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जांच के दायरे में पीओ गोरखपुर, वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप

गोरखपुर में बतौर जिला कार्यक्रम अधिकारी तैनात हेमंत सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो गए हैं. जिला विकास अधिकारी की जांच में बाल विकास परियोजनाओं के संचालन में की गई इस गड़बड़ी की पुष्टि हो चुकी है. अब उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

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गोरखपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी पर वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप.
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Published : Dec 24, 2020, 2:46 PM IST

गोरखपुर: जिले के कार्यक्रम अधिकारी पर बाल विकास परियोजनाओं के संचालन के लिए, किराए पर ली गई गाड़ियों में अनियमितता और भ्रष्टाचार बरतने के मामले में शासन की जांच में पुष्टि हो गई है. इसके बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी पूरी तरह से जांच के घेरे में आ गए हैं. निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को संबंधित आरोप के संबंध में स्पष्टीकरण देने का समय दिया है, जबकि शासन के निर्देश पर जिला विकास अधिकारी की जांच में बाल विकास परियोजनाओं के संचालन में की गई इस गड़बड़ी की पुष्टि हो चुकी है. आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा की शिकायत पर शासन ने यह जांच कराई थी, जिसके बाद अब कार्रवाई होनी लगभग तय हो गई है.

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गोरखपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी पर वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप.

शासन से करायी गई जांच में भ्रष्टाचार उजागर
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिले में मुखिया के रूप में हेमंत सिंह काम करते हैं, जिन्हें जिला कार्यक्रम अधिकारी कहा जाता है. आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट वाहनों का उपयोग विभागीय कार्यों को संचालित करने में लिया. इन वाहनों का किराया भी नियमों को ताक पर रखकर दिया. यही वजह है कि जब इस भ्रष्टाचार की बू आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा को लगी तो उन्होंने आरटीआई के जरिए इसकी सूचना मांगी. नियमों के तहत कोई भी निजी वाहन सरकारी कार्य में टैक्सी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता. जो गाड़ी प्रयोग भी की जाएगी वह टैक्सी में पंजीकृत होगी. उसका इंश्योरेंस और संबंधित सभी दस्तावेज पूर्ण होंगे, लेकिन जिन वाहनों का प्रयोग किया गया, उनका न तो फिटनेस प्रमाण पत्र था और न ही इंश्योरेंस. खास बात यह थी यह सभी वाहन निजी वाहन थे. आरटीआई कार्यकर्ता ने इस धोखाधड़ी के खिलाफ शासन को एक पत्र लिखा, जिसके आधार पर जिला विकास अधिकारी ने इस मामले की जांच की और जांच में आरोपों की पुष्टि हुई.

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गोरखपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी पर वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप.

पीओ निदेशालय को जवाब जो भी दें लेकिन कार्रवाई होनी तय
संजय मिश्र को निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार डॉक्टर सारिका मोहन ने जो पत्र रिसीव किया है, उसके हवाले से ज्ञात हुआ है कि उन्होंने अपने विशेष कार्याधिकारी के माध्यम से जिले के कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह को संबंधित आरोप के मामले में अपना स्पष्टीकरण जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को कहा है, लेकिन एक बात तय है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी जो भी स्पष्टीकरण उपलब्ध कराएं वह कार्रवाई से नहीं बच सकते. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है. क्योंकि जिस मामले में वह आरोपी पाए गए हैं, उसकी जांच जिला स्तरीय अधिकारी ने ही करके शासन को भेजी है. अब यह अलग बात है कि दंड का स्वरूप क्या होता है, लेकिन धोखाधड़ी के इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी कि फिलहाल सांसें अटक गई हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी से टेलीफोन पर बात की तो उन्होंने कहा है कि उन्हें जो जवाब देना है, वह निदेशालय को उपलब्ध कराएंगे.

गोरखपुर: जिले के कार्यक्रम अधिकारी पर बाल विकास परियोजनाओं के संचालन के लिए, किराए पर ली गई गाड़ियों में अनियमितता और भ्रष्टाचार बरतने के मामले में शासन की जांच में पुष्टि हो गई है. इसके बाद जिला कार्यक्रम अधिकारी पूरी तरह से जांच के घेरे में आ गए हैं. निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को संबंधित आरोप के संबंध में स्पष्टीकरण देने का समय दिया है, जबकि शासन के निर्देश पर जिला विकास अधिकारी की जांच में बाल विकास परियोजनाओं के संचालन में की गई इस गड़बड़ी की पुष्टि हो चुकी है. आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा की शिकायत पर शासन ने यह जांच कराई थी, जिसके बाद अब कार्रवाई होनी लगभग तय हो गई है.

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गोरखपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी पर वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप.

शासन से करायी गई जांच में भ्रष्टाचार उजागर
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिले में मुखिया के रूप में हेमंत सिंह काम करते हैं, जिन्हें जिला कार्यक्रम अधिकारी कहा जाता है. आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट वाहनों का उपयोग विभागीय कार्यों को संचालित करने में लिया. इन वाहनों का किराया भी नियमों को ताक पर रखकर दिया. यही वजह है कि जब इस भ्रष्टाचार की बू आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा को लगी तो उन्होंने आरटीआई के जरिए इसकी सूचना मांगी. नियमों के तहत कोई भी निजी वाहन सरकारी कार्य में टैक्सी के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता. जो गाड़ी प्रयोग भी की जाएगी वह टैक्सी में पंजीकृत होगी. उसका इंश्योरेंस और संबंधित सभी दस्तावेज पूर्ण होंगे, लेकिन जिन वाहनों का प्रयोग किया गया, उनका न तो फिटनेस प्रमाण पत्र था और न ही इंश्योरेंस. खास बात यह थी यह सभी वाहन निजी वाहन थे. आरटीआई कार्यकर्ता ने इस धोखाधड़ी के खिलाफ शासन को एक पत्र लिखा, जिसके आधार पर जिला विकास अधिकारी ने इस मामले की जांच की और जांच में आरोपों की पुष्टि हुई.

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गोरखपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी पर वाहनों के प्रयोग में भ्रष्टाचार का आरोप.

पीओ निदेशालय को जवाब जो भी दें लेकिन कार्रवाई होनी तय
संजय मिश्र को निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार डॉक्टर सारिका मोहन ने जो पत्र रिसीव किया है, उसके हवाले से ज्ञात हुआ है कि उन्होंने अपने विशेष कार्याधिकारी के माध्यम से जिले के कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह को संबंधित आरोप के मामले में अपना स्पष्टीकरण जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को कहा है, लेकिन एक बात तय है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी जो भी स्पष्टीकरण उपलब्ध कराएं वह कार्रवाई से नहीं बच सकते. उनके खिलाफ कार्रवाई होनी तय है. क्योंकि जिस मामले में वह आरोपी पाए गए हैं, उसकी जांच जिला स्तरीय अधिकारी ने ही करके शासन को भेजी है. अब यह अलग बात है कि दंड का स्वरूप क्या होता है, लेकिन धोखाधड़ी के इस मामले में जिला कार्यक्रम अधिकारी कि फिलहाल सांसें अटक गई हैं. ईटीवी भारत ने इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी से टेलीफोन पर बात की तो उन्होंने कहा है कि उन्हें जो जवाब देना है, वह निदेशालय को उपलब्ध कराएंगे.

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