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शपथग्रहण से पहले योगी ने लिया भगवान नरसिंह का आशीर्वाद, शोभायात्रा में हुए शामिल

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Published : Mar 19, 2022, 9:48 AM IST

Updated : Mar 19, 2022, 11:31 AM IST

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली के पावन पर्व पर आज सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शहर के घंटाघर से भगवान नरसिंह की शोभायात्रा निकाली गई. जिसका नगरवासियों ने पुष्प व गुलाल से स्वागत किया.

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गोरखपुर: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली के पावन पर्व पर आज सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शहर के घंटाघर से भगवान नरसिंह की शोभायात्रा निकाली गई. जिसका नगरवासियों ने पुष्प व गुलाल से स्वागत किया. वहीं, इस होलिकोत्सव शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा को सूबे में मिली प्रचंड जीत की भी झलक देखने को मिली. इधर, घंटाघर से निकली शोभायात्रा मदरसा चौक, लालडिग्गी, मिर्जापुर, घासी कटरा, जाफरा बाजार, चरण लाल चौक, आर्यनगर, बक्शीपुर, नखास चौक, रेती चौक होते हुए दोबारा घंटाघर पहुंच समाप्त हुई.

1996 से लेकर 2019 तक इस शोभायात्रा में लगातार सम्मिलित रहे गोरक्षपीठाधीश्वर गत दो वर्षों (2020 व 2021) से जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने को इसमें शामिल नहीं हुए थे. अब जबकि मोदी-योगी सरकार के समन्वित प्रयास से इस वैश्विक महामारी पर काबू पा लिया गया है तो सीएम गोराखपुरवासियों के साथ जमकर होली मनाते नजर आए. इसके पूर्व योगी गोरक्षपीठ में होलिका की भस्म का तिलक लगाकर होली मनाने की शुरुआत किए.

ऐसे हुई यात्रा की शुरुआत...

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से होली के दिन घंटाघर से निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल के दौरान संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी. हालांकि, गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा काफी पुरानी है. नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था. इधर, नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया. 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी यूपी में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया.

इसे भी पढ़ें - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को लेंगे शपथ, शाम चार बजे इकाना स्टेडियम में होगा आयोजन

अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और अब यहां के लोगों को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नरसिंह की शोभायात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है. करीब पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली इस शोभायात्रा में पथ नियोजन का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने किया. वहीं, भगवान नरसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव के सबको शुभकामनाएं देते नजर आए.

यहां राख से तिलक की है खास परंपरा...

गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ हुई. मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ व अन्य साधु-संतों के साथ तुरही, नागफनी, मजीरा आदि वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच होलिकादहन स्थल पर पहुंचे और वहां विधि-विधान से पूजन कर भस्म एकत्रित किए. जिसे सर्वप्रथम शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ को अर्पित किए और इसके बाद योगी कमलनाथ इस विभूति से गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को तिलक किए. एक-दूसरे को होलिका की राख से तिलक करने बाद संत समाज मंदिर के मुख्य चबूतरे पर फाग गीतों का आनंद भी उठाते नजर आए.

आपको बता दें कि मंदिर की इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित है. होलिकादहन हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है. होलिकादहन की राख से तिलक के पीछे का मन्तव्य यह है कि भक्ति की शक्ति से सामाजिकता को जोड़ समरसता का संदेश दिया जाए.

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गोरखपुर: हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी होली के पावन पर्व पर आज सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शहर के घंटाघर से भगवान नरसिंह की शोभायात्रा निकाली गई. जिसका नगरवासियों ने पुष्प व गुलाल से स्वागत किया. वहीं, इस होलिकोत्सव शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा को सूबे में मिली प्रचंड जीत की भी झलक देखने को मिली. इधर, घंटाघर से निकली शोभायात्रा मदरसा चौक, लालडिग्गी, मिर्जापुर, घासी कटरा, जाफरा बाजार, चरण लाल चौक, आर्यनगर, बक्शीपुर, नखास चौक, रेती चौक होते हुए दोबारा घंटाघर पहुंच समाप्त हुई.

1996 से लेकर 2019 तक इस शोभायात्रा में लगातार सम्मिलित रहे गोरक्षपीठाधीश्वर गत दो वर्षों (2020 व 2021) से जनता को कोरोना संक्रमण से बचाने को इसमें शामिल नहीं हुए थे. अब जबकि मोदी-योगी सरकार के समन्वित प्रयास से इस वैश्विक महामारी पर काबू पा लिया गया है तो सीएम गोराखपुरवासियों के साथ जमकर होली मनाते नजर आए. इसके पूर्व योगी गोरक्षपीठ में होलिका की भस्म का तिलक लगाकर होली मनाने की शुरुआत किए.

ऐसे हुई यात्रा की शुरुआत...

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से होली के दिन घंटाघर से निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल के दौरान संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी. हालांकि, गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा काफी पुरानी है. नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था. इधर, नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया. 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी यूपी में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया.

इसे भी पढ़ें - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को लेंगे शपथ, शाम चार बजे इकाना स्टेडियम में होगा आयोजन

अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और अब यहां के लोगों को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नरसिंह की शोभायात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है. करीब पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली इस शोभायात्रा में पथ नियोजन का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने किया. वहीं, भगवान नरसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव के सबको शुभकामनाएं देते नजर आए.

यहां राख से तिलक की है खास परंपरा...

गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ हुई. मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ व अन्य साधु-संतों के साथ तुरही, नागफनी, मजीरा आदि वाद्ययंत्रों की ध्वनि के बीच होलिकादहन स्थल पर पहुंचे और वहां विधि-विधान से पूजन कर भस्म एकत्रित किए. जिसे सर्वप्रथम शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ को अर्पित किए और इसके बाद योगी कमलनाथ इस विभूति से गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ को तिलक किए. एक-दूसरे को होलिका की राख से तिलक करने बाद संत समाज मंदिर के मुख्य चबूतरे पर फाग गीतों का आनंद भी उठाते नजर आए.

आपको बता दें कि मंदिर की इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित है. होलिकादहन हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नरसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है. होलिकादहन की राख से तिलक के पीछे का मन्तव्य यह है कि भक्ति की शक्ति से सामाजिकता को जोड़ समरसता का संदेश दिया जाए.

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Last Updated : Mar 19, 2022, 11:31 AM IST
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