गोरखपुर: मानसून आने से पहले सिंचाई विभाग बाढ़ खंड बांधों की मरम्मत में जुटा है. इस दौरान विभाग को बांधों की हालत जर्जर मिली है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार यदि बांधों की मरम्मत ठीक से नहीं की गई तो बाढ़ की स्थिति में बांध बह सकते हैं.
36 संवेदनशील और 42 अतिसंवेदनशील वर्गों में बांटे गए बांध
जिले में 36 स्थानों पर बांध जर्जर स्थिति में पाए गए हैं. 42 स्थान ऐसे हैं जिनमें बांधे के टूटने की आशंका सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि नदियों का जलस्तर बढ़ने से पहले बांधों की मरम्मत और उसे सुरक्षित करने में सिंचाई विभाग का बाढ़ खंड जुटा हुआ है. मुख्यमंत्री का गृह जनपद होने और इसे बाढ़ की विभीषिका से बचाने के उद्देश्य से युद्ध स्तर पर काम हो रहा है. कार्य की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सिंचाई मंत्री डॉ महेंद्र सिंह ने 5 जून को गोरखपुर पहुंच कर खुद चौरी चौरा, खजनी क्षेत्र के बांधों का निरीक्षण किया. वहीं, बाढ़ बचाव को तेजी के साथ निपटाने का अधिकारियों को निर्देश भी दिया है.
सिंचाई मंत्री ने कहा कि बांधों को बचाने के लिए पूर्ववर्ती सरकारों से बेहतर कार्य योगी सरकार कर रही है. इसके लिए जनवरी माह में ही बजट जारी कर दिया गया था. बांधों की मरम्मत मानसून से पहले कर ली जाएगी. यही वजह है कि चल रही तैयारियों और मरम्मत कार्य का निरीक्षण करने विभिन्न जिलों के दौरे पर वह खुद जा रहे हैं. यही नहीं, गोरखपुर में बाढ़ से बचाव को लेकर 85 बाढ़ चौकियों को स्थापित करने की योजना है. इसके अलावा अतिरिक्त राहत शिविर भी बनाए जाएंगे. बाढ़ बचाव की तैयारियों को लेकर समय-समय पर समीक्षा होती रही है. उप जिलाधिकारी और तहसीलदार बांधों के निरीक्षण की अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को देते रहे हैं. इसमें सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड के अधिकारी भी शामिल होते हैं जो कमियों को बारीकी से पकड़ते हैं. इसके बाद अनुरक्षण का कार्य तेजी के साथ चलता है. उम्मीद की जा रही है कि 14 जून से पहले संवेदनशील और प्रभावित बंधों के क्षेत्र दुरुस्त कर दिए जाएंगे.
भौवापार-बेला बांध के मरम्मत पर खर्च हुआ 10 करोड़
गोरखपुर में बाढ़ से प्रभावित होने वाला प्रमुख क्षेत्र कैंपियरगंज, गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा है. इसके अलावा सहजनवा, खजनी और चौरी-चौरा विधानसभा भी प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है. ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विपिन सिंह ने बताया कि बाढ़ बचाव का कार्य हो या अन्य कोई भी कार्य, मुख्यमंत्री से निवेदन के बाद वह कार्य चार गुना तेजी व बजट संसाधनों के साथ पूरा किया गया है. विपिन सिंह ने बताया कि भौवापर बांध की मरम्मत के लिए 10 करोड़ का बजट जारी हो चुका है. इस पर काम चल रहा है. करीब 8.5 किलो मीटर के इस तटबंध में लेपनकार्य के साथ अन्य कमियों को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने वर्तमान कार्यों से संतुष्टि जाहिर की. कहा अब क्षेत्र की जनता उससे संतुष्ट हो और बाढ़ के दौर में यह बाध मजबूती के साथ खड़े रहें, यही अपेक्षा है.
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इन प्रमुख बांधों पर कराए जा रहे हैं काम
छितहरी-थुंनी बांध, राजधानी सिलहटा बांध, बरहीपार, मलाव बांध, नेकवार-बोहावर विस्तार तटबंध, मलौनी तटबंध, अजवनिया रिंग तटबंध, कौड़ीराम मलौली बांध, बिनहा रिंग तटबंध, नौवा डुमरी रिंगबांध, कनइल मझगांवा तटबंध सहित अन्य बांधों पर कार्य चल रहा है. किसी भी आपदा से निपटा जा सके, इसके लिए इस बार बांधों को संवेदनशील और अतिसंवेदनशील वर्गों में बांटकर उनकी मरम्मत का कार्य किया जा रहा है.