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खुफिया एजेंसियां एलर्ट: नेपाल बार्डर पर मदरसों की गत‍िविधियों और आय की होगी जांच - गोरखपुर में खुफिया एजेंसियां एलर्ट

गोरखपुर जिले में भारत-नेपाल बार्डर पर सुरक्षा को लेकर खुफिया एजेंसियां और पुलिस विभाग पूरी तरह से एलर्ट है. बार्डर पर संदिग्‍ध गति‍विधियों के साथ 300 से अधिक मदरसों के अस्तित्‍व और उनके क्रियाकलापों पर भी खुफिया ऐजेंसियों की नजर है.

एडीजी जोन गोरखपुर
एडीजी जोन गोरखपुर
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Published : Dec 30, 2020, 6:18 PM IST

गोरखपुरः भारत-नेपाल बार्डर पर सुरक्षा को लेकर खुफिया एजेंसियां और पुलिस विभाग पूरी तरह से एलर्ट है. बार्डर पर संदिग्‍ध गति‍विधियों के साथ 300 से अधिक मदरसों के अस्तित्‍व और उनके क्रियाकलापों पर भी खुफिया ऐजेंसियों की नजर है. बार्डर के पास अचानक अस्तित्‍व में आए इन मदरसों और मस्जिदों की जरूरत और उनके आय के स्रोत का आधार पता नहीं होने से खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. ऐसे में अब इनकी हर तरह से जांच की जा रही है.

एडीजी जोन ने दी जानकारी
गोरखपुर के एडीजी जोन दावा शेरपा ने बताया कि भारत-नेपाल अंतरराष्‍ट्रीय बार्डर अति संवेदनशील है. खुली सीमा होने की वजह से ये और अधिक संवेदनशील है. जहां तक बार्डर किनारे बने मदरसों का सवाल है, कई ऐसे भवन या भवन और शैक्षणिक संस्‍थान के रूप में बनाए गए हैं. प्रथम दृष्‍टया देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वहां के जो लोगों की आर्थिक स्थिति आय का स्रोत है. उससे काफी अधिक और बड़े दिखाई देते हैं.

उन्होंने कहा कि गोपनीय रूप और अन्‍य माध्‍यम से ये पता करने में जुटे हैं कि ये किसी आपराधिक और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्‍त तो नहीं है. इसके साथ ये भी देखा जा रहा है कि ये किसी षड्यंत्र का हिस्‍सा तो नहीं है. इस प्रकार से संवेदनशील बार्डर के इलाके में इस माध्‍यम से किसी प्रकार की अवैधानिक और देश विरोधी गतिविधियों को तो बढ़ावा नहीं मिल रहा है. इसकी भी सतत जांच और परीक्षण करा रहे हैं. वे बताते हैं कि 300 से अधिक मदरसे खोले गए हैं. हैरत की बात ये है कि इतने अधिक स्‍टूडेंट भी नहीं हैं. तो आखिर इसकी क्‍या जरूरत है.

गोरखपुरः भारत-नेपाल बार्डर पर सुरक्षा को लेकर खुफिया एजेंसियां और पुलिस विभाग पूरी तरह से एलर्ट है. बार्डर पर संदिग्‍ध गति‍विधियों के साथ 300 से अधिक मदरसों के अस्तित्‍व और उनके क्रियाकलापों पर भी खुफिया ऐजेंसियों की नजर है. बार्डर के पास अचानक अस्तित्‍व में आए इन मदरसों और मस्जिदों की जरूरत और उनके आय के स्रोत का आधार पता नहीं होने से खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं. ऐसे में अब इनकी हर तरह से जांच की जा रही है.

एडीजी जोन ने दी जानकारी
गोरखपुर के एडीजी जोन दावा शेरपा ने बताया कि भारत-नेपाल अंतरराष्‍ट्रीय बार्डर अति संवेदनशील है. खुली सीमा होने की वजह से ये और अधिक संवेदनशील है. जहां तक बार्डर किनारे बने मदरसों का सवाल है, कई ऐसे भवन या भवन और शैक्षणिक संस्‍थान के रूप में बनाए गए हैं. प्रथम दृष्‍टया देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वहां के जो लोगों की आर्थिक स्थिति आय का स्रोत है. उससे काफी अधिक और बड़े दिखाई देते हैं.

उन्होंने कहा कि गोपनीय रूप और अन्‍य माध्‍यम से ये पता करने में जुटे हैं कि ये किसी आपराधिक और देश विरोधी गतिविधियों में लिप्‍त तो नहीं है. इसके साथ ये भी देखा जा रहा है कि ये किसी षड्यंत्र का हिस्‍सा तो नहीं है. इस प्रकार से संवेदनशील बार्डर के इलाके में इस माध्‍यम से किसी प्रकार की अवैधानिक और देश विरोधी गतिविधियों को तो बढ़ावा नहीं मिल रहा है. इसकी भी सतत जांच और परीक्षण करा रहे हैं. वे बताते हैं कि 300 से अधिक मदरसे खोले गए हैं. हैरत की बात ये है कि इतने अधिक स्‍टूडेंट भी नहीं हैं. तो आखिर इसकी क्‍या जरूरत है.

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