गोरखपुर: गोरखपुर में बेसिक शिक्षा विभाग में एक फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. एक महिला फर्जी दस्तावेजों के सहारे बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी करती पाई गई. यही नहीं वह स्कूल में बतौर प्रधानाचार्य की भूमिका भी निभा रही थी. शिकायत पर कराई गई जांच में आरोप सही पाया गया. विभाग ने इस महिला को सस्पेंड करते हुए, उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर जांच बैठा दी है. साथ ही अब तक दिए गए वेतन के रिकवरी का भी आदेश दिया है.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक मूल रूप से देवरिया की रहने वाली अर्चना नाम की यह महिला, फर्जी दस्तावेजों के सहारे बेसिक शिक्षा में बतौर शिक्षक पहली बार सिद्धार्थनगर में तैनात हुई थी. उसमें उसका पता ठिकाना अयोध्या जनपद का दिखाया गया. मौजूदा समय में वह सिद्धार्थनगर से गोरखपुर में तबादला होकर जंगल कौड़िया प्राथमिक विद्यालय पर बतौर प्रधानाचार्य सेवा दे रही थी तब उसका पता शाहपुर थाना क्षेत्र का मिला.
वहीं, सूत्रों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग में सक्रिय रहे वर्ष 2008 से 2010 के बीच में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी दिलाने वाले गिरोह ने ही वंदना को नौकरी दिलाने का कार्य किया था. यह महिला भी फर्जी दस्तावेज पर भी बेधड़क नौकरी कर रही थी लेकिन अब जब वह कार्रवाई की जद में आ गई है तो विभागीय नोटिस का जवाब देने और पुलिस की पकड़ दोनों से दूर है.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रामेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक वंदना जिनका असली नाम अर्चना है, उसकी ज्वाइनिंग 2008 में सबसे पहले सिद्धार्थनगर जिले में हुई थी. जब इसकी तैनाती गोरखपुर में हुई तो किसी ने शक के आधार पर शिकायत की. मामले की एसटीएफ ने जांच की. शिक्षिका के अभिलेखों की जांच विभाग को सूचित कर शुरू हुई तो मामला खुलकर सामने आ गया.
जांच में पता चला कि महिला जो वंदना बनकर बच्चों को पढ़ा रही है, उसका असली नाम अर्चना है. अभिलेखों के अनुसार इसका स्थाई पता अयोध्या का है. फिलहाल विभाग द्वारा शिक्षिका को सस्पेंड करते हुए रिकवरी की नोटिस भेजी गई. बीएसए ने कहा है कि विभागीय जांच भी बैठाई गई है. महिला ने हाई स्कूल की परीक्षा के दौरान अपना स्थाई पता अयोध्या बताया था. वहीं नौकरी में उसने अपना स्थाई पता गोरखपुर स्थित मानीराम दर्शाया है लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में पता चला है कि महिला देवरिया जिले की रहने वाली है.