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अब गुजरात मॉडल से पढ़ेंगे गोरखपुर के बच्चे

गोरखपुर के बच्चे साइंस और मैथ में कमजोर पाए गए हैं. गोरखपुर के बच्चो को सरकार ने गुजरात मॉडल के तहत शिक्षित करने का फैसला किया है. इस परियोजना के लिए गुजरात से एक टीम भी रवाना हो चुकी है.

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अब गुजरात मॉडल से पढ़ेगें गोरखपुर के बच्चे
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Published : Jun 23, 2022, 2:18 PM IST

गोरखपुर: निपुण (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विथ अंडरस्टैंडिंग न्यूमरेसी ) भारत अभियान यह एक ऐसा अभियान है, जिसके माध्यम से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अंदर पढ़ाई को लेकर जागरूकता और साइंस- मैथ जैसे विषयों में उनकी रुचि, पकड़ का आंकलन किया जाता हैं. बच्चे जहां कमजोर पाए जाते हैं, उस आधार पर एक रिपोर्ट तैयार होती हैं और फिर शिक्षकों, विद्यार्थियों को ट्रेंन करने का काम किया जाता है.

जानकारी देते सीडीओ इंद्रजीत सिंह निपुण

गोरखपुर में इस अभियान का जो परिणाम निकल कर आया है, वो बेहद ही चौंकाने वाला है. साथ ही भविष्य में बेहतर सुधार लाने वाला है. इस शहर के अधिकांश बच्चे साइंस और मैथ में काफी कमजोर पाए गए हैं. जिन्हें इन विषयों में मजबूत और सक्षम बनाने के लिए निपुण अभियान के तहत शिक्षित करने का फैसला लिया गया है. वहीं, शिक्षकों को भी कुछ जरूरी टिप्स दिए जाएंगे जो बच्चों की निपुणता के लिए जरूरी होंगे. शिक्षकों के मार्गदर्शन का काम गुजरात मॉडल के आधार पर होगा. इसमें आईआईटी गांधीनगर के 40 शिक्षक गोरखपुर के शिक्षकों को साइंस और मैथ पढ़ाने का तरीका बताएंगे.

निपुण भारत प्रोजेक्ट के तहत कक्षा एक से 8 तक के बच्चों का सरल एप आंकलन पिछले माह हुआ था. इसमें साइंस और मैथ में बच्चे कमजोर मिले. कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के बच्चों को सरल एप के द्वारा ओएमआर शीट का प्रयोग करते हुए आंकलन किया गया था. इस पूरे अभियान की निगरानी के लिए विकास भवन में निपुण भारत प्रोजेक्ट का केंद्र बनाया गया है. जहां प्रशिक्षित लोग इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. बेसिक शिक्षा विभाग इसमें प्रमुख होता है. साथ ही जिले के मुख्य विकास अधिकारी खुद इस परियोजना की निगरानी करते हैं.

इसे भी पढ़े-लखनऊ में बिना शिक्षकों के चल रहे 52 सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल, जानिए कैसे हो रही पढ़ाई

सीडीओ इंद्रजीत सिंह ने ईटीवी भारत को इस प्रोजेक्ट के बारे में पूरे विस्तार से बताते हुए कहा कि पहली बार कक्षा एक से लेकर 8 तक के बच्चों का साइंस और मैथ में ज्ञान आंकलन करने के लिए जो प्रयास हुआ है, उसमें जिले के 2लाख 86 हजार बच्चों के सापेक्ष 2 लाख 28 हजार 800 बच्चे शामिल हुए हैं. यहां तक कि दिव्यांग बच्चों ने भी इसमें भाग लिया है. इसके बाद जो परिणाम सामने आया वह बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए साइंस और मैथ में उन्हें मजबूत करने का साफ संकेत दे गया. इस परियोजना के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा. इस परियोजना के लिए गुजरात की एक टीम भी रवाना हो चुकी है.

जिन शिक्षकों को इन बच्चों को साइंस और मैथ में मजबूत बनाना है, उनमें जिले के साइंस और मैथ के एआरपी टीचर, सक्रिय टीचर, डायट प्रवक्ता और खंड शिक्षा अधिकारियों को शामिल किया गया है. इसकी अगुवाई खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी करेंगे. गांधीनगर गुजरात से ज्ञान प्राप्त कर जब शिक्षक लौटेंगे, तब वे बच्चों को शिक्षित करेगें. बता दें कि बच्चों में जो सर्वे का तरीका अपनाया गया हैं, उसमें धाराप्रवाह पढ़ने का कौशल, कविता की समझ, पर्यायवाची या मुहावरों को बोलने में कक्षा 3, 4, 5 के बच्चों ने निपुण भारत के लक्ष्य को पूरा नहीं किया है. इसे पूरा कराने का प्रयास शिक्षा विभाग शिक्षकों के प्रशिक्षण के बाद करेगा.

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गोरखपुर: निपुण (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विथ अंडरस्टैंडिंग न्यूमरेसी ) भारत अभियान यह एक ऐसा अभियान है, जिसके माध्यम से प्राइमरी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अंदर पढ़ाई को लेकर जागरूकता और साइंस- मैथ जैसे विषयों में उनकी रुचि, पकड़ का आंकलन किया जाता हैं. बच्चे जहां कमजोर पाए जाते हैं, उस आधार पर एक रिपोर्ट तैयार होती हैं और फिर शिक्षकों, विद्यार्थियों को ट्रेंन करने का काम किया जाता है.

जानकारी देते सीडीओ इंद्रजीत सिंह निपुण

गोरखपुर में इस अभियान का जो परिणाम निकल कर आया है, वो बेहद ही चौंकाने वाला है. साथ ही भविष्य में बेहतर सुधार लाने वाला है. इस शहर के अधिकांश बच्चे साइंस और मैथ में काफी कमजोर पाए गए हैं. जिन्हें इन विषयों में मजबूत और सक्षम बनाने के लिए निपुण अभियान के तहत शिक्षित करने का फैसला लिया गया है. वहीं, शिक्षकों को भी कुछ जरूरी टिप्स दिए जाएंगे जो बच्चों की निपुणता के लिए जरूरी होंगे. शिक्षकों के मार्गदर्शन का काम गुजरात मॉडल के आधार पर होगा. इसमें आईआईटी गांधीनगर के 40 शिक्षक गोरखपुर के शिक्षकों को साइंस और मैथ पढ़ाने का तरीका बताएंगे.

निपुण भारत प्रोजेक्ट के तहत कक्षा एक से 8 तक के बच्चों का सरल एप आंकलन पिछले माह हुआ था. इसमें साइंस और मैथ में बच्चे कमजोर मिले. कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के बच्चों को सरल एप के द्वारा ओएमआर शीट का प्रयोग करते हुए आंकलन किया गया था. इस पूरे अभियान की निगरानी के लिए विकास भवन में निपुण भारत प्रोजेक्ट का केंद्र बनाया गया है. जहां प्रशिक्षित लोग इसकी मॉनिटरिंग करते हैं. बेसिक शिक्षा विभाग इसमें प्रमुख होता है. साथ ही जिले के मुख्य विकास अधिकारी खुद इस परियोजना की निगरानी करते हैं.

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सीडीओ इंद्रजीत सिंह ने ईटीवी भारत को इस प्रोजेक्ट के बारे में पूरे विस्तार से बताते हुए कहा कि पहली बार कक्षा एक से लेकर 8 तक के बच्चों का साइंस और मैथ में ज्ञान आंकलन करने के लिए जो प्रयास हुआ है, उसमें जिले के 2लाख 86 हजार बच्चों के सापेक्ष 2 लाख 28 हजार 800 बच्चे शामिल हुए हैं. यहां तक कि दिव्यांग बच्चों ने भी इसमें भाग लिया है. इसके बाद जो परिणाम सामने आया वह बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए साइंस और मैथ में उन्हें मजबूत करने का साफ संकेत दे गया. इस परियोजना के लिए शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा. इस परियोजना के लिए गुजरात की एक टीम भी रवाना हो चुकी है.

जिन शिक्षकों को इन बच्चों को साइंस और मैथ में मजबूत बनाना है, उनमें जिले के साइंस और मैथ के एआरपी टीचर, सक्रिय टीचर, डायट प्रवक्ता और खंड शिक्षा अधिकारियों को शामिल किया गया है. इसकी अगुवाई खुद बेसिक शिक्षा अधिकारी करेंगे. गांधीनगर गुजरात से ज्ञान प्राप्त कर जब शिक्षक लौटेंगे, तब वे बच्चों को शिक्षित करेगें. बता दें कि बच्चों में जो सर्वे का तरीका अपनाया गया हैं, उसमें धाराप्रवाह पढ़ने का कौशल, कविता की समझ, पर्यायवाची या मुहावरों को बोलने में कक्षा 3, 4, 5 के बच्चों ने निपुण भारत के लक्ष्य को पूरा नहीं किया है. इसे पूरा कराने का प्रयास शिक्षा विभाग शिक्षकों के प्रशिक्षण के बाद करेगा.

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