गोरखपुर: आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में निषाद पार्टी के दांव पेंच पर बीजेपी ने एक ही चाल में कुंद कर दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को बीजेपी ने अपने कोटे से विधान परिषद का सदस्य नामित करके उनके उस मंसूबे पर पानी फेर दिया है, जिसमें वह पूर्वांचल समेत प्रदेश की करीब 135 सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी दिखाकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से गठबंधन के साथ कई प्रमुख सीटों पर अपना दावा मजबूत करते दिखाई दे रहे थे.
इसी को आधार बनाकर वह राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से भी कई बार मुलाकात कर चुके थे, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी करीबी नहीं हो पाई. जिसकी वजह है कि संजय निषाद एमएलसी तो बना दिए गए, लेकिन जिस प्रकार जितिन प्रसाद को एमएलसी के साथ मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया, वैसी भूमिका संजय निषाद के हाथ से निकल गई. क्योंकि योगी आदित्यनाथ संजय निषाद के कद के बढ़ने से बीजेपी को नुकसान और खासकर पूर्वांचल में संजय निषाद की सीटों को लेकर की जाने वाली मोलभाव को रोक दिया. वह सत्ता में भागीदारी और चुनावी हिस्सेदारी को मजबूत करने की दहाड़ मार रहे थे, लेकिन जबसे उन्हें बीजेपी ने एमएलसी बनाया है वह फिलहाल चुप्पी साधे बैठे हैं.
सीएम योगी से अच्छे संबंध न होने का निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को उठाना पड़ सकता है नुकसान
बीजेपी और निषाद पार्टी के नजदीक आने से सपा और बसपा के साथ बीजेपी के भी तमाम नेताओं की भी नींद हराम हुई है. वजह यह है कि निषाद पार्टी जिन सीटों पर पहले से अपने प्रत्याशी उतारने की बात कर रही थी, वह अब गठबंधन की वजह से उलझन में पड़ गई है. गोरखपुर-बस्ती मंडल की बात करें तो निषाद पार्टी गोरखपुर ग्रामीण, चौरी चौरा, सहजनवा, के साथ पिपराइच और कैम्पियरगंज पर अपनी दावेदारी मजबूती से कर रही थी और आज भी उसकी डिमांड बरकरार है, जबकि यह सीटें वर्तमान में बीजेपी के खाते में है.
इसी प्रकार मेंहदावल सीट पर भी निषाद पार्टी अपना दावा ठोक रही है, जबकि यह सीट भी बीजेपी के खाते में है. खास बात यह है कि निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय इन सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत बताकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से अपने लिए भले ही टिकट चाहते हैं, लेकिन सीएम योगी के रहते ऐसा होना संभव नहीं लगता.
इन सभी सीटों पर जीते हुए बीजेपी के विधायक योगी के बेहद खास और करीबी हैं. वह कभी इनका टिकट कटने नहीं देंगे, गठबंधन होगा तो निषाद पार्टी अपना प्रत्याशी देगी न कि योगी के चहेते लोग लड़ेंगे. यही वजह है कि संजय निषाद को योगी ने एमएलसी बनाना तो मंजूर किया, लेकिन मंत्रिमंडल में लेना उचित नहीं समझा.
2017 के चुनाव में अपने प्रदर्शन के हिसाब से निषाद पार्टी 2022 में बीजेपी से 70 सीटों पर गठबंधन के फिराक में
देखा जाए तो 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी पीस पार्टी के साथ गठबंधन करके 72 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें सिर्फ भदोही जिले की ज्ञानपुर सीट पर विजय मिश्रा ही चुनाव जीतकर आए थे. जौनपुर की मल्हनी सीट पर धनंजय सिंह 48141 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे, जबकि संजय निषाद खुद गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर 34869 वोट प्राप्त किए थे. इसके अलावा निषाद पार्टी के प्रत्याशियों ने गोरखपुर के आसपास की सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था. पनियरा, कैम्पियरगंज, सहजनवा, खजनी, तमकुहीराज, भदोही और चंदौली सीट पर निषाद पार्टी के उम्मीदवार को 10 हजार से अधिक वोट मिले थे.
सूत्रों की माने तो निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गठबंधन में 70 सीटों की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी उनके साथ इतना बड़ा गेम खेलने के मूड में नहीं है. जिससे बीजेपी की सरकार में वापसी होने पर किसी भी प्रकार की तोलमोल की स्थिति न बनने पाए. इसलिए पार्टी सूत्रों का कहना है कि संजय निषाद को एमएलसी बनाकर बीजेपी ने उन्हें खामोश करने का काम किया है और अपने लिए वोट बैंक हथियाने का उपाय भी.