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पति के इलाज में पत्नी ने खर्च किए 72 लाख, मजबूर महिला को सरकार से मदद की दरकार

गोरखपुर शहर के सुमेर सागर क्षेत्र में महिला अपने पति के इलाज पर 72 लाख रुपए खर्च कर चुकी है. बावजूद इसके अभी भी उसके पति की हालत में कोई खास सुधार नहीं है. जिसके बाद अब हर तरह से टूट चुकी मजबूर महिला को सरकार और समाज के लोगों से मदद की दरकार है.

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Published : Dec 13, 2019, 11:42 PM IST

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बबिता और उसके पति संतोष.

गोरखपुर: पति के इलाज के लिए महिला मौजूदा समय में 'सावित्री' की तरह त्याग कर रही है. मजबूर बबिता ने जेवर, घर-बार बेचकर करीब 72 लाख रुपए पति के इलाज पर खर्च कर दिए, लेकिन अभी भी उसके पति की हालत में कोई खास सुधार नहीं है. यही वजह है कि आगे के इलाज के लिए अब उसे सरकार और समाज के लोगों से मदद की आस है.

लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं सुधरी महिला के पति की हालत.
बबिता पर टूटा आफत का पहाड़
मजबूर बबिता पर आफत का यह पहाड़ 13 मई 2018 की शाम को आया, जब उसके पति संतोष श्रीवास्तव जो एक निजी बैंक में कार्यरत थे, वह घर के लिए वापस आए. उनके सिर और बदन में काफी दर्द हो रहा था. लोग इसे गर्मी और लू का कारण भी समझ रहे थे, लेकिन जब उनके शरीर का कुछ हिस्सा अचानक काम करना बंद कर दिया तो लोग डॉक्टर के पास भागे. गोरखपुर में इलाज संभव नहीं हो पाया तो बबिता पति को लेकर लखनऊ पहुंची.

लकवा जैसी स्थिति में है संतोष का शरीर
बबिता लखनऊ में सहारा अस्पताल इलाज के लिए पहुंचती, इसके पहले ही उसके पति का पूरा शरीर सुन्न हो चुका था. सहारा अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करना शुरू किया, लेकिन लकवे जैसी स्थिति में आ चुके संतोष के पूरे शरीर को पहले की अवस्था में लाने के लिए लंबे समय तक इलाज करने की बात कही, जो काफी खर्चीला भी था. बबीता ने हिम्मत जुटाई और पति के इलाज में ऐसे जुट गई जैसे पौराणिक काल में सती सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों के लिए जूझ पड़ी थी.

शासन को भेजी गई फाइल
बबिता मौजूदा समय में थक तो रही है, लेकिन हिम्मत नहीं हार रही है. यहीं वजह है कि उसकी गुहार को जिला प्रशासन ने सुना है और मदद के लिए स्थानीय स्तर पर सारी कोशिशें भी कर रहा है. साथ ही इलाज के खर्च का आंकलन करते हुए जिलाधिकारी गोरखपुर ने इस बारे में फाइल शासन को भेज दी है.

मोहल्ले से लेकर नातेदार सभी कर रहे हैं बबिता की मदद
बबिता का घर शहर के सुमेर सागर क्षेत्र में स्थित है, जहां उनका एक कमरा पूरी तरह से करीब अस्पताल ही बन चुका है. पति बेड पर हैं, जिनकी देखभाल बबिता खुद ही करती हैं. एक बार मुख्यमंत्री राहत कोष से ढाई लाख रुपए की मदद बबिता को मिल भी चुकी हैं, लेकिन अब पति के इलाज के लिए बड़ी मदद की गुहार है. वहीं मजबूर बबिता की मदद के लिए मोहल्ले से लेकर सभी लोग आगे आ रहे हैं और हर संभव मदद को तैयार हैं.

गोरखपुर: पति के इलाज के लिए महिला मौजूदा समय में 'सावित्री' की तरह त्याग कर रही है. मजबूर बबिता ने जेवर, घर-बार बेचकर करीब 72 लाख रुपए पति के इलाज पर खर्च कर दिए, लेकिन अभी भी उसके पति की हालत में कोई खास सुधार नहीं है. यही वजह है कि आगे के इलाज के लिए अब उसे सरकार और समाज के लोगों से मदद की आस है.

लाखों खर्च करने के बाद भी नहीं सुधरी महिला के पति की हालत.
बबिता पर टूटा आफत का पहाड़
मजबूर बबिता पर आफत का यह पहाड़ 13 मई 2018 की शाम को आया, जब उसके पति संतोष श्रीवास्तव जो एक निजी बैंक में कार्यरत थे, वह घर के लिए वापस आए. उनके सिर और बदन में काफी दर्द हो रहा था. लोग इसे गर्मी और लू का कारण भी समझ रहे थे, लेकिन जब उनके शरीर का कुछ हिस्सा अचानक काम करना बंद कर दिया तो लोग डॉक्टर के पास भागे. गोरखपुर में इलाज संभव नहीं हो पाया तो बबिता पति को लेकर लखनऊ पहुंची.

लकवा जैसी स्थिति में है संतोष का शरीर
बबिता लखनऊ में सहारा अस्पताल इलाज के लिए पहुंचती, इसके पहले ही उसके पति का पूरा शरीर सुन्न हो चुका था. सहारा अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करना शुरू किया, लेकिन लकवे जैसी स्थिति में आ चुके संतोष के पूरे शरीर को पहले की अवस्था में लाने के लिए लंबे समय तक इलाज करने की बात कही, जो काफी खर्चीला भी था. बबीता ने हिम्मत जुटाई और पति के इलाज में ऐसे जुट गई जैसे पौराणिक काल में सती सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों के लिए जूझ पड़ी थी.

शासन को भेजी गई फाइल
बबिता मौजूदा समय में थक तो रही है, लेकिन हिम्मत नहीं हार रही है. यहीं वजह है कि उसकी गुहार को जिला प्रशासन ने सुना है और मदद के लिए स्थानीय स्तर पर सारी कोशिशें भी कर रहा है. साथ ही इलाज के खर्च का आंकलन करते हुए जिलाधिकारी गोरखपुर ने इस बारे में फाइल शासन को भेज दी है.

मोहल्ले से लेकर नातेदार सभी कर रहे हैं बबिता की मदद
बबिता का घर शहर के सुमेर सागर क्षेत्र में स्थित है, जहां उनका एक कमरा पूरी तरह से करीब अस्पताल ही बन चुका है. पति बेड पर हैं, जिनकी देखभाल बबिता खुद ही करती हैं. एक बार मुख्यमंत्री राहत कोष से ढाई लाख रुपए की मदद बबिता को मिल भी चुकी हैं, लेकिन अब पति के इलाज के लिए बड़ी मदद की गुहार है. वहीं मजबूर बबिता की मदद के लिए मोहल्ले से लेकर सभी लोग आगे आ रहे हैं और हर संभव मदद को तैयार हैं.

Intro:गोरखपुर। पति के इलाज के लिए गोरखपुर की एक महिला मौजूदा समय में 'सावित्री' की तरह त्याग करती नजर आ रही है। जेवर- जेवरात, घर-बार बेचकर उसने करीब 72 लाख रुपए अपने पति के इलाज पर खर्च कर दिया है लेकिन अभी भी उसके पति की हालत में कोई खास सुधार नहीं है। यही वजह है कि आगे के इलाज के लिए अब उसे सरकार और समाज के लोगों से मदद की दरकार है। आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी बबिता नाम की इस महिला कि मजबूत इरादों को देखते हुए उसके पति के इलाज में मदद के लिए गोरखपुर का जिला प्रशासन और तमाम लोग भी आगे आ रहे हैं।

नोट--कम्प्लीट स्टोरी, वॉइस ओवर अटैच,, स्पेशल स्टोरी


Body:बबिता के ऊपर आफत का यह पहाड़ 13 मई 2018 की शाम को आया। जब उसके पति संतोष श्रीवास्तव जो एक निजी बैंक में कार्य करते थे घर को वापस आए। उनके सिर और बदन में काफी दर्द हो रहा था। लोग इसे गर्मी और लू का कारण भी समझ रहे थे। लेकिन जब उनके शरीर का कुछ हिस्सा अचानक काम करना बंद कर दिया तो लोग डॉक्टर के पास भागे। गोरखपुर में इलाज संभव नहीं हो पाया तो बबिता पति को लेकर लखनऊ की ओर रवाना हो गई। वह सहारा अस्पताल इलाज के लिए पहुंचती इसके पहले उसके पति का पूरा शरीर सुन्न हो चुका था। सहारा अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज करना प्रारंभ किया लेकिन लकवा जैसी स्थिति में आ चुकी संतोष के पूरे शरीर को पहले की अवस्था में लाने के लिए लंबे समय तक इलाज करने की बात कही जो काफी खर्चीला भी था। बबीता ने हिम्मत जुटाई और पति के इलाज में ऐसे जुट गई जैसे पौराणिक काल में सती सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों के लिए जूझ पड़ी थी। मौजूदा समय में वह थक तो रही है लेकिन हिम्मत नहीं हार रही है। यही वजह है कि उसकी गुहार को जिला प्रशासन ने सुना है और मदद के लिए स्थानीय स्तर पर सारी कोशिश के साथ इलाज के खर्च का आंकलन करते हुए जिलाधिकारी गोरखपुर ने फाइल शासन को भेज दिया है।

बाइट--बबिता श्रीवास्तव, संतोष की पत्नी
बाइट--के विजेंद्र पांडियन, डीएम, गोरखपुर


Conclusion:बबिता का घर शहर के सुमेर सागर क्षेत्र में स्थित है। जहां उनका एक कमरा पूरी तरह से अस्पताल का कमरा बन चुका है। पति बेड पर हैं। जिनकी देखभाल तो वह करती ही हैं। स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के लिए 2 स्वास्थ्य कर्मी तैनात किए गए हैं। जिनका वेतन भी बबिता को ही देना पड़ता है। मोहल्ले से लेकर नातेदार सभी ने उसकी मदद की है लेकिन आगे की लड़ाई को जारी रखने के लिए उसे बिना सरकारी और समाज के मदद के लड़ पाना काफी कठिन लगता है। एक बार मुख्यमंत्री राहत कोष से ढाई लाख रुपए की उसे मदद मिल भी चुकी हैं लेकिन अब बड़ी मदद की गुहार है। छोटी-छोटी मदद के लिए तो तमाम लोग बबीता के घर पहुंच रहे हैं। बबिता को मदद करने वाले उनके मोबाइल नंबर 7007163072 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

बाइट--बबिता श्रीवास्तव

मुकेश पाण्डेय...
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