गोरखपुरः नगर निगम क्षेत्र (municipal corporation) के धर्मशाला बाजार में अंग्रेजी हुकूमत में सन 1912 में स्थापित "होप सिम्पसन " (Hope Simpson) बाजार में किरायेदार के रूप में स्थापित दुकानदारों का निगम निगम से किरायेदारी को लेकर विवाद हो गया है. आजादी के बाद से नगर निगम इन दुकानों का किराया लगातार वसूलता आ रहा है. जो मानक के हिसाब से बहुत ही कम है. जिसके बाद जब नगर निगम गोरखपुर ( Nagar Nigam Gorakhpur) ने यहां महीने भर से नोटिस जारी कर यहां के दुकानदारों से बढ़े मूल्य पर ब्याज के साथ किराया वसूलने आया तो दुकानदारों से विवाद हो गया.
अंग्रेजों के जमाने में होप सिम्पसन बाजार (Hope Simpson Market) व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करता था. यहां ट्रेन से आने वाले व्यापारी धर्मशाला में रुकते थे. इसी बाजार में खरीद-फरोख्त किया करते थे. आज भी इस बाजार में अंग्रेजों के जमाने का लगाया गया पत्थर चारों तरफ दिखाई देता है. यहां की दुकान छोटी और बड़ी दोनों तरह की हैं जिसका किराया कौड़ियों के मूल्य का है. इसी कारण महानगर में नगर निगम ने अपनी दुकानों का जो किराया निर्धारित किया था. उसमें समय और खर्च के हिसाब से बढ़ोतरी करने में जुटा है. इस वजह से यहां के दुकानदारों को बढ़े हुए किराए से बड़ी तकलीफ हो रही है.
इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब नगर आयुक्त अविनाश सिंह (Municipal Commissioner Avinash Singh) से बात किया तो उन्होंने कहा कि नगर निगम अपनी आय बढ़ाने और शहर के विकास के लिए आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास में जुटा है. ऐसे में निगम की दुकानों से ही अगर किराया निगम को प्राप्त नहीं होगा तो विकास कार्य बाधित होगा. उन्होंने कहा कि जो भी दुकानदार किराया नहीं दे रहे हैं, उनसे वसूली के लिए टीमें लगा दी गई हैं. नगर निगम क्षेत्र में जगह-जगह कैंप भी लगाया जा रहे हैं. जिसमें कुछ दुकानें सील भी कर दी जा रही हैं. इसके बाद भी अगर दुकानदार मनमानी करेंगे तो उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा.
नगर आयुक्त ने कहा कि किराया वसूलने का नतीजा है कि मई माह में जहां 20 लाख 51 हजार रूपये वसूले गए. वहीं जून और जुलाई माह में यह आंकड़ा 67 से 70 लाख रुपए ही पहुंच चुका है. ये दुकानदार धनराशि दबाकर रखे हुए हैं. नगर आयुक्त ने कहा कि अब कोई भी दुकानदार बिना किराया दिए अपनी दुकानदारी नहीं करेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे दुकानदार सावधान हो जाएं जो अपनी दुकान दूसरों को किराए पर देकर मोटा किराया वसूल रहे हैं. जो भी इसके दायरे में आएंगे उनकी दुकान का अनुबंध पत्र निलंबित करके नए सिरे से बेरोजगारों और जरूरतमंदों का आवंटित किया जाएगा.
इस मामले में दुकानदारों का कहना है कि बरसों पहले उन्होंने अपनी दुकानों को खरीदने के लिए नगर निगम को लाखों रुपए का भुगतान किया था. उनकी दुकान की रजिस्ट्री नहीं हुई. ऐसे में मनमाना किराए की नोटिस भेजना बिल्कुल उचित नहीं है. वहीं दुकानदारों का कहना है कि निगम प्रशासन उनकी एक बात भी नहीं सुन रहा है. मामला कोर्ट में होने के बाद भी नगर निगम अपनी मनमानी पर उतारू है.
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