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कृत्रिम मलद्वार बनाकर डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान

गोरखपुर में एक साल के बच्चे में कृत्रिम मलद्वार बनाकर उसे नया जीवन दिया. डॉक्टर शिव शंकर शाही ने इस कठिन ऑपरेशन को बड़ी सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.

डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान
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Published : Oct 22, 2021, 11:00 PM IST

गोरखपुरः डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. कुछ लोग भले ही इस पेशे को बदनाम कर रहे हैं. लेकिन अभी भी ऐसे डॉक्टर हैं, जो इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं. जिले में शुक्रवार को ऐसी ही एक इंसानियत की मिसाल देखने को मिली, जब एक साल के बच्चे में कृत्रिम मलद्वार बनाकर उसे नया जीवन दिया गया. डॉक्टर शिव शंकर शाही ने इस कठिन ऑपरेशन को बड़ी सफलता पूर्वक अंजाम दिया है.

उन्होंने बताया कि जिस बच्चे का उन्होंने ऑपरेशन किया. उसकी आंतो (इंटेस्टाइन) में चार सुराख हो गए थे. अपेंडिक्स फटने की वजह से काफी आते काली पड़ गई थीं. इससे विषैला पदार्थ, मवाद, मल आदि नाभि के ऊपर से सुराख करके निकल रहा था. मेडिकल की भाषा में इसे इंटारो क्यूटेनियस फिस्तुला कहते हैं. सामान्यत: बड़े लोगों के लिए भी यह बहुत बड़ी बीमारी होती है. ऐसे में एक साल के बच्चे का क्या हाल होगा, आप समझ सकते हैं.

डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान
बच्चे का नाम गोलू और पिता का नाम अशर्फी है, जो महराजगंज जिले के सिंहपुर गांव के रहने वाले हैं. डॉक्टर शाही ने बताया कि बच्चे की जो हालत थी, उसमें दवा से ठीक करने का कोई रास्ता नहीं था. सिर्फ ऑपरेशन ही इसका विकल्प था. ऑपरेशन करके सड़ी हुई क्षतिग्रस्त दो फीट आंत निकाली गई, जो आंत बची थी वह भी काफी क्षतिग्रस्त थी. जिसको बचा पाना मुश्किल है. बच्चे की जान बचाने के लिए पेट के बगल से मलद्वार का रास्ता बनाया गया. यह रास्ता अगले 2 महीने तक काम करेगा. फिर इसकी जांच करके देखी जाएगी की बची हुई आंते ठीक हो गई हैं. काम करने लगी हैं कि नहीं. अगर बची हुई आंत ठीक हो गई होगी, तो कृत्रिम मलद्वार बंद कर दिया जायेगा, और आंतो को प्राकृतिक मलद्वार के रास्ते से जोड़ दिया जाएगा.
डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान
डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान

इसे भी पढ़ें- है नमन उनको...काकोरी कांड के महानायक अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की जयंती पर विशेष

डॉक्टर शाही ने कहा कि रास्ता सही हो जाने से बच्चा अपनी सामान्य जिंदगी जी सकेगा. अमूमन यह बहुत ही खतरनाक रिस्क भरा और जानलेवा बीमारी होती है. लेकिन सफल ऑपरेशन होने की वजह से यह बच्चा आज डिस्चार्ज हो रहा है और कम से कम 2 महीने तक हमारे देखरेख में रहेगा. उन्होंने बताया कि इसको प्रॉपर न्यूट्रिशन से हेल्थ में सुधार किया जा सकेगा. बच्चे के विकास और स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रिशन सप्लीमेंट देना बहुत जरूरी होगा. क्योंकि इस समय बच्चे की केवल आधी आंत काम कर रही हैं.

गोरखपुरः डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. कुछ लोग भले ही इस पेशे को बदनाम कर रहे हैं. लेकिन अभी भी ऐसे डॉक्टर हैं, जो इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं. जिले में शुक्रवार को ऐसी ही एक इंसानियत की मिसाल देखने को मिली, जब एक साल के बच्चे में कृत्रिम मलद्वार बनाकर उसे नया जीवन दिया गया. डॉक्टर शिव शंकर शाही ने इस कठिन ऑपरेशन को बड़ी सफलता पूर्वक अंजाम दिया है.

उन्होंने बताया कि जिस बच्चे का उन्होंने ऑपरेशन किया. उसकी आंतो (इंटेस्टाइन) में चार सुराख हो गए थे. अपेंडिक्स फटने की वजह से काफी आते काली पड़ गई थीं. इससे विषैला पदार्थ, मवाद, मल आदि नाभि के ऊपर से सुराख करके निकल रहा था. मेडिकल की भाषा में इसे इंटारो क्यूटेनियस फिस्तुला कहते हैं. सामान्यत: बड़े लोगों के लिए भी यह बहुत बड़ी बीमारी होती है. ऐसे में एक साल के बच्चे का क्या हाल होगा, आप समझ सकते हैं.

डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान
बच्चे का नाम गोलू और पिता का नाम अशर्फी है, जो महराजगंज जिले के सिंहपुर गांव के रहने वाले हैं. डॉक्टर शाही ने बताया कि बच्चे की जो हालत थी, उसमें दवा से ठीक करने का कोई रास्ता नहीं था. सिर्फ ऑपरेशन ही इसका विकल्प था. ऑपरेशन करके सड़ी हुई क्षतिग्रस्त दो फीट आंत निकाली गई, जो आंत बची थी वह भी काफी क्षतिग्रस्त थी. जिसको बचा पाना मुश्किल है. बच्चे की जान बचाने के लिए पेट के बगल से मलद्वार का रास्ता बनाया गया. यह रास्ता अगले 2 महीने तक काम करेगा. फिर इसकी जांच करके देखी जाएगी की बची हुई आंते ठीक हो गई हैं. काम करने लगी हैं कि नहीं. अगर बची हुई आंत ठीक हो गई होगी, तो कृत्रिम मलद्वार बंद कर दिया जायेगा, और आंतो को प्राकृतिक मलद्वार के रास्ते से जोड़ दिया जाएगा.
डॉक्टर ने बचाई एक साल के बच्चे की जान
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डॉक्टर शाही ने कहा कि रास्ता सही हो जाने से बच्चा अपनी सामान्य जिंदगी जी सकेगा. अमूमन यह बहुत ही खतरनाक रिस्क भरा और जानलेवा बीमारी होती है. लेकिन सफल ऑपरेशन होने की वजह से यह बच्चा आज डिस्चार्ज हो रहा है और कम से कम 2 महीने तक हमारे देखरेख में रहेगा. उन्होंने बताया कि इसको प्रॉपर न्यूट्रिशन से हेल्थ में सुधार किया जा सकेगा. बच्चे के विकास और स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रिशन सप्लीमेंट देना बहुत जरूरी होगा. क्योंकि इस समय बच्चे की केवल आधी आंत काम कर रही हैं.

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