गोरखपुरः एक तरफ नई-नई तकनीक आने से लोगों के काम आसान हो रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ इसका प्रयोग करके फ्रॉड और साइबर क्राइम के मामले भी लगातर बढ़ते जा रहे हैं. लूट, छिनैती, टप्पेबाजी की घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों के मुकाबले डिजिटल लूट के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. लूट, चेन स्नेचिंग, छिनैती की घटनाओं का खुलासा तो पुलिस कर देती है. लेकिन डिजिटल लुटेरों को पकड़ना पुलिस और साइबर थाने के लिए चुनौती बन रही है.
गोरखपुर साइबर क्राइम रिपोर्ट के अनुसार, यहां करीब 10 करोड़ के डिजिटल ठगी के मामले साइबर थाने में दर्ज हैं. गोरखपुर जोन के 11 जिलों में होने वाली डिजिटल और ऑनलाइन ठगी के मामले साइबर थाना गोरखपुर में दर्ज होते हैं. लेकिन इनके खुलासा और बरामदगी की स्थिति नाकाफी है. कुछ मामले तो ऐसे हैं जो सालों से अटके पड़े हुए हैं. जिले में साइबर अपराध थाना को शुरू हुए करीब ढाई साल हो चुके हैं. लेकिन यहां अभी तक अधिकतम 100 मामले ही दर्ज हुए हैं. वहीं, पुलिस अब तक सिर्फ एक करोड़ के आस-पास की धनराशि वापस भी करा पाई है.
पीड़ित शिकायत करने के बाद बरामदगी के उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन साइबर क्राइम टीम इन मामलों के खुलासे में फिसड्डी साबित हो रही है. पीड़ितों का यह भी आरोप है कि तमाम जिलों से प्रार्थना पत्र लेकर लोग आते भी हैं तो कुछ मामलों में एफआईआर नहीं लिखी जाती. फरियादियों का यह भी कहना है कि जब भी कोई साइबर क्राइम होता है तो पुलिस यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि यह फ्राड जामताड़ा (झारखंड), राजस्थान और दिल्ली से हो रहा है. जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. लोगों का करोड़ों रुपये डकार चुके डिजिटल लुटेरों को पकड़ने में साइबर अपराध थाने की प्रगति बेहद खराब है.
बीते साल सितंबर से लेकर अबतक पुलिस की फाइल में साइबर क्राइम के तीन मामले दर्ज हुए. शहर के शाहपुर थाना क्षेत्र में 16 सितंबर 2022 को जेल रोड पुलिस चौकी थाना क्षेत्र में हुआ. यहां गुलाली वाटिका निवासी रिटायर्ड आरपीएफ के एएसआई जनेश्वर मिश्र के खाते से साइबर अपराधियों ने एक लाख 54 हजार रुपये उड़ा दिए. जनेश्वर मिश्र ने बताया कि असुरन चौक स्थित एसबीआई में उनका अकाउंट हैं, जिसमें उनकी पेंशन आती है. लेकिन, इस मामले में साइबर पुलिस अभी तक कुछ नहीं कर पाई है.
वहीं, दूसरा फ्रॉड शाहपुर थाना क्षेत्र के ही शिवपुर शाहबाजगंज निवासी प्रोफेसर अमरनाथ ठाकुर के साथ हुआ. वो एमजीपीजी कॉलेज में भौतिकी विभाग के प्रोफ्सर है. प्रो. अमरनाथ ने बताया कि फ्लिपकार्ट से उन्होंने गीजर बुक कराया था. इसके बाद उनके पास एक कॉल आया. इस कॉल पर जालसाज ने उनसे बात कर व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा, जिस पर टच करते ही उनके खाते से 3 बार में 78 हजार रुपये कट गए. तीसरी घटना झंगहा थाना क्षेत्र के सचिन विश्वकर्मा के साथ घटी. इनके खाते से 90 हजार रुपये और इसी थाने क्षेत्र के आदित्य मणि त्रिपाठी के खाते से 68 हजार रुपये जालसाजों ने उड़ा दिए. इन लोगों ने पुलिस से इस साइबर फ्रॉड की शिकायत भी की. लेकिन, पुलिस अभी तक इन जालसाजों के बारे में कोई जानकारी इकट्ठा नहीं कर पाई है.
जिले की एसपी क्राइम इंदु प्रभा सिंह कहती हैं कि फर्जी अकाउंट, फेक नंबर से फ्रॉड होते हैं. इसलिए साइबर अपराधियों को पकड़ने में मुश्किल आती है. कुछ मामलों में लोगों के पैसे भी वापस कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि मामला टेक्निकल होता है इसलिए अपराधी तक पहुंच पाने में थोड़ी मुश्किल होती है. पब्लिक को भी खुद जागरूक होना होगा. कई तरह के प्लेटफार्म और संदेशों के माध्यम से लोगों को ऐसे फर्जी अकाउंट और टेलीफोन नंबर पर रिस्पांस देने के लिए मना किया जाता है. लेकिन फिर भी लोग झांसे में आ जाते हैं और ठगी के शिकार हो जाते हैं.
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