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चुनौतियों से खेलना मेरी पुरानी आदत, नहीं डरती विरोधियों से: साधना सिंह

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साधना सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. शनिवार 26 जून को नामांकन की तिथि और तय समय तीन बजे तक सिर्फ साधना सिंह ने ही नामांकन दाखिल किया. बाकी किसी अन्य प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया. ऐसी परिस्थिति में उनका निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. सबकी नजर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पर थी. लेकिन ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई कि सपा का प्रत्याशी नामांकन ही दाखिल नहीं कर पाया और समय बीत गया. लिहाजा बीजेपी उम्मीदवार साधना सिंह का निर्वाचन निर्विरोध होना तय हो गया है.

चुनौतियों से खेलना मेरी पुरानी आदत : साधना सिंह
चुनौतियों से खेलना मेरी पुरानी आदत : साधना सिंह
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Published : Jun 26, 2021, 8:08 PM IST

गोरखपुर: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साधना सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. शनिवार 26 जून को नामांकन की तिथि और तय समय तीन बजे तक सिर्फ साधना सिंह ने ही नामांकन दाखिल किया. बाकी किसी अन्य प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया. ऐसी परिस्थिति में उनका निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. हालांकि इसके पहले साधना सिंह दिन के 12:30 पर अपना नामांकन कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय में दाखिल किया. जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिलाधिकारी के. विजेंद्र पांडियन ने उनका नामांकन पत्र स्वीकार किया. इस दौरान परिसर में पूरी तरह से गहमागहमी मची रही.

चुनौतियों से खेलना मेरी पुरानी आदत : साधना सिंह





नामांकन के बाद साधना सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह चुनौतियों से नहीं डरती और न ही विरोधियों से. उन्हें सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. इससे वह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. साधना सिंह पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की पुत्रवधू हैं और उनके पति फतेह बहादुर सिंह पिछले 30 वर्षों से विधानसभा के सदस्य हैं. इसके पहले 2010 में भी साधना सिंह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं, तब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और उनके पति फतेह बहादुर सिंह वन एवं जीव जंतु कल्याण मंत्री हुआ करते थे. साधना सिंह की प्रत्याशिता को से लेकर बीजेपी में घमासान मचा हुआ था, लेकिन वह प्रत्याशी बनीं और अंततः शनिवार को वह दिन आ ही गया जब एक बार फिर वह अपनी रणनीति के साथ निर्विरोध निर्वाचित होने की स्थिति में आ गईं.

पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह की पुत्र वधू हैं साधना

सूत्रों की माने तो जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की गोटी सेट करने में कई तरह के दांव आजमाए गए. गोरखपुर में जिला पंचायत के कुल 68 सदस्य थे. जिनमें से 65 सदस्यों का समर्थन साधना सिंह को प्राप्त होने की खबर थी. जिसका नतीजा रहा कि समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार आलोक गुप्ता नामांकन से पीछे हट गए और पार्टी ने अचानक ही जितेंद्र यादव को प्रत्याशी बना दिया.

जितेंद्र यादव का नामांकन कराने के लिए समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी समेत कुछ समर्थक कलेक्ट्रेट पर पहुंचे ही थे कि वहां मारपीट और अन्य तरह की गतिविधियां पैदा हो गई, कोशिश यही हुई कि समाजवादी पार्टी के लोग नामांकन पत्र दाखिल न कर पावें और हुआ भी ऐसा ही. 3:00 बजे का समय बीत गया और दूसरा नामांकन दाखिल नहीं हो पाया. जिससे साधना सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है सिर्फ प्रमाण पत्र मिलना बाकी है.

गोरखपुर: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साधना सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. शनिवार 26 जून को नामांकन की तिथि और तय समय तीन बजे तक सिर्फ साधना सिंह ने ही नामांकन दाखिल किया. बाकी किसी अन्य प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया. ऐसी परिस्थिति में उनका निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है. हालांकि इसके पहले साधना सिंह दिन के 12:30 पर अपना नामांकन कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कलेक्ट्रेट कार्यालय में दाखिल किया. जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिलाधिकारी के. विजेंद्र पांडियन ने उनका नामांकन पत्र स्वीकार किया. इस दौरान परिसर में पूरी तरह से गहमागहमी मची रही.

चुनौतियों से खेलना मेरी पुरानी आदत : साधना सिंह





नामांकन के बाद साधना सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह चुनौतियों से नहीं डरती और न ही विरोधियों से. उन्हें सदस्यों का समर्थन प्राप्त है. इससे वह अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. साधना सिंह पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की पुत्रवधू हैं और उनके पति फतेह बहादुर सिंह पिछले 30 वर्षों से विधानसभा के सदस्य हैं. इसके पहले 2010 में भी साधना सिंह निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं, तब उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और उनके पति फतेह बहादुर सिंह वन एवं जीव जंतु कल्याण मंत्री हुआ करते थे. साधना सिंह की प्रत्याशिता को से लेकर बीजेपी में घमासान मचा हुआ था, लेकिन वह प्रत्याशी बनीं और अंततः शनिवार को वह दिन आ ही गया जब एक बार फिर वह अपनी रणनीति के साथ निर्विरोध निर्वाचित होने की स्थिति में आ गईं.

पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह की पुत्र वधू हैं साधना

सूत्रों की माने तो जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन की गोटी सेट करने में कई तरह के दांव आजमाए गए. गोरखपुर में जिला पंचायत के कुल 68 सदस्य थे. जिनमें से 65 सदस्यों का समर्थन साधना सिंह को प्राप्त होने की खबर थी. जिसका नतीजा रहा कि समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार आलोक गुप्ता नामांकन से पीछे हट गए और पार्टी ने अचानक ही जितेंद्र यादव को प्रत्याशी बना दिया.

जितेंद्र यादव का नामांकन कराने के लिए समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी समेत कुछ समर्थक कलेक्ट्रेट पर पहुंचे ही थे कि वहां मारपीट और अन्य तरह की गतिविधियां पैदा हो गई, कोशिश यही हुई कि समाजवादी पार्टी के लोग नामांकन पत्र दाखिल न कर पावें और हुआ भी ऐसा ही. 3:00 बजे का समय बीत गया और दूसरा नामांकन दाखिल नहीं हो पाया. जिससे साधना सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया है सिर्फ प्रमाण पत्र मिलना बाकी है.

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