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गोरखपुर की इन दो सीटों में उलझी बीजेपी...पढ़िए पूरी खबर

गोरखपुर की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी तय करने में पूरी तरह से उलझ गई है. चलिए जानते हैं इसकी वजह.

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गोरखपुर की इन दो सीटों में उलझी बीजेपी.
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Published : Jan 29, 2022, 7:58 PM IST

गोरखपुर: जिले की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी तय करने में पूरी तरह से उलझ गई है. ऐतिहासिक सीट के रूप में पहचान रखने वाली चौरी चौरा विधानसभा और विकास का कीर्तिमान बनाने वाली गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर प्रत्याशी पार्टी तय नहीं कर पा रही है.
राजनीतिक गलियारे से आ रही खबरों के आधार पर बात करें तो इन दोनों सीटों पर तीन लोगों की प्रतिष्ठा फंसी है. गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा की सीट पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद अपनी दावेदारी करते हुए बेटे को चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. वहीं, चौरी-चौरा विधानसभा सीट पर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य की करीबी और मौजूदा विधायक संगीता यादव टिकट चाहती हैं.
जबकि सूत्रों की माने तो यह दोनों सीटें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने करीबियों और क्षेत्र में संघर्ष के साथ एक अलग पहचान रखने वालों को दिलाना चाहते हैं. यही वजह है कि जिले की 9 विधानसभा सीटों में सात के टिकट फाइनल हो गए हैं. इन दो सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान होना बाकी है. वहीं, समझौते को लेकर भाजपाइयों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.



बात करें गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट की तो यह सीट 2012 और 2017 दोनों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीती थी. वर्तमान में विपिन सिंह इस क्षेत्र से विधायक हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र और मेहनती कार्यकर्ता की पहचान रखते हैं. उन्होंने अपने क्षेत्र में इन 5 सालों में करीब 14 सौ करोड़ रुपए के कार्य कराए हैं. इस सीट पर निषाद बिरादरी जीत- हार में बड़ा मायने रखती है. यही वजह है कि संजय निषाद बीजेपी के साथ हो रहे समझौते में इस सीट पर अपनी दावेदारी जता कर बेटे को प्रत्याशी बनाकर उतारना चाह रहे हैं. इस वजह से यहां के टिकट की घोषणा करने में बीजेपी फंसी हुई है.

गोरखपुर की इन दो सीटों में उलझी बीजेपी.

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कार्यकर्ता जगह-जगह अपने गुस्से का इजहार कर पार्टी को यह संदेश देने की कोशिश भी कर रहे हैं जो बीजेपी के ही खाते में ही सीट आ जाए.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि विपिन सिंह को बीजेपी प्रत्याशी बनाए. निषाद पार्टी के खाते में सीट जाने पर पिछले चुनाव का रिकार्ड बीजेपी के गंवाने की बात कही जा रही है. इस बारे में गोरखपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार मारकंडे मणि त्रिपाठी भी कहते हैं कि निश्चित रूप से गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में ज्यादा सुरक्षित नजर आ रही है.
रही बात योगी आदित्यनाथ के प्रतिष्ठा की तो पार्टी प्रदेश की 403 सीटों पर उनकी प्रतिष्ठा और परिश्रम के साथ चुनाव लड़ रही है. निषाद समाज से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता चंदन निषाद भी गोरखपुर ग्रामीण सीट पर डॉ. संजय निषाद की उम्मीदवारी को बीजेपी के लिए नुकसान का सौदा बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि खुद निषाद समाज में डॉक्टर संजय निषाद को लेकर रिएक्शन हैं. ऐसे में उनके बेटे के लड़ने से बीजेपी की सीट खतरे में पड़ जाएगी.

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बात करें चौरी- चौरा विधानसभा सीट की तो मौजूदा समय में संगीता यादव यहां से विधायक हैं.पिछले चुनाव में भी यहां का टिकट काफी देर से घोषित किया गया था. यह सीट योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्या की खींचतान में फंसी हुई थी.
सीएम योगी इस सीट से चौरी-चौरा की क्रांतिकारी धरती पर किसी क्रांतिकारी परिवार के चेहरे को लेकर आगे आना चाह रहे थे. वहीं, केशव मौर्य संगीता यादव के सिवा दूसरे नाम पर विचार करने को तैयार नहीं थे. अंततः संगीता का टिकट फाइनल हुआ और बीजेपी- मोदी की लहर में संगीत विधानसभा पहुंच गई.
मौजूदा समय में संगीता यादव के खिलाफ पार्टी पदाधिकारियों का फीडबैक संगठन को मिला है. इनके ऊपर जातिगत आधार पर काम करने का आरोप लगा है. यही वजह है कि यह सीट परिवर्तन में चल रही है जबकि इस पर केशव मौर्या की प्रतिष्ठा उम्मीदवारी को लेकर फिर फंसी हुई है.
इससे कार्यकर्ताओं के लिए बड़ी उलझन बनी है. फिलहाल क्षेत्र की जनता से लेकर बीजेपी हो या निषाद पार्टी के कार्यकर्ता इन 2 सीटों की उम्मीदवारी को लेकर नजरें गड़ाए बैठे हैं.

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गोरखपुर: जिले की दो विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी तय करने में पूरी तरह से उलझ गई है. ऐतिहासिक सीट के रूप में पहचान रखने वाली चौरी चौरा विधानसभा और विकास का कीर्तिमान बनाने वाली गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर प्रत्याशी पार्टी तय नहीं कर पा रही है.
राजनीतिक गलियारे से आ रही खबरों के आधार पर बात करें तो इन दोनों सीटों पर तीन लोगों की प्रतिष्ठा फंसी है. गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा की सीट पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद अपनी दावेदारी करते हुए बेटे को चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. वहीं, चौरी-चौरा विधानसभा सीट पर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव मौर्य की करीबी और मौजूदा विधायक संगीता यादव टिकट चाहती हैं.
जबकि सूत्रों की माने तो यह दोनों सीटें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने करीबियों और क्षेत्र में संघर्ष के साथ एक अलग पहचान रखने वालों को दिलाना चाहते हैं. यही वजह है कि जिले की 9 विधानसभा सीटों में सात के टिकट फाइनल हो गए हैं. इन दो सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान होना बाकी है. वहीं, समझौते को लेकर भाजपाइयों में नाराजगी बढ़ती जा रही है.



बात करें गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट की तो यह सीट 2012 और 2017 दोनों चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीती थी. वर्तमान में विपिन सिंह इस क्षेत्र से विधायक हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र और मेहनती कार्यकर्ता की पहचान रखते हैं. उन्होंने अपने क्षेत्र में इन 5 सालों में करीब 14 सौ करोड़ रुपए के कार्य कराए हैं. इस सीट पर निषाद बिरादरी जीत- हार में बड़ा मायने रखती है. यही वजह है कि संजय निषाद बीजेपी के साथ हो रहे समझौते में इस सीट पर अपनी दावेदारी जता कर बेटे को प्रत्याशी बनाकर उतारना चाह रहे हैं. इस वजह से यहां के टिकट की घोषणा करने में बीजेपी फंसी हुई है.

गोरखपुर की इन दो सीटों में उलझी बीजेपी.

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कार्यकर्ता जगह-जगह अपने गुस्से का इजहार कर पार्टी को यह संदेश देने की कोशिश भी कर रहे हैं जो बीजेपी के ही खाते में ही सीट आ जाए.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि विपिन सिंह को बीजेपी प्रत्याशी बनाए. निषाद पार्टी के खाते में सीट जाने पर पिछले चुनाव का रिकार्ड बीजेपी के गंवाने की बात कही जा रही है. इस बारे में गोरखपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार मारकंडे मणि त्रिपाठी भी कहते हैं कि निश्चित रूप से गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में ज्यादा सुरक्षित नजर आ रही है.
रही बात योगी आदित्यनाथ के प्रतिष्ठा की तो पार्टी प्रदेश की 403 सीटों पर उनकी प्रतिष्ठा और परिश्रम के साथ चुनाव लड़ रही है. निषाद समाज से आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता चंदन निषाद भी गोरखपुर ग्रामीण सीट पर डॉ. संजय निषाद की उम्मीदवारी को बीजेपी के लिए नुकसान का सौदा बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि खुद निषाद समाज में डॉक्टर संजय निषाद को लेकर रिएक्शन हैं. ऐसे में उनके बेटे के लड़ने से बीजेपी की सीट खतरे में पड़ जाएगी.

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बात करें चौरी- चौरा विधानसभा सीट की तो मौजूदा समय में संगीता यादव यहां से विधायक हैं.पिछले चुनाव में भी यहां का टिकट काफी देर से घोषित किया गया था. यह सीट योगी आदित्यनाथ और केशव मौर्या की खींचतान में फंसी हुई थी.
सीएम योगी इस सीट से चौरी-चौरा की क्रांतिकारी धरती पर किसी क्रांतिकारी परिवार के चेहरे को लेकर आगे आना चाह रहे थे. वहीं, केशव मौर्य संगीता यादव के सिवा दूसरे नाम पर विचार करने को तैयार नहीं थे. अंततः संगीता का टिकट फाइनल हुआ और बीजेपी- मोदी की लहर में संगीत विधानसभा पहुंच गई.
मौजूदा समय में संगीता यादव के खिलाफ पार्टी पदाधिकारियों का फीडबैक संगठन को मिला है. इनके ऊपर जातिगत आधार पर काम करने का आरोप लगा है. यही वजह है कि यह सीट परिवर्तन में चल रही है जबकि इस पर केशव मौर्या की प्रतिष्ठा उम्मीदवारी को लेकर फिर फंसी हुई है.
इससे कार्यकर्ताओं के लिए बड़ी उलझन बनी है. फिलहाल क्षेत्र की जनता से लेकर बीजेपी हो या निषाद पार्टी के कार्यकर्ता इन 2 सीटों की उम्मीदवारी को लेकर नजरें गड़ाए बैठे हैं.

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