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डायबिटीज महाकुंभः विशेषज्ञों से जानिए डायबिटीज से बचने के तरीके और इलाज - diabetes treatment

गोरखपुर में तीन दिवसीय डायबिटीज महाकुंभ (Diabetes Mahakumbh in Gorakhpur) का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश-प्रदेश के 300 विशेषज्ञ डॉक्टर पहुंचे हैं, जो डायबिटीज को लेकर मंथन करेंगे. आप भी विशेषज्ञों से जानिए इस बीमारी से कैसे बचें और इलाज.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 23, 2023, 7:54 PM IST

Updated : Dec 24, 2023, 6:27 AM IST

गोरखपुर में डायबिटीज महाकुंभ शुरू.

गोरखपुर: शुगर एक ऐसी बीमारी है जो भारत में हर आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है. चिकित्सकों के सामने इसकी वजह, खान-पान और अनियंत्रित दिनचर्या और अनुवांशिकी तो है ही. फिर भी इस बीमारी पर कैसे नियंत्रण पाया जा सके और दवा, इंजेक्शन का उपयोग कितना कम से कम हो सके, ऐसे तमाम जरूरी उपायों पर मंथन करने के लिए गोरखपुर में शनिवार से देश प्रदेश के 300 विशेषज्ञ डॉक्टर का "डायबिटीज महाकुंभ" शुरू हुआ है. जिसमें अगले तीन दिनों तक मंथन होगा और अपने निर्णय से यह संगठन स्वास्थ्य मंत्रालय को भी अवगत कराएगा. जिससे भविष्य की बेहतर संभावना को लेकर काम किया जा सके.

डायबिटीज टाइप वन के मरीजों के लिए इंसुलिन इंजेक्शन बेहतर इलाज
इस सेमिनार में BHU के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मधुकर राय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि डायबिटीज भी कई प्रकार का होता है. टाइप वन कैटेगरी के डायबिटिक मरीज को अगर 24 से 48 घंटे में इंसुलिन का इंजेक्शन नहीं दिया जाए तो वह कोमा में चला जाएगा. इस कैटेगरी के मरीज का सबसे बेहतर इलाज इंसुलिन का इंजेक्शन ही है. दवाओं की एक लिमिट होती है, जो एक समय के बाद काम करना बंद कर देती है. शुगर मरीज अगर बीमारी और उसके बचाव के बारे में शिक्षित हो जाएगा तो वह अपने आप को बहुत ज्यादा सुरक्षित महसूस करेगा. डॉक्टर के पास भाग दौड़ भी उसकी काम हो जाएगी.

डायबिटीज मल्टी ऑर्गन को करता है प्रभावित
डॉ. राय ने कहा कि शुगर को लेकर बाजार में इतनी दवाई आ रही हैं, फिर भी शुगर बढ़ रहा है. हिंदुस्तान में बच्चों से लेकर युवा, जवान और बूढ़े जिस तरह से इसकी चपेट में आ रहे हैं, वह बहुत ही चिंताजनक है. यह उम्र से पहले ही लोगों के अपनी गिरफ्त में ले रहा है. इसलिए डायबिटीज को प्रीवेंट करने के तरीके को जाना होगा. इसे स्कूली शिक्षा में भी शामिल करना होगा. खेलकूद, योग, व्यायाम, जैसी चीजों को दिनचर्या में शामिल करना होगा. यह तभी खत्म और नियंत्रित होगा. यह एक बीमारी शरीर के मल्टी ऑर्गन को प्रभावित कर जीवन को खतरा उत्पन्न करती है. इसलिए इसको लेकर लोगों को निश्चित रूप से गंभीर होना चाहिए.

दुनिया में 46 करोड़ से अधिक लोग टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित
डॉ मधुकर राय ने कहा कि डायबिटीज काफी तेजी से फैलने वाली बीमारी बनती जा रही है. पूरी दुनिया में 46 करोड़ से ज्यादा लोग टाइप टू डायबिटीज की चपेट में हैं और इसका खतरा बढ़ता जा रहा है. यह चार तरह की होती है. प्री डायबिटीज, टाइप 1, टाइप 2 और गर्भ कालीन डायबिटीज. इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा टाइप वन और टाइप 2 डायबिटीज की होती है. टाइप 1 डायबिटीज ऑटो इम्यून बीमारी है, जो अचानक से शरीर में आ जाती है. अगर माता-पिता में किसी को भी डायबिटीज हो तो इसका खतरा बढ़ सकता है.

डायबिटीज नियंत्रण के लिए शुद्ध खान-पान और सही दिनचर्या अहम
वहीं, दिल्ली से आए सेंट्रल हेल्थ सर्विस से जुड़े जामिया हमदर्द मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉक्टर अनिल कुमार जैन ने कहा कि डायबिटीज को लेकर हर दिन नई रिसर्च सामने आ रहे हैं. कॉम्प्लिकेशन को कम करने के लिए नई तकनीक और दवाओं की मदद ली जा सकती है. लेकिन इसको काम करने में निश्चित रूप से जितना दवा का रोल है, उससे कहीं ज्यादा रोल जीवन पद्धति और शुद्ध खान-पान का अपनाना है. शुगर के इलाज में आयुर्वेद की भूमिका पर डॉ. जैन ने कहा कि कई बार ऐसा देखने को मिला है कि तमाम आयुर्वेदाचार्य इसके इलाज के लिए एलोपैथ पर ही लौटकर आ जाते हैं. लेकिन आयुर्वेद के साथ योग, आसान, प्राणायाम पद्धति को इसके बेहतर उपाय के रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार अगर इजाजत दे तो हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेदिक दावों पर ट्रायल और रिसर्च करके, बेहतर परिणाम दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शुगर के चिकित्सकों को अपने मरीज के मन के अंदर एक धारणा डालनी पड़ेगी कि वह अपने जीवन और कार्य व्यवहार में बदलाव लाकर डायबिटीज पर नियंत्रण और विजय हासिल कर सकते हैं. इससे दवाओं पर निर्भरता कम हो जाएगी.

इसे भी पढ़ें-उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज के मरीज, स्टडी में सामने आई बात

गोरखपुर में डायबिटीज महाकुंभ शुरू.

गोरखपुर: शुगर एक ऐसी बीमारी है जो भारत में हर आयु वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही है. चिकित्सकों के सामने इसकी वजह, खान-पान और अनियंत्रित दिनचर्या और अनुवांशिकी तो है ही. फिर भी इस बीमारी पर कैसे नियंत्रण पाया जा सके और दवा, इंजेक्शन का उपयोग कितना कम से कम हो सके, ऐसे तमाम जरूरी उपायों पर मंथन करने के लिए गोरखपुर में शनिवार से देश प्रदेश के 300 विशेषज्ञ डॉक्टर का "डायबिटीज महाकुंभ" शुरू हुआ है. जिसमें अगले तीन दिनों तक मंथन होगा और अपने निर्णय से यह संगठन स्वास्थ्य मंत्रालय को भी अवगत कराएगा. जिससे भविष्य की बेहतर संभावना को लेकर काम किया जा सके.

डायबिटीज टाइप वन के मरीजों के लिए इंसुलिन इंजेक्शन बेहतर इलाज
इस सेमिनार में BHU के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मधुकर राय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि डायबिटीज भी कई प्रकार का होता है. टाइप वन कैटेगरी के डायबिटिक मरीज को अगर 24 से 48 घंटे में इंसुलिन का इंजेक्शन नहीं दिया जाए तो वह कोमा में चला जाएगा. इस कैटेगरी के मरीज का सबसे बेहतर इलाज इंसुलिन का इंजेक्शन ही है. दवाओं की एक लिमिट होती है, जो एक समय के बाद काम करना बंद कर देती है. शुगर मरीज अगर बीमारी और उसके बचाव के बारे में शिक्षित हो जाएगा तो वह अपने आप को बहुत ज्यादा सुरक्षित महसूस करेगा. डॉक्टर के पास भाग दौड़ भी उसकी काम हो जाएगी.

डायबिटीज मल्टी ऑर्गन को करता है प्रभावित
डॉ. राय ने कहा कि शुगर को लेकर बाजार में इतनी दवाई आ रही हैं, फिर भी शुगर बढ़ रहा है. हिंदुस्तान में बच्चों से लेकर युवा, जवान और बूढ़े जिस तरह से इसकी चपेट में आ रहे हैं, वह बहुत ही चिंताजनक है. यह उम्र से पहले ही लोगों के अपनी गिरफ्त में ले रहा है. इसलिए डायबिटीज को प्रीवेंट करने के तरीके को जाना होगा. इसे स्कूली शिक्षा में भी शामिल करना होगा. खेलकूद, योग, व्यायाम, जैसी चीजों को दिनचर्या में शामिल करना होगा. यह तभी खत्म और नियंत्रित होगा. यह एक बीमारी शरीर के मल्टी ऑर्गन को प्रभावित कर जीवन को खतरा उत्पन्न करती है. इसलिए इसको लेकर लोगों को निश्चित रूप से गंभीर होना चाहिए.

दुनिया में 46 करोड़ से अधिक लोग टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित
डॉ मधुकर राय ने कहा कि डायबिटीज काफी तेजी से फैलने वाली बीमारी बनती जा रही है. पूरी दुनिया में 46 करोड़ से ज्यादा लोग टाइप टू डायबिटीज की चपेट में हैं और इसका खतरा बढ़ता जा रहा है. यह चार तरह की होती है. प्री डायबिटीज, टाइप 1, टाइप 2 और गर्भ कालीन डायबिटीज. इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा टाइप वन और टाइप 2 डायबिटीज की होती है. टाइप 1 डायबिटीज ऑटो इम्यून बीमारी है, जो अचानक से शरीर में आ जाती है. अगर माता-पिता में किसी को भी डायबिटीज हो तो इसका खतरा बढ़ सकता है.

डायबिटीज नियंत्रण के लिए शुद्ध खान-पान और सही दिनचर्या अहम
वहीं, दिल्ली से आए सेंट्रल हेल्थ सर्विस से जुड़े जामिया हमदर्द मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉक्टर अनिल कुमार जैन ने कहा कि डायबिटीज को लेकर हर दिन नई रिसर्च सामने आ रहे हैं. कॉम्प्लिकेशन को कम करने के लिए नई तकनीक और दवाओं की मदद ली जा सकती है. लेकिन इसको काम करने में निश्चित रूप से जितना दवा का रोल है, उससे कहीं ज्यादा रोल जीवन पद्धति और शुद्ध खान-पान का अपनाना है. शुगर के इलाज में आयुर्वेद की भूमिका पर डॉ. जैन ने कहा कि कई बार ऐसा देखने को मिला है कि तमाम आयुर्वेदाचार्य इसके इलाज के लिए एलोपैथ पर ही लौटकर आ जाते हैं. लेकिन आयुर्वेद के साथ योग, आसान, प्राणायाम पद्धति को इसके बेहतर उपाय के रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार अगर इजाजत दे तो हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेदिक दावों पर ट्रायल और रिसर्च करके, बेहतर परिणाम दे पाएंगे. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शुगर के चिकित्सकों को अपने मरीज के मन के अंदर एक धारणा डालनी पड़ेगी कि वह अपने जीवन और कार्य व्यवहार में बदलाव लाकर डायबिटीज पर नियंत्रण और विजय हासिल कर सकते हैं. इससे दवाओं पर निर्भरता कम हो जाएगी.

इसे भी पढ़ें-उत्तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे डायबिटीज के मरीज, स्टडी में सामने आई बात

Last Updated : Dec 24, 2023, 6:27 AM IST
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