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रंगभरी एकादशी : बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में उड़े अबीर, गुलाल - रंगभरी एकादशी

गोरखपुरवासियों में होली का रंग सिर चढ़कर बोल रहा है. यहां बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में बुधवार को रंगभरी एकादशी के साथ ही होली के पर्व की शुरुआत हुई. भक्तों ने पहले भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और फिर होली के गीतों पर खूब झूमे.

गीतों पर झूमे श्रद्धालु.
गीतों पर झूमे श्रद्धालु.
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Published : Mar 25, 2021, 10:07 AM IST

गोरखपुर: रंगभरी एकादशी के दिन मंदिरों में फूलों के साथ अबीर गुलाल भी उड़े. भक्तगण ठंडाई के रंग में रंगकर खूब झूमे और होली के त्योहार की एक दूसरे को बधाई दी. बुधवार को रंगभरी एकादशी से होली के पावन पर्व की शुरुआत हो गई. बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के साथ होली खेलने की परंपरा का निर्वहन किया, इसके बाद होली खेली.

रंगभरी एकादशी पर लोगों ने खेली होली.

एक-दूसरे को दी होली की बधाई
गोरखपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति पर भक्तजनों ने अबीर, गुलाल, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाकर आशीर्वाद लिया. पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ करने के बाद श्रद्धालु होली के गीतों पर खूब झूमे. रंगभरी एकादशी के पर्व से ही होली की शुरुआत हुई. वहीं भक्तों ने ठंडाई का भी खूब लुफ्त उठाया.

रंगभरी एकादशी का पौराणिक महत्व
रंगभरी एकादशी का पर्व फागुन शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. इसकी भी एक पौराणकि मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान शिव जब कैलाश पर्वत पर विश्राम कर रहे थे. उस समय एक पक्षी ने अपने मुख से गुलाब की पंखुड़ी और गुलाबी रंग भगवान शिव के मस्तक पर गिरा दिया. भगवान शिव उस पक्षी से बहुत प्रसन्न हुए. जब मां भगवती पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि हे प्रभु! आपके दरबार में बहुत श्रद्धालु आते हैं और पूजन सामग्री चढ़ाते हैं, लेकिन आप एक पक्षी से इतना प्रसन्न कैसे हो गए. भगवान भोले ने कहा कि इस फागुन के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन किसी ने मेरा श्रृंगार नहीं किया, लेकिन एक पक्षी ने मेरा श्रृंगार करके मनोवांछित फल प्राप्त कर लिया.

इसे भी पढ़ें : चौरी चौरा में निकाली गई खाटू श्याम की भव्य शोभायात्रा

गीतों पर झूमे श्रद्धालु
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य शत्रुंजय शुक्ला ने बताया कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं सभी पापों से मुक्त होकर मनुष्य को अमरता प्राप्त होती है. जिसका वर्णन विभिन्न शास्त्रों में भी है. पिछले कई वर्षों से यह पर्व प्राचीन सिद्ध पीठ बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. रंगभरी एकादशी की तैयारी को लेकर भक्तजन काफी उत्साहित रहते हैं. भक्तों को प्रसाद के रूप में ठंडाई दी जाती है. भक्त होली के गीतों पर खूब झूमते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं.

दूर-दराज से आते हैं भक्तगण
वर्षों से रंगभरी एकादशी में शिरकत करने वाली नगर की पूर्व महापौर डॉ. सत्या पांडे ने बताया कि भगवान भोले के साथ होली खेलकर इस पर्व की शुरुआत होती है. यहां भक्तगण आपस में एक दूसरे को अबीर गुलाल और फूल लगाकर होली की बधाई देते हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि आज के दिन महिला-पुरुष सहित सभी भक्तगण बाबा के साथ होली खेलते हैं. इसके बाद भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. हर वर्ष एकादशी के दिन बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दराज से आते हैं. लोग एक दूसरे को होली पर्व की बधाई देने के साथ ही बाबा मुक्तेश्वर नाथ का पूरे विधि विधान के साथ श्रृंगार कर आशीर्वाद लेते हैं.

गोरखपुर: रंगभरी एकादशी के दिन मंदिरों में फूलों के साथ अबीर गुलाल भी उड़े. भक्तगण ठंडाई के रंग में रंगकर खूब झूमे और होली के त्योहार की एक दूसरे को बधाई दी. बुधवार को रंगभरी एकादशी से होली के पावन पर्व की शुरुआत हो गई. बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के साथ होली खेलने की परंपरा का निर्वहन किया, इसके बाद होली खेली.

रंगभरी एकादशी पर लोगों ने खेली होली.

एक-दूसरे को दी होली की बधाई
गोरखपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति पर भक्तजनों ने अबीर, गुलाल, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाकर आशीर्वाद लिया. पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ करने के बाद श्रद्धालु होली के गीतों पर खूब झूमे. रंगभरी एकादशी के पर्व से ही होली की शुरुआत हुई. वहीं भक्तों ने ठंडाई का भी खूब लुफ्त उठाया.

रंगभरी एकादशी का पौराणिक महत्व
रंगभरी एकादशी का पर्व फागुन शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. इसकी भी एक पौराणकि मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान शिव जब कैलाश पर्वत पर विश्राम कर रहे थे. उस समय एक पक्षी ने अपने मुख से गुलाब की पंखुड़ी और गुलाबी रंग भगवान शिव के मस्तक पर गिरा दिया. भगवान शिव उस पक्षी से बहुत प्रसन्न हुए. जब मां भगवती पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि हे प्रभु! आपके दरबार में बहुत श्रद्धालु आते हैं और पूजन सामग्री चढ़ाते हैं, लेकिन आप एक पक्षी से इतना प्रसन्न कैसे हो गए. भगवान भोले ने कहा कि इस फागुन के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन किसी ने मेरा श्रृंगार नहीं किया, लेकिन एक पक्षी ने मेरा श्रृंगार करके मनोवांछित फल प्राप्त कर लिया.

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गीतों पर झूमे श्रद्धालु
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य शत्रुंजय शुक्ला ने बताया कि इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं सभी पापों से मुक्त होकर मनुष्य को अमरता प्राप्त होती है. जिसका वर्णन विभिन्न शास्त्रों में भी है. पिछले कई वर्षों से यह पर्व प्राचीन सिद्ध पीठ बाबा मुक्तेश्वरनाथ मंदिर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. रंगभरी एकादशी की तैयारी को लेकर भक्तजन काफी उत्साहित रहते हैं. भक्तों को प्रसाद के रूप में ठंडाई दी जाती है. भक्त होली के गीतों पर खूब झूमते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं.

दूर-दराज से आते हैं भक्तगण
वर्षों से रंगभरी एकादशी में शिरकत करने वाली नगर की पूर्व महापौर डॉ. सत्या पांडे ने बताया कि भगवान भोले के साथ होली खेलकर इस पर्व की शुरुआत होती है. यहां भक्तगण आपस में एक दूसरे को अबीर गुलाल और फूल लगाकर होली की बधाई देते हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि आज के दिन महिला-पुरुष सहित सभी भक्तगण बाबा के साथ होली खेलते हैं. इसके बाद भंडारे का आयोजन भी किया जाता है. हर वर्ष एकादशी के दिन बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग दूर-दराज से आते हैं. लोग एक दूसरे को होली पर्व की बधाई देने के साथ ही बाबा मुक्तेश्वर नाथ का पूरे विधि विधान के साथ श्रृंगार कर आशीर्वाद लेते हैं.

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