्म
धर्मगुर ने कहा कि हकीकत बात तो यह है कि अल्लाह ताला ने हजरते इब्राहिम को बुढापे में हजरते इस्माइल को अता किए गए थे. हजरते इब्राहिम जब बुढापे के आलम आ गए थे, तब उनके घर इस्माइल पैदा हुए.

औलाद प्यारी या अल्लाह
धर्मगुरु ने बताया कि अल्लाह तबारक ताला इस सुबहे को जाहिर करने के लिए कि हजरते इब्राहिम हमसे ज्यादा मुहब्बत करते हैं कि अपने बेटे से. अल्लाह तबारक ताला ने हुक्म दिया कि ए इब्राहिम तुम अपने बेटे को मेरे बारगाह में कुर्बान कर दो.

कुर्बानी का सिलसिला कयामत तक रहेगा जारी
हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम ने रब की मुहब्बत के लिए उसकी रजा के लिए अपनी अजीजतर सबसे महबूब अपने बेटे इस्माइल को अलहिस्सलाम की कुर्बानी अल्लाह की राह में पेश कर दी. वहीं से बन्दे मोमिन पर कुर्बानी करने का सिलसिला शुरु हुआ और कयामत तक जारी रहेगा. अरबी कैलेंडर के मुताबिक साल के आखिरी महीना जिलहिज्जा की 10-11--12 तारीख को मवेशियों की कुर्बानी पेश की जाती है. इस वर्ष 12-13-14 अगस्त को कुर्बानी की रस्म अदा की गई.

धर्मगुरु ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया
जनपद के बैलों स्थित दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारूल उलूम के धर्मगुरु मौलाना आस मोहम्मद मिस्बाही ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया. धर्मगुरु ने कहा कि ईटीवी भारत ने मौका दिया कि हम अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने रख सकें.

गोरखपुरः जनपद में ईद-उल-अजहा का त्योहार भाईचारे के पैगाम के साथ मनाया गया. हजरते इब्राहिम खलीलुल्लाह की याद को ताजा करने के लिए मवेशियों की कुर्बानी पेश करने की रस्म अदा की गई. श्रवण मास का अंतिम सोमवार और ईद-उल-अजहा पर्व को देखते हुए पुलिस और आलाधिकारियों ने समस-समय पर धार्मिक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण किया. इस अवसर पर बैलो मदरसा मकतब के धर्मगुरु मौलाना आस मुहम्मद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

ईद-उल-अजहा के बारे में जानकारी देते मुस्लिम धर्मगुरु.

रीति रिवाज के साथ मनाया गया पर्व

  • जिले में मुस्लिम समुदाय ने परंपरागत रीति रिवाज के साथ ईद-उल-अजहा का पर्व मनाया.
  • मस्जिदों और ईदगाहों में हर्षोल्लास के साथ नमाज अदा की गई.
  • अकीदतमंदों ने गिले शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद दी.
  • सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने कड़े इन्तजाम किए थे.
  • इबादतगाहों के इर्दगिर्द पुलिस बल के जवानों को तनात किया गया था.
  • पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत जांचते रहे.

पढ़ें- लखनऊ: मंत्री मोहसिन रजा ने अनाथ बच्चों संग मनाई बकरीद

कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परम्परा
धर्मगुरु आस मोहम्मद के मुताबिक, अल्हम्दुलिल्लाह आज पूरे आलम ए इस्लाम में अल्लाह की रजामंदी के लिए तमाम मूहमेनीन व मूहमेनात के जानिब से कुर्बानी पेश कर रहे हैं. कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलिह सलाम की सुन्नत है. अल्लाह ताला ने ख्वाब के जरिए से हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह को कुर्बानी का हुक्म दिया था. हजरते इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने इकलौते चहेते बेटे इस्माइल को रब की रजा के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए.

बेटे से लिया मशविरा
बेटे को लेकर कुर्बानगाह पर हाजिर हुए थे. बेटे से भी मशवरा लिया था. बेटा रब का हुक्म ये है तो तेरी राय क्या है? तब हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम ने जवाब दिया था कि वालिद ए ग्रामी आप हमें रब की रजा के लिए कुर्बान कर दें. इन्साअल्लाहुल्ल रहमान आप हमें साबिर और शाकिर पाएंगे.

पिता ने बेटे के गर्दन पर चला दी छूरी
हजरते इब्राहिम ने अपने बेटे हजरते इस्माइल अलहिस्सलाम की गर्दन पर छुरी चलाई. अल्लाह तबारक ताला ने उनकी जगह जन्नती मेंढ़ा पेश कर दिया. हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम के जरिए से जन्नती मेंढा कुर्बान हुआ. हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम बगल में बैठकर मुस्कुराने लगे. अल्लाह तबारक ताला ने हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम को वही भेद दिया कि ए इब्राहिम तुमने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया. अल्लाह ने जो हुक्म दिया था उसको पूरा करके दिखाया.

पढ़ें- प्रदेश भर में अमन-चैन से मनाया गया ईद-उल-अजहा का त्यौहार

इब्राहिम के बुढापे में बेटे इस्माइल का हुआ था जन्म
धर्मगुर ने कहा कि हकीकत बात तो यह है कि अल्लाह ताला ने हजरते इब्राहिम को बुढापे में हजरते इस्माइल को अता किए गए थे. हजरते इब्राहिम जब बुढापे के आलम आ गए थे, तब उनके घर इस्माइल पैदा हुए.

औलाद प्यारी या अल्लाह
धर्मगुरु ने बताया कि अल्लाह तबारक ताला इस सुबहे को जाहिर करने के लिए कि हजरते इब्राहिम हमसे ज्यादा मुहब्बत करते हैं कि अपने बेटे से. अल्लाह तबारक ताला ने हुक्म दिया कि ए इब्राहिम तुम अपने बेटे को मेरे बारगाह में कुर्बान कर दो.

कुर्बानी का सिलसिला कयामत तक रहेगा जारी
हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम ने रब की मुहब्बत के लिए उसकी रजा के लिए अपनी अजीजतर सबसे महबूब अपने बेटे इस्माइल को अलहिस्सलाम की कुर्बानी अल्लाह की राह में पेश कर दी. वहीं से बन्दे मोमिन पर कुर्बानी करने का सिलसिला शुरु हुआ और कयामत तक जारी रहेगा. अरबी कैलेंडर के मुताबिक साल के आखिरी महीना जिलहिज्जा की 10-11--12 तारीख को मवेशियों की कुर्बानी पेश की जाती है. इस वर्ष 12-13-14 अगस्त को कुर्बानी की रस्म अदा की गई.

धर्मगुरु ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया
जनपद के बैलों स्थित दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारूल उलूम के धर्मगुरु मौलाना आस मोहम्मद मिस्बाही ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया. धर्मगुरु ने कहा कि ईटीवी भारत ने मौका दिया कि हम अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने रख सकें.

Intro:ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने कुर्बानी का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ इसकी जानकारी देते हुए उन्होंने सभी देशवासियों को ईद ए कुर्बा की मुबारकबाद पेश की और अमनोआमान कायम रखने की अपील की.

पिपराइच गोरखपुरः जनपद में ईद उल अजहा की नमाज अदायगी के बाद अकीदतमंदों ने गिले-शिकवे भूलकर एक दूसरे के गले मिल कर आपसी भाईचारे का पैगाम दिया. इसके बाद हजरते इब्राहिम खलीलुल्लाह की याद को ताजा करने के लिए जायज मवेशियों की कुर्बानी पेश करने की रस्मअदा किया. श्रवण मास का आखिरी सोमवार तथा ईद उल अजहा पर्व को देख कर पुलिस के जवान तथा आलाधिकारियों ने समस समय पर धार्मिक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण करते रहे. इस अवसर पर बैलो मदरसा मकतब के धर्म गुरु मौलाना आस मुहम्मद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. Body:जनपद के हजारों मस्जिदों तथा ईदगाहों में मुस्लिम समुदाय के अकीदत अपने परंपरागत रीति रिवाज के साथ ईद उल अजहा की नमाज हर्षोल्लास के साथ विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न समय पर अदा किए. इस मौके पर अकीदतमंद सबके गिले शिकवे भुलाकर एक दूसरे के गले मिले और ईद उल अजहा की मुबारकबाद पेश किए. इस दौरान इबादत गांवों के इर्द-गिर्द काफी चहल-पहल देखने को मिली. सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने कड़े इन्तजाम किए थे. इबादतगाहों के इर्दगिर्द पुलिस बल के जवानों को तनात किया गया था साही साथ पुलिस के आला अधिकारी समय समय पर भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत जांचते रहे.

धर्म गुरु ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया
जनपद के बैलों स्थित दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारूल उलूम के धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद मिस्बाही ने ईटीवी भारत का धन्यवाद (शुक्रिया) ज्ञापित करते हुए कहा कि ईटीवी भारत ने हमे मौका दिया कि हमारी बात को अपने माध्यम से पूरी दुनिया में फैलाने की कोशिश की. इस मौके पर हम अपने तमाम इस्लामी भाईयों को ईद उल अजहा की मुबारकबादी पेश करते हैं. ईद ए कुर्बा मौके पर कुर्बानी का मुबारकबाद पेश करते है.

कैसे शुरु हुई कुर्बानी की परम्परा
धर्म गुरु आस मोहम्मद के मुताबिक, अल्हम्दुलिल्लाह आज पूरे आलम ए इस्लाम में अल्लाह की रजा मंदी के लिए तमाम मूहमेनीन व मूहमेनात के जानिब से कुर्बानी पेश कर रहे हैं. कुर्बानी हजरत इब्राहिम अलिह सलाम की सुन्नत है. अल्लाह ताला ने ख्वाब के जरिए से हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह को कुर्बानी का हुक्म दिया था. हजरते इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने इकलौते चहिते बेटे इस्माईल को रब की रजा के लिए कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए. बेटे को लेकर कुर्बानगाह पर हाजिर हुए थे. बेटे से भी मशवरा लिया था बेटा रब का हुक्म ये है तो तेरी राय क्या है ? तब हजरते इस्माईल अलहिस्सलाम ने जवाब दिया था कि वालिद ए ग्रामी आप हमें रब की रजा के लिए कुर्बान कर दें. इन्साअल्लाहुल्ल रहमान आप हमें साबिर और शाकिर पाएंगे. Conclusion:बाप ने बेटे के गर्दन पर चला दी छूरी
हजरते इब्राहिम ने अपने बेटे हजरते इस्माईल अलहिस्सलाम को लेटा कर उनके गर्दन पर छूरी चराई. अल्लाह तबारक ताला ने उनकी जगह जन्नती मेंढ़ा पेश कर दिया. हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम के जरिए से जन्नती मेढा कुर्बान हुआ. हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम साइड में बैठ कर मुस्कुराने लगे.अल्लाह तबारक ताला ने हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम को वही भेद दिया कि ए इब्राहिम तुमने अपने ख्वाब को सच्चा कर दिखाया. अल्लाह ने जो हुक्म दिया था उसको पूरा करके दिखाया.

इब्राहिम के बुढापे में बेटे इस्माईल का हुई था जन्म
दर हकीकत बात तो यह है कि अल्लाह ताला ने हजरते इब्राहिम को बुढापे में हजरते इस्माईल को अता किए गए थे. हजरते इब्राहिम जब बुढापे के आलम आ गए थे तब अल्लाह ताला ने उनके घर इस्माईल पैदा हुए. जाहिर सी बात तो यह थी कि बाप अपने बेटे की मोहब्बत में गिरफ्तार होगा.

अवलाद प्यारी की अल्लाह
अल्लाह तबारक ताला इस सुबहे को जाहिर करने के लिए कि हजरते इब्राहिम हमसे ज्यादा मुहब्बत करते है कि अपने बेटे से. अल्लाह तबारक ताला ने हुक्म दिया कि ए इब्राहिम तुम अपने बेटे को मेरे बारगाह में कुर्बान कर दो. हजरते इब्राहिम अलहिस्सलाम ने रब की मुहब्बत के लिए उसकी रजा के लिए अपनी अजीजतर सबसे महबूब अपने बेटे इस्माईल को अलहिस्सलाम की कुर्बानी अल्लाह की राह में पेश कर दी. वहीं से बन्दे मोमिन पर कुर्बानी करने का सिलसिला शुरु हुआ और कयामत तक जारी रहे गा. अरबी अरबी कैलेंडर के मुताबिक साल के आखिरी महीना जिलहिज्जा की 10-11--12 तारीख को मवेशियों की कुर्बानी पेश की जाती है. इस वर्ष 12-13-14 अगस्त को कुर्बानी रस्म अदा की जा रही है.
बाइट- आम मोहम्मद( मुस्लिम धर्म गुरु)
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