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गोरखपुर: गंगा दशहरा के मौके पर राप्ती नदी के तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - occasion-of-ganga-dussehra

गंगा दशहरा के पावन मौके पर गोरखपुर के राप्ती नदी के तट पर श्रद्धालुओं ने सरयू माता की आरती उतारी. श्रद्धालुओं ने कोरोना महामारी से देश और दुनिया को बचाने के लिए भी प्रार्थना की. इस दौरान भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिंग का भी खासा ध्यान रखा.

devotees gathered at rapti river
गंगा दशहरा के मौके पर राप्ती तट पर श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Jun 2, 2020, 12:15 PM IST

गोरखपुर: गंगा दशहरा के पावन मौके पर राप्ती नदी के तट पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सरयू माता की आरती उतारी और कोरोना महामारी से देश और दुनिया को बचाने के लिए मां गंगा से विनती की.

पिछले कई वर्षों से गंगा दशहरा के अवसर पर राप्ती नदी के तट पर भव्य आयोजन किया जाता रहा है. इस बार कोरोना वायरस की वजह से कार्यक्रम नहीं मनाया जा सका. इसके बाद भी लोगों की बड़ी संख्या देखने को मिली. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया. वहीं महिलाओं ने मां गंगा को खुश करने के लिए गीत भी गाया.

मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में मां गंगा का स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. इस वर्ष यह पहली जून की तिथि पड़ी है. इस दिन गंगा नदी में स्नान, दान और उपवास का विशेष महत्व है. ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को पड़ने वाली गंगा दशहरा 10 प्रकार के पापों का हरण करती है.

कथा में यह भी कहा गया है कि अगर ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि बुधवार को पड़े और व्यतिपात योग हो तो आनंद नामक महायोग बनेगा, जो महा फलदायक होगा. ऐसी मान्यताओं के आधार पर ही और मां गंगा की अविरलता से प्रभावित लोग गंगा दशहरा पर नदियों के किनारे आरती, पूजन और हवन पाठ करते हैं.

गोरखपुर: गंगा दशहरा के पावन मौके पर राप्ती नदी के तट पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सरयू माता की आरती उतारी और कोरोना महामारी से देश और दुनिया को बचाने के लिए मां गंगा से विनती की.

पिछले कई वर्षों से गंगा दशहरा के अवसर पर राप्ती नदी के तट पर भव्य आयोजन किया जाता रहा है. इस बार कोरोना वायरस की वजह से कार्यक्रम नहीं मनाया जा सका. इसके बाद भी लोगों की बड़ी संख्या देखने को मिली. इस दौरान श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया. वहीं महिलाओं ने मां गंगा को खुश करने के लिए गीत भी गाया.

मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में मां गंगा का स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. इस वर्ष यह पहली जून की तिथि पड़ी है. इस दिन गंगा नदी में स्नान, दान और उपवास का विशेष महत्व है. ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को पड़ने वाली गंगा दशहरा 10 प्रकार के पापों का हरण करती है.

कथा में यह भी कहा गया है कि अगर ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि बुधवार को पड़े और व्यतिपात योग हो तो आनंद नामक महायोग बनेगा, जो महा फलदायक होगा. ऐसी मान्यताओं के आधार पर ही और मां गंगा की अविरलता से प्रभावित लोग गंगा दशहरा पर नदियों के किनारे आरती, पूजन और हवन पाठ करते हैं.

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