गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार गोरखपुर (Gorakhpur) में कहा है कि चिकित्सा के क्षेत्र में स्थापित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (Baba Raghav Das Medical College) को शोध और चिकित्सा के साथ इलाज में एक मॉडल खड़ा करना होगा. सीएम ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्वर्ण जयंती (Golden Jubilee of Gorakhpur BRD Medical College) समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में उनके साथ प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक, राज्यमंत्री मनकेश्वर सिंह भी मौजूद थे.
सीएम ने इस दौरान देश और दुनिया में बीआरडी (BRD) से पढ़कर निकले 1972 बैच के चिकित्सकों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर पूरी तरह से समर्पित भाव से काम करें. डॉक्टर अपनी पीढ़ी को इसका मार्गदर्शन दें. जिससे चिकित्सा के क्षेत्र में स्थापित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज पूर्वांचल का सबसे बड़ा संस्थान हैं. जहां के डॉक्टर बड़े परिवर्तन लाने, समाज को उसका लाभ पहुंचाकर एक मॉडल स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह भी समय और समाज की मांग है.
सीएम ने कहा कि जीवन में 50 वर्ष का समय बहुत मायने रहता है. जिसके सामने जीवन में कई तरह के अवसर खड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषियों ने पूरे जीवन को चार भागों में बांटा है. ब्रह्मचर्य, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम. जिसमें समाज के लिए विभिन्न तरीके से काम करने की प्रेरणा मिलती है. बीआरडी मेडिकल कालेज अपने तीसरे आश्रम की स्थित में है लेकिन मौजूदा समय में बीआरडी मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश का बेहतरीन कॉलेज के रूप में उभरा है. इस स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर अनेक तरह की प्रतिभा देखने को मिला है. सीएम ने डाक्टरों से कहा कि जिन्होंने 50 वर्ष का समय पूरा कर लिया है. उन्हें समाज को देने का अवसर है. चिकित्सा के क्षेत्र में आज बहुत कुछ नया हो रहा है. वहीं, नई बीमारियां भी सामने आ रही हैं. ऐसी स्थिति को देखते हुए बीमारी के उपचार के बारे में सोचना है. बचाव के लिए सबको प्रेरित करने की जरूरत है.
सीएम ने कहा कि दुनिया के तमाम देश भारत से स्वास्थ सुविधा के मामले में काफी आगे हैं लेकिन कोरोना प्रबंधन में भारत ने पूरी दुनिया में मिसाल कायम किया है. फ्री में वैक्सीन से लेकर प्रीकाशन डोज तक सबको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मिलना संभव हुआ. 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन मिला जिससे भुखमरी नहीं हुई. इस दौरान उन्होंने इंसेफेलाइटिस का जिक्र किया. यह अब खत्म होने के कगार पर है. उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस की वैक्सीन जापान से भारत तक आने में 100 वर्ष लग गए जबकि कोरोना की दो वैक्सीन पीएम मोदी के नेतृत्व में 9 महीने में बनकर तैयार हुआ. जिससे महामारी रुकी और दुनिया को वैक्सीन भी निर्यात हुई. अमेरिका जैसे देश में भी भारी मौत कोरोना की वजह से हुई. कोरोना प्रबंधन से बहुत कुछ सीखने को मिला जिसे दैनिक जीवन में लेने की जरूरत है.
वहीं, उन्होंने इस समारोह में देश दुनिया से आए हुए डॉक्टरों से कहा कि उनका आगमन गोरखपुर के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है. योगी ने इनके बीच गोरखपुर के विकास की चर्चा की. जिसमें सड़क से लेकर एयर कनेक्टिविटी तक की बात सामने रखा. गोरखपुर से देश के सभी प्रमुख स्थलों के लिए हवाई सेवा शुरू हो चुकी हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बदल चुका है. यहां आने के लिए अब फोरलेन की सड़क मिलेगी. नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज के नए भवनों का शिलान्यास हो रहा है. जिसकी पढ़ाई यहां होगी. सीआरसी और आरएमआरसी की स्थापना यहां हुई हैं जिसमें विषाणु जनित रोगों पर शोध होगा.
इंसेफेलाइटिस से 40 हजार बच्चों की मौत
सीएम ने लोगों से अनुरोध किया कि हमारा कुछ दायित्व बनता है जिसका पालन करना चाहिए. जीवन में सक्रियता बनाए रखने और कृतज्ञता ज्ञापित करना सीखें. अपने कर्तव्य का पालन करना, कृतज्ञता ज्ञापित करना भी यज्ञ जैसा है. योगी ने कहा कोई भी संस्थान सिर्फ एक स्मारक नहीं होता है.यह कई तरह से हमें प्रेरित करता है. 50 साल का समय किसी भी संस्था के लिए बहुत लंबा होता है. यह उपलब्धियों से भरा होना चाहिए. बीआरडी मेडिकल कॉलेज की समस्याओं और खासकर इंसेफेलाइटिस को दूर करने का दौर पिछले 5 वर्षों में तेजी के साथ हुआ. इसको लेकर वह बतौर सांसद सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करते रहे. इसके लिए जन आंदोलन खड़ा किया गया था. तब भी हम लोग सफलता नहीं हासिल कर पाए जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से 40 वर्षों में 50 हजार बच्चों की मौत हुई. पीएम मोदी ने इस बात को संज्ञान में लिया और इसके खात्मे के लिए गोरखपुर में एम्स की स्थापना वर्ष 2016 में किया.
सीएम ने कहा कि अब दोनों संस्थाएं मिलकर इस महामारी के खात्मे की ओर बढ़ चुकी हैं. उन्होंने कहा कि हमें प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना होगा. सीखने और जानने के लिए 50 वर्ष का समय कम नहीं होता है. इस दौरान दो चिकित्सकों ने हिंदी में लिखी हुई अपनी पुस्तक सीएम को भेंट किया जो चिकित्सा के दो महत्वपूर्ण विषयों पर आधारित थी. एक बार फिर सीएम ने इंसेफेलाइटिस का जिक्र किया. सीएम ने कहा कि इसके खात्मे के लिए वह आंदोलन करता थे. उसे दूर करने के लिए जब 2017 में मुख्यमंत्री बने तो बड़ी जिम्मेदारी का अहसास हुआ. तब 9 विभागों को लेकर एक बैठक किया. जिसमें स्वच्छता से लेकर उन घरों को भी चिन्हित करने का कार्य किया. जिसकी वजह से यह बीमारी फैलती थी.
सीएम ने खेद जताया कि इंसेफलाइटिस जैसी बीमारी पर बीआरडी की तरफ से कोई शोध पत्र उनके सामने नहीं आया. जबकि चिकित्सक, इलाज के साथ इसको कर सकते थे. जिससे मदद मिलती, उपचार के तरीके तय होते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सराकर जरूरी सुविधाओं को देगी भी और देखेगी भी. सरकार सुविधा दे रही है तो यहां से निकला हुआ चिकित्सक इस फील्ड में बेहतर करे और रिसर्च और डेवलपमेंट के कार्य को आगे बढ़ाए. चिकित्सा और शोध कार्य रुका तो हमारे विकास में बाधा आएगी. उन्होंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज और एम्स (AIIMS) के बीच में एक स्वस्थ स्पर्धा बढ़ने की भी बात कही जहां इंफ्रास्ट्रक्चर और किसी भी चीज का अभाव नहीं है. इसके साथ ही समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा करें. योगी ने कहा कि हर चीज संभव हो सकती है बस उसके लिए हमें आगे बढ़ना होगा और आम जनमानस की स्वीकार्यता होनी चहिए.
हरि प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का सीएम ने सहभोज किया
वहीं, हरि प्रबोधिनी एकादशी व्रत (Hari Prabodhini Ekadashi fast) के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) में साधना भवन के सामने आंवले के पेड़ के नीचे दोपहर में सहभोज का आयोजन किया गया. हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत कार्तिक माह के एकादशी तिथि को पड़ता है. जिसमें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लोग सिर्फ फलाहार पर व्रत करते हैं. इसमें किसी भी प्रकार का नमक का उपयोग भी नहीं किया जाता और न ही अन्न खाया जाता है. यह भोज गोरक्षपीठाधीश्वर की उपस्थिति में आयोजित हुआ. मुख्यमंत्री बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करने के बाद जब मंदिर लौटे तो इस कार्यक्रम में शामिल हुए. जहां इस सहभोज में गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री योगी ने लोगों के साथ बैठकर सहभोज किया.
यह भी पढ़ें- प्रतापगढ़ में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी, इलाज के लिए दर-दर भटकते मरीज