गोरखपुर : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग से बीजेपी के चुनाव चिन्ह को लेकर जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि बीजेपी चुनाव चिन्ह के तौर पर राष्ट्रीय फूल कमल का प्रयोग कैसे कर सकती है. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में गोरखपुर के समाजवादी पार्टी नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट काली शंकर यादव ने एक जनहित याचिका दायर कर रखी थी. इसके पूर्व में भी सुनवाई कोर्ट में हुई थी, लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है क्योंकि निर्वाचन आयोग को अपना पक्ष 16 अगस्त को हाईकोर्ट के समक्ष रखना है.
चुनाव चिन्ह के मुद्दे को लेकर बीजेपी के ऊपर बड़ा हमला करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता काली शंकर यादव से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने कई तरह की कमियों की ओर इशारा किया. काली शंकर ने कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पास तो राष्ट्रीय पुष्प के रूप में पंजीकृत किसी पुष्प का नाम ही नहीं है. उनकी आरटीआई से इसका भी खुलासा हुआ है, लेकिन जब राष्ट्रीय पुष्प के रूप में सरकार कमल को घोषित करती है तो फिर यह किसी राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह कैसे हो सकता है.
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कालीशंकर ने इसके साथ यह भी मांग किया है कि हर राजनीतिक दल अपने चुनाव चिन्ह के साथ लगातार चुनाव प्रचार में जुटे होते हैं और जनता को प्रभावित करते हैं, जबकि लोकतंत्र में चुनाव लड़ने की सबको आजादी है. निर्दलीय प्रत्याशियों को इसमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. क्योंकि नामांकन के बाद जब निर्दलीयों के चुनाव चिन्ह को वैधता प्रदान की जाती है तब वह कुछ दिनों के लिए ही मात्र अपने चुनाव चिन्ह के सहारे चुनाव लड़ते हैं, जबकि राजनीतिक दल अपने चुनाव चिन्ह का प्रचार हमेशा करते रहते हैं. कालीशंकर का कहना है कि चुनाव चिन्ह सिर्फ चुनाव तक ही सीमित रहना चाहिए. किसी भी राजनीतिक दल को पार्टी के लोगों के रूप में इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं होना चाहिए यदि राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह का दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है तो या निर्दलीयों के साथ अन्याय और विभेदकारी है.