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Gorakhpur District Hospital: बदलते मौसम से अस्पताल की ओपीडी फुल, खांसी और सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा

गोरखपुर जिला अस्पताल (Gorakhpur District Hospital) में बदलते मौसम के कारण सर्दी, खांसी, जुकाम के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. यहां प्रतिदिन लगभग 6 मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी
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Published : Mar 14, 2023, 4:32 PM IST

मुख्य चिकित्सा अधिकारी और टीबी रोग विशेषज्ञ के साथ मरीजों ने बताया.

गोरखपुर: बदलते मौसम के जिला अस्पताल में कारण सर्दी, खांसी, जुकाम के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि बदलता मौसम और बदलते लोग बड़े ही घातक होते हैं. इनसे सावधानी और बचाव ही इंसान को सुरक्षित रख सकती है. ईटीवी भारत के माध्यम से उन्होंने कहा कि बदलते मौसम और होली के पर्व में लोग खानपान की वजह से लापरवाह हो जाते हैं. इसके साथ ही रंगों की वजह से भी कुछ लोगों को दिक्कतें आती हैं.


गोरखपुर जिला अस्पताल के सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि बदलते मौसम की वजह से खांसी, सर्दी, जुकाम और सीने में जकड़न के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसके साथ ही चेस्ट और टीवी मरीजों की संख्या भी अस्पताल में बढ़ी है. अस्पताल के बाहर जिस तरह से मरीजों की लंबी लंबी कतार लगी हुई है. उसमें महिलाएं सबसे अधिक दिखाई पड़ रही हैं. इस वजह से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिक लोग संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. मौजूदा समय में सबसे ज्यादा मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के पाए जा रहे हैं. जिन्हें बेहतर इलाज देने के लिए डॉक्टरों को उनके स्तर से सुझाव दिए जा चुके हैं. यहां आए हुए मरीजों में से काजल वर्मा, नेबू शाही और रंजीत ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे हैं.

जिला अस्पताल के चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रशांत कुमार ने बताया कि मरीजों को उचित सलाह और दवा उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन जबसे कोरोना काल आया और गया है. उसके बाद इस तरह के मरीज जो पहले अधिकतम एक सप्ताह में ठीक हो जाया करते थे. लेकिन अब उन्हें ठीक होने में 15 से 20 दिन लग रहे हैं. ऐसे में घरेलू उपाय को मरीजों को अपनाना होगा. गुनगुने पानी पर निर्भरता रखने से बीमारी और बचाव में काफी मदद मिलेगी.

वहीं, जिला अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या प्रतिदिन 6 सौ से ऊपर जा रही है. मौसम लगातार बदल रहा है. प्रदेश में एच-3एन-2, इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे. सामान्य और गंभीर रोगियों के उपचार और जांच की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का इस समस्या को लेकर कहा है कि खांसी, बुखार, उल्टी, गले में खराश और मांस पेशियों में अगर दर्द हो रहा है तो यह एच-3एन-2, के लक्षण हो सकते हैं. जिसमें बिना घबराए नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर रोगी नि:शुल्क उपचार करा सकते हैं.

यह भी पढ़ें-BJP politics in UP : साक्षी महाराज ने कहा-विभाजन के बाद हिंदुस्तान अब केवल हिन्दू राष्ट्र बचा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी और टीबी रोग विशेषज्ञ के साथ मरीजों ने बताया.

गोरखपुर: बदलते मौसम के जिला अस्पताल में कारण सर्दी, खांसी, जुकाम के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि बदलता मौसम और बदलते लोग बड़े ही घातक होते हैं. इनसे सावधानी और बचाव ही इंसान को सुरक्षित रख सकती है. ईटीवी भारत के माध्यम से उन्होंने कहा कि बदलते मौसम और होली के पर्व में लोग खानपान की वजह से लापरवाह हो जाते हैं. इसके साथ ही रंगों की वजह से भी कुछ लोगों को दिक्कतें आती हैं.


गोरखपुर जिला अस्पताल के सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि बदलते मौसम की वजह से खांसी, सर्दी, जुकाम और सीने में जकड़न के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इसके साथ ही चेस्ट और टीवी मरीजों की संख्या भी अस्पताल में बढ़ी है. अस्पताल के बाहर जिस तरह से मरीजों की लंबी लंबी कतार लगी हुई है. उसमें महिलाएं सबसे अधिक दिखाई पड़ रही हैं. इस वजह से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिक लोग संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. मौजूदा समय में सबसे ज्यादा मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के पाए जा रहे हैं. जिन्हें बेहतर इलाज देने के लिए डॉक्टरों को उनके स्तर से सुझाव दिए जा चुके हैं. यहां आए हुए मरीजों में से काजल वर्मा, नेबू शाही और रंजीत ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि वह सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे हैं.

जिला अस्पताल के चेस्ट एवं टीबी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रशांत कुमार ने बताया कि मरीजों को उचित सलाह और दवा उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन जबसे कोरोना काल आया और गया है. उसके बाद इस तरह के मरीज जो पहले अधिकतम एक सप्ताह में ठीक हो जाया करते थे. लेकिन अब उन्हें ठीक होने में 15 से 20 दिन लग रहे हैं. ऐसे में घरेलू उपाय को मरीजों को अपनाना होगा. गुनगुने पानी पर निर्भरता रखने से बीमारी और बचाव में काफी मदद मिलेगी.

वहीं, जिला अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या प्रतिदिन 6 सौ से ऊपर जा रही है. मौसम लगातार बदल रहा है. प्रदेश में एच-3एन-2, इनफ्लुएंजा से बचाव के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में आइसोलेशन वार्ड बनाए जाएंगे. सामान्य और गंभीर रोगियों के उपचार और जांच की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का इस समस्या को लेकर कहा है कि खांसी, बुखार, उल्टी, गले में खराश और मांस पेशियों में अगर दर्द हो रहा है तो यह एच-3एन-2, के लक्षण हो सकते हैं. जिसमें बिना घबराए नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर रोगी नि:शुल्क उपचार करा सकते हैं.

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