गोरखपुर: भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. ऐसा ही एक मंदिर मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में बाबा मुक्तेश्वर नाथ सिद्धपीठ है जहां भक्त दूर-दूर से मनोकामना की पूर्ति के लिए आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि बाबा मुक्तेश्वर नाथ का शिवलिंग सैकड़ों वर्ष पूर्व स्वयं प्रकट हुआ था. मुक्तेश्वर का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां मृतकों को मुक्ति मिलती है. वहीं श्रद्धालुओं व पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मौजूदा प्रदेश सरकार इसके सुंदरीकरण के कार्य में लगी हुई है.
ट्रांसपोर्ट नगर स्थित बर्फखाने के पास सैकड़ों वर्षों से विराजमान बाबा मुक्तेश्वर नाथ सिद्धपीठ का काफी महत्व रहा है. मान्यता है कि यहां आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता. जानकार बताते हैं कि सैकड़ों वर्षों पूर्व राप्ती नदी के तट पर भगवान भोलेनाथ शंभू के रूप में प्रकट हुए थे. तभी से यहां विराजमान है. माना जाता है कि बाबा मुक्तेश्वरनाथ के तट पर लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती. इसीलिए इनका नाम बाबा मुक्तेश्वर नाथ पड़ गया.
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साल के 365 दिन यहां भक्तों का रेला लगा रहता है. दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक कर भक्त भगवान भोले को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं. मां पार्वती भगवान गणेश और नंदी के साथ भगवान भोलेनाथ का मंदिर मध्य स्थिति गर्भ गृह में विराजमान है. सूबे के मुखिया व गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए तमाम योजनाओं का यहां शिलान्यास व लोकार्पण किया है.
अपने पूर्वजों के साथ मंदिर आने वाले भक्त रुपेश बताते हैं कि कई वर्षों से वह लगातार बाबा मुक्तेश्वर नाथ सिद्धपीठ मंदिर में आते रहते हैं. भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. यहां जो भी मांगा वह मिला. यहां दूर दूर से भक्त आकर भगवान का पूजा पाठ करते हैं.
मंदिर के पुजारी सत्रुनजय बताते हैं कि उनकी कई पीढ़ी बाबा मुक्तेश्वर नाथ सिद्धपीठ की पूजा अर्चना में समर्पित रही है. पीठाधीश्वर ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए यहां पर धर्मशाला सोचालय मंदिर का निर्माण वृक्षारोपण संहिता कराया. निखार से लिए करोड़ों रूपये स्वीकृत किए.