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डेढ़ साल से ग्राम पंचायत के विकास कार्यों का भुगतान न होने का आरोप, 70 प्रधान इस्तीफा देने पर अड़े

गोरखपुर में ग्राम पंचायत के विकास कार्यों का भुगतान न होने से नाराज 70 प्रधानों ने अपना इस्तीफा सौंपने की बात कही है. प्रधानों का आरोप है कि जिला प्रशासन ग्राम पंचायतो के विकास के लिए गंभीर नहीं है.

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Published : Dec 30, 2022, 8:58 PM IST

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जिला मुख्यालय पर प्रधानों ने विरोध प्रधानों किया.
जिला मुख्यालय पर प्रधानों ने विकास खंड अधिकारी के खिलाफ विरोध जताया

गोरखपुरः जिले के बांसगांव विकास खंड में पिछले डेढ़ साल से मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत कराए गए विकास कार्यों के मद में खर्च किए गए बजट का भुगतान नहीं होने का आरोप लगा है. इससे नाराज करीब 70 प्रधानों ने विकास खंड अधिकारी के खिलाफ शुक्रवार को मोर्चा खोल दिया. प्रधानों ने जिला मुख्यालय और डीपीआरओ कार्यालय पर प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया. इस दौरान 70 प्रधानों ने शर्तों के साथ अपने इस्तीफे भी सौंप दिया.

प्रधानों का आरोप था कि विकास कार्य के मद में खर्च किए गए बजट का भुगतान न किए जाने की शिकायत भी की गई. इस समस्या को लेकर कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से भी मुलाकात की गई. कमिश्नर से लेकर जिलाधिकारी तक को अपनी शिकायत पहुंचाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही. प्रधानों ने कहा कि ब्लॉक पर गंभीर और स्थाई बीडीओ की तैनाती भी नहीं हो रही. जो बीडीओ आ रहा है, वह गांव के विकास में भुगतान को रोककर बाधा पहुंचा रहा है. इस दौरान प्रधानों ने साफ तौर पर कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए, नहीं तो वह घर वापस नहीं लौटेंगे.

प्रधानों के इस प्रदर्शन का ब्लॉक प्रमुख शिवा जी चंद्र का भी सहयोग मिला. ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि उनके ब्लॉक पर अक्सर आईएस ट्रेनी बीडीओ बनकर पहुंचते हैं. जो कार्य को समझते नहीं और फाइलों को लटका के रखते हैं. इसका नतीजा है कि गांव में विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. प्रधानों का आंदोलन कहीं से भी गलत नहीं है. अगर किए गए कार्य का भुगतान नहीं होगा तो मनरेगा और नरेगा के तहत कार्य करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी कैसे मिलेगी.

उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से भुगतान को रोकना कहां तक जायज है. इस कार्य में जो भी लापरवाही बरत रहा है, उसे जिला स्तर के अधिकारियों को संज्ञान में लेना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए. ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि सरकार की मंशा है कि गांव का विकास हो. निरंतर विकास की प्रक्रिया आगे बढ़े. लेकिन जब ब्लॉक स्तरीय अधिकारी ही विकास कार्य में रोड़ा लगाएंगे तो विकास कैसे होगा.

प्रधान संघ के ब्लॉक महामंत्री ने इस दौरान कहा कि उन्होंने अपनी शिकायतों को उच्च स्तर तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अगर कार्य गलत है तो उसका ऑडिट कराया जाना चाहिए. बिना ऑडिट के कार्य रोका जाना मजदूरों का भुगतान रोकना और पेमेंट न करना यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बांसगांव ब्लॉक पर साल 2014 से लेकर अब तक करीब 26 बीडीओ की तैनाती की जा चुकी है. जो यह दर्शाती है कि इस ब्लॉक को लेकर जिला प्रशासन स्तर से भी लापरवाही बरती जाती है. लंबे समय तक कार्य करने वाला बीडीओ समस्याओं को समझेगा विकास को आगे बढ़ाएगा.

लेकिन आज वहां पर मनमाने पन की वजह से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य रुक गया है. धन का आवंटन नहीं किए जाने से जो विकास कार्य किए गए हैं, उसके लिए जिन्होंने भी अपने सामग्री की सप्लाई ग्राम पंचायतों को की है, वह लगातार डिमांड कर रहे हैं. लेकिन बजट नहीं होने से उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा.

उन्होंने कहा कि शिकायतें नहीं सुनी गई तो अब आगे वह मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे. इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर ने कहा कि प्रधानों का डिमांड पत्र लिया गया है. लेकिन उनका इस्तीफा जिला पंचायत अध्यक्ष या कमिश्नर ही ले सकते हैं. समस्याओं की जानकारी उच्च अधिकारियों को बताईं जाएगी.

ये भी पढ़ेंः वाराणसी में घटा बाल विवाह का ग्राफ, चार वर्ष में 39 किशोरियों का हुआ रेस्क्यू

जिला मुख्यालय पर प्रधानों ने विकास खंड अधिकारी के खिलाफ विरोध जताया

गोरखपुरः जिले के बांसगांव विकास खंड में पिछले डेढ़ साल से मनरेगा और अन्य योजनाओं के तहत कराए गए विकास कार्यों के मद में खर्च किए गए बजट का भुगतान नहीं होने का आरोप लगा है. इससे नाराज करीब 70 प्रधानों ने विकास खंड अधिकारी के खिलाफ शुक्रवार को मोर्चा खोल दिया. प्रधानों ने जिला मुख्यालय और डीपीआरओ कार्यालय पर प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया. इस दौरान 70 प्रधानों ने शर्तों के साथ अपने इस्तीफे भी सौंप दिया.

प्रधानों का आरोप था कि विकास कार्य के मद में खर्च किए गए बजट का भुगतान न किए जाने की शिकायत भी की गई. इस समस्या को लेकर कई बार जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से भी मुलाकात की गई. कमिश्नर से लेकर जिलाधिकारी तक को अपनी शिकायत पहुंचाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही. प्रधानों ने कहा कि ब्लॉक पर गंभीर और स्थाई बीडीओ की तैनाती भी नहीं हो रही. जो बीडीओ आ रहा है, वह गांव के विकास में भुगतान को रोककर बाधा पहुंचा रहा है. इस दौरान प्रधानों ने साफ तौर पर कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए, नहीं तो वह घर वापस नहीं लौटेंगे.

प्रधानों के इस प्रदर्शन का ब्लॉक प्रमुख शिवा जी चंद्र का भी सहयोग मिला. ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि उनके ब्लॉक पर अक्सर आईएस ट्रेनी बीडीओ बनकर पहुंचते हैं. जो कार्य को समझते नहीं और फाइलों को लटका के रखते हैं. इसका नतीजा है कि गांव में विकास कार्य प्रभावित हो रहा है. प्रधानों का आंदोलन कहीं से भी गलत नहीं है. अगर किए गए कार्य का भुगतान नहीं होगा तो मनरेगा और नरेगा के तहत कार्य करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी कैसे मिलेगी.

उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से भुगतान को रोकना कहां तक जायज है. इस कार्य में जो भी लापरवाही बरत रहा है, उसे जिला स्तर के अधिकारियों को संज्ञान में लेना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए. ब्लॉक प्रमुख ने कहा कि सरकार की मंशा है कि गांव का विकास हो. निरंतर विकास की प्रक्रिया आगे बढ़े. लेकिन जब ब्लॉक स्तरीय अधिकारी ही विकास कार्य में रोड़ा लगाएंगे तो विकास कैसे होगा.

प्रधान संघ के ब्लॉक महामंत्री ने इस दौरान कहा कि उन्होंने अपनी शिकायतों को उच्च स्तर तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अगर कार्य गलत है तो उसका ऑडिट कराया जाना चाहिए. बिना ऑडिट के कार्य रोका जाना मजदूरों का भुगतान रोकना और पेमेंट न करना यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बांसगांव ब्लॉक पर साल 2014 से लेकर अब तक करीब 26 बीडीओ की तैनाती की जा चुकी है. जो यह दर्शाती है कि इस ब्लॉक को लेकर जिला प्रशासन स्तर से भी लापरवाही बरती जाती है. लंबे समय तक कार्य करने वाला बीडीओ समस्याओं को समझेगा विकास को आगे बढ़ाएगा.

लेकिन आज वहां पर मनमाने पन की वजह से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य रुक गया है. धन का आवंटन नहीं किए जाने से जो विकास कार्य किए गए हैं, उसके लिए जिन्होंने भी अपने सामग्री की सप्लाई ग्राम पंचायतों को की है, वह लगातार डिमांड कर रहे हैं. लेकिन बजट नहीं होने से उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा.

उन्होंने कहा कि शिकायतें नहीं सुनी गई तो अब आगे वह मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे. इस संबंध में जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर ने कहा कि प्रधानों का डिमांड पत्र लिया गया है. लेकिन उनका इस्तीफा जिला पंचायत अध्यक्ष या कमिश्नर ही ले सकते हैं. समस्याओं की जानकारी उच्च अधिकारियों को बताईं जाएगी.

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