गोरखपुर: होली के अवसर पर पूरा शहर होली के रंग में बुधवार की डूबा नजर आया. सुबह घंटाघर से भगवान नरसिंह की होलिकोत्सव शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर गोरक्ष पीठाधीश्वर शामिल हुए शामिल हुए. उन्होंने शहरवासियों के साथ खूब होली खेली. रथ पर सवार मुख्यमंत्री ने फूल और गुलाल बरसाकर लोगों के साथ होली खेली. शोभायात्रा की शुरुआत सुबह गोरक्षपीठ में होलिका की भस्म का तिलक लगाकर हुई. योगी ने प्रदेशवासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा किआज होली का पावन पर्व है. मैं इस अवसर पर पूरे प्रदेशवासियों पर होली की हार्दिक बधाई देता हू.
उन्होंने कहा कि आज पूरा देश बिना किसी डर और संशय के उमंग और उत्साह के साथ होली मना रहे हैं. यह कहीं न कहीं प्रदेश और देश में डबल इंजन की सरकार की कोरोना के प्रति बेहतर काम का नतीजा है, कि आज कोरोना जैसी महामारी पूरी तरह खत्म हो चुकी है. जिस तरह कोई धार्मिक काम अकेला संपन्न नहीं किया जा सकता, ठीक उसी तरह कोई सामाजिक कार्यक्रम भी सभी की सहभागिता से संपन्न होता है.सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं.
1996 से 12019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी वर्ष 2020 और 2021 के होलिकोत्सव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे. सफल कोरोना प्रबंधन का पूरी दुनिया में लोहा मनवाने और इस वैश्विक महामारी को पूरी तरह काबू में करने के बाद सीएम योगी गत वर्ष पांडेहाता से निकलने वाले होलिकादहन जुलूस और घण्टाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा में सम्मिलित हुए.
गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिकादहन या सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित होता है. होलिकादहन हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नृसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है. होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मन्तव्य है भक्ति की शक्ति को सामाजिकता से जोड़ना. इस परिप्रेक्ष्य में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कथन सतत प्रासंगिक है. "भक्ति जब भी अपने विकास की उच्च अवस्था में होगी तो किसी भी प्रकार का भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहाँ छू भी नहीं पायेगी."
गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी. गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी. नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था. नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया. 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया. अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और लोगों को इंतजार रहता है योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नृसिंह शोभायात्रा का.
पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली शोभायात्रा में पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं और भगवान नृसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले गोरक्षपीठाधीश्वर रंगपर्व मे सहभागिता कर गोरक्षपीठ के मूल में निहित संदेश के प्रसार किया. रंगों के प्रतीक रूप में उमंग व उल्लास का पर्व होली गोरक्षपीठ के सामाजिक समरसता अभियान का ही एक हिस्सा है. इस पीठ की विशेषताओं में छुआछूत, जातीय भेदभाव और ऊंच नीच की खाई पाटने का जिक्र सतत होता रहा है. समाज मे विभेद से परे लोक कल्याण ही नाथपंथ का मूल है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा विस्तारित इस अभियान की पताका वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फहरा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के पर्व हजारों वर्षों से धर्म, सत्य व न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. विरासत के संरक्षण का दायित्व हम सबका है. विरासत का संरक्षण करते हुए पर्व पर परम्पराओं की पवित्रता बनाए रखें. उत्साह व उमंग पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए, लेकिन यह भी ध्यान देना होगा कि दुष्प्रवृत्तियां भी न घुसने पाएं. हमें अन्याय और अधर्म से बचना होगा. होली के पावन पर्व पर सबके लिए मंगलकामना की. उन्होंने लोगों से अपील की कि हजारों वर्षों की सनातन परंपरा का अनुकरण कर सौहार्द से रंगभरी होली मनाएं. सौहार्द से पर्व का उत्साह व उमंग कई गुना बढ़ जाता है. बिना सहमति किसी पर जबरन रंग न डालें. मिलावटी रंग व पेंट का इस्तेमाल न करें. बच्चों, बुजुर्गों, मरीजों व धर्मस्थल पर रंग न फेकें.
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