गोरखपुर : पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी की लगभग 73 करोड़ की संपत्ति बीते शुक्रवार को ईडी ने जब्त की है. उन पर आरोप है कि उन्होंने बैंकों से 1200 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया है. जिसको लेकर सीबीआई ने विनय और उनकी फर्म गंगोत्री एंटरप्राइजेज पर शिकंजा कसा था. इस कार्रवाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी के चिल्लूपार से विधायक राजेश त्रिपाठी ने कहा है कि विनय शंकर के झूठे शपथ पत्र को लेकर उन्होंने शिकायत की थी. इसी का नतीजा है कि जांच आगे बढ़ी और घोटाला सामने आया.
2018 में राजेश त्रिपाठी ने की थी शिकायत
राजेश त्रिपाठी ने कहा है कि उन्होंने वर्ष 2018 में शिकायत PMO, सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा और अन्य कई स्तर पर की थी. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वह 3200 मतों से विनय शंकर तिवारी से हार गए थे. इसके बाद उन्होंने विनय शंकर के झूठे शपथ पत्र को लेकर कम्प्लेन की और उस शिकायत के कारण जब बैंकों ने मामले की जांच कराई तो शिकायत सही निकली. करीब 1274 करोड़ का घोटाला समाने आया है.
विधायक ने कहा- कई हजार करोड़ का हो सकता है घोटाला
राजेश त्रिपाठी का अनुमान है कि ईडी के हाथ में यह मामला आने के बाद जब जांच आगे बढ़ेगी तो यह मामला 1200 नहीं, कई हजार करोड़ में जा सकता है. किसी रंजिशवश नहीं, बल्कि झूठे हलफनामे को आधार बनाकर जांच की मांग की थी. अब चौंकाने वाला खुलासा हो रहा है. बैंकों में जमा पैसा जनता का है. उसे लूटने का अधिकार किसी को नहीं है. यह हैरानी की बात है कि विनय शंकर और उनकी फर्म ने मिलकर एक ही प्रॉपर्टी को कई बैंकों में मॉर्गेज करते हुए इस तरह की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है. जिसका पर्दाफाश हो चुका है और अब कार्रवाई आगे बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री और सीबीआई पर जताया भरोसा
हरिशंकर तिवारी जैसे एक मजबूत राजनीतिक परिवार के खिलाफ कोई जांच-पड़ताल हो जाए, यह बड़ी कठिन बात थी. लेकिन जिस तरह से उन्होंने प्रधानमंत्री और सीबीआई पर भरोसा जताते हुए अपनी शिकायत की थी, आज उसका परिणाम दिखाई दे रहा है. कहा कि पीएम मोदी और सीएम योगी की यह सरकार है. आतंक और अपराध के जरिए जनता की गाढ़ी कमाई को न तो कोई छीन सकता है, न तो उनकी जमीन हथिया सकता है.
ईडी की जांच में हुए कई अहम खुलासे
विनय शंकर तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज द्वारा बैंकों के कस्टोडियम के 754 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में कई अहम खुलासे हुए हैं. जांच में सामने आया कि बैंकों से ऋण लेने के बाद गंगोत्री इंटरप्राइजेज की सहयोगी कंपनियों को करोड़ों रुपए दिए गए. कंपनी के निदेशक विनय की पत्नी रीता तिवारी ने 2014 में नियम विरुद्ध इस्तीफा दे दिया था, जबकि वह कंपनी की गारंटर थीं. सूत्रों के अनुसार गंगोत्री से जुड़े लोगों की संपत्तियां दिल्ली और नोएडा में भी हैं. जल्दी इन्हें ईडी जब्त करने की तैयारी कर रही है.