गोरखपुर: खीरा सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इस खीरे का भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर महत्व बढ़ जाता है. जन्मोत्सव में इस्तेमाल होने वाले खीरे का विशेष स्वरूप होता है. इस खीरे को लड़ या नार से अलग नहीं किया जाता. खेत में जिस तने/लड़ में खीरा फलता-बढ़ता है, उसके साथ ही इसे जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल के जन्मोत्सव के समय पूजा के स्थान पर रखा जाता है.
पंडितों का कहना है कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय सालीग्राम के साथ नार-पत्ता लगे हुए खीरे को रखकर उनका आह्वान किया जाता है. ये परंपरा काफी पुरानी है. यही वजह है कि जन्माष्टमी के दिन नार वाला खीरा प्रति पीस के हिसाब बिकता है. यहां एक खीरा 40 से 50 रुपये में बेचा जा रहा है. सामान्य दिनों में यह खीरा 40 से 50 रुपये किलो बिकता है.
गोरखपुर का गोपाल मंदिर हो या फिर बाबा गोरखनाथ का मंदिर, सभी जगहों पर पूरी भव्यता के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. पुलिस लाइन और थानों में भी भगवान कृष्ण का जन्म होता है. लोग घरों में भी झांकियां सजाकर कन्हैया के जन्मदिवस को पूरी धूमधाम से मनाते हैं. इसमें नार वाले खीरे को विशेष महत्ता की वजह से पूजा स्थल पर रखा जाता है. कुछ लोग तो इसकी मुंह मांगी कीमत भी दे जाते हैं. इस खीरे का अधिक मूल्य देना भी कई लोग कृष्ण जन्माष्टमी पर दान और पुण्य के समान मानते हैं.
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गोरखपुर में बड़ी संख्या में घरों पर भी लोग कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. जितने भी बड़े मंदिर हैं, वहां भी इसका आयोजन हो रहा है. ऐसे में देखा जाए तो नार वाले खीरे की खपत भी ज्यादा है. प्रसाद के साथ नार वाले खीरे को भगवान को समर्पित करते हैं. ऐसे में इस खीरे की डिमांड अधिक होती है.