गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा हॉस्टल खाली कराने जाने के विरोध में छात्रों ने कुलपति आवास पर प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्र नेताओं और छात्रों ने कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
कुलपति आवास पर प्रदर्शन
गोरखपुर प्रशासन यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों में सैनिटाइजेशन व मरम्मत के कार्य का निर्देश है. निर्देश के दृष्टिगत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने अधिष्ठाता छात्र कल्याण और मुख्य नियंता से कहा कि छात्रावासों की मरम्मत कार्य 10 दिनों के अंदर पूरा करा लें. इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.
वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को छात्रावास खाली करने के लिए 27 दिसंबर तक का समय दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्देश के खिलाफ छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और छात्रावास खाली न करने पर अड़े हैं.
छात्रों की मांग है कि सैनिटाइजेशन और मरम्मत के कार्य के लिए छात्रावास को खाली कराया जाना छात्रों के अधिकार के खिलाफ है. ऐसे में छात्रों का पठन-पाठन जहां प्रभावित होगा, वहीं विभिन्न प्रकार की समस्याओं से भी छात्रों को जूझना पड़ेगा. विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा छात्रावास खाली करने और छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात छात्रों के अधिकारों का हनन है.
कुलपति व विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने इस निर्णय पर विचार करना होगा. छात्र, विश्वविद्यालय प्रशासन के हर कार्य में सहयोग करते हुए आ रहे हैं. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन को भी छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं है. जिसको लेकर छात्र नेताओं के नेतृत्व में उच्च विद्यालय प्रशासन के इस निर्णय से गोरखनाथ मंदिर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय को भी अवगत कराया है. साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए छात्रों के हक में निर्णय लेने की अपील की गई है.
आंदोलन करने को होंगे बाध्य
इस संबंध में छात्रवासी छात्र नेता योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि अभी छात्रों की मौखिक परीक्षा संपन्न नहीं हुई है और जल्द ही ऑफलाइन कक्षाएं भी संचालित होंगी. ऐसी स्थिति में छात्र अपना सारा सामान लेकर कहां जाएंगे. वहीं विभिन्न विभागों में कक्षाएं नियमित रूप से चल रही हैं. ऐसे में छात्रों से जबरन छात्रावास खाली कराना उचित नहीं है.
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से छात्रों को निष्कासित करने की धमकी दी जा रही है. विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति के इस गैर जिम्मेदाराना निर्देश से छात्रों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न है. विश्वविद्यालय प्रशासन यदि अपना मनमानी नहीं छोड़ता है तो हॉस्टल के छात्र ही नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के विभिन्न संगठनों के छात्र नेता और पुरातन छात्र इस लड़ाई को अपने अंजाम तक पहुंचाने के लिए बाध्य होंगे.