गोरखपुर: गंगा और उसकी सहायक नदियों में देखी जाने वाली डॉल्फिन आजकल गोरखपुर से होकर बहने वाली राप्ती नदी में भी दिखाई दे रही हैं. पानी के अंदर इनकी उछल-कूद को आस-पास के गांव वाले भी देख कर आनंदित हो रहे हैं. इसका एक वीडियो वन विभाग के पास मौजूद है. वन विभाग राप्ती नदी में डॉल्फिन की मौजूदगी को एक शुभ संकेत मानता है.
डीएफओ विकास यादव की मानें तो ऐसा लग रहा है कि राप्ती नदी का पानी पहले से ज्यादा स्वच्छ हो गया है, क्योंकि डॉल्फिन अक्सर स्वच्छ पानी में ही रहा करती हैं. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि डॉल्फिन के देखने के बाद नदी किनारे बसे गांव के लोगों को इसकी सुरक्षा और संरक्षण को लेकर जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे इस जलीय जीव को कोई खतरा न हो. उन्हें बताया जा रहा है कि इससे नदी का पानी और शुद्ध होगा.
डीएफओ का कहना है कि डॉल्फिन जलीय जीव है. इसका राप्ती नदी में दिखाई देने का मतलब है कि इसके साथ और भी डॉल्फिन हो सकती है, क्योंकि यह कुनबे में रहने वाली प्रजाति है. इसलिए इसके संरक्षण व निगरानी की विशेष पहल की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर गंगा और उसकी सहायक नदियों में अभियान भी चला रही है. सरकार की नमामि गंगे परियोजना से भी इसकी गणना और संरक्षण में लाभ मिल रहा है. गोरखपुर में भी इस परियोजना के तहत काम चल रहा है. डॉल्फिन के राप्ती नदी में मिलने की सूचना फिलहाल मत्स्य विभाग को भी दी गई है, जिससे वह भी अपनी निगरानी बढ़ाएगा और इस जलीय स्तनधारी जीव को कोई खतरा न हो सके इसका प्रयास करेगा.
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डीएफओ ने कहा कि डॉल्फिन पर्यावरण के लिए हितकारी जीव है. नदी में इसकी मौजूदगी इस बात का संकेत है कि नदियों को स्वच्छ बनाने का सरकार का प्रयास कुछ सफल हो रहा है. उन्होंने कहा कि नदी क्षेत्र के वन बीट कर्मचारियों को इस पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी गई है. राप्ती नदी के जल की स्वच्छता में नगर निगम प्रशासन की भी भूमिका अहम मानी जा रही है. पहले शहर के नालों का गंदा पानी सीधे नदी में गिरता था. अब वह निगम प्रशासन का नीरी (नेशनल इंजीनियरिंग एनवायरमेंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट) के साथ समझौता होने की वजह से शुद्धता के कई बिंदुओं को अपनाने के बाद नदी में गिराया जा रहा है, जिससे नदी का जल स्वच्छ हो रहा है.
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