गोरखपुर : शिक्षा के क्षेत्र में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षा संस्थानों की है, उतनी ही उनकी दूरदर्शिता की भी है. समय के साथ नये बदलाव को अपनाने से ही शिक्षा स्तर का बेहतर विकास हो सकता है. यह विचार प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को पं0 दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के 39वें दीक्षांत समारोह के दौरान ऑनलाइन अपने सम्बोधन में व्यक्त किए.
39वां दिक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नाम एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी से जुड़ा हुआ है. पंडित जी उच्च कोटि के राजनेता ओर दार्शनिक एवं विचारक थे. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश की आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था भारतीय संस्कृति की बुनियाद पर ही निर्धारित और नियोजित होनी चाहिए. उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि दीक्षान्त समारोह किसी भी विद्यार्थी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से एक होता है. विद्यार्थी के इम्तिहान का यह सफर अभी समाप्त नहीं हुआ है, आगे जीवन में बहुत सारी चुनौतियां आयेंगी, जिनका डटकर सामना करना होगा.
54 मेधावियों को पदक, 155 को उपाधि
दीक्षांत समारोह के दौरान वार्षिक परीक्षाओं में उत्कृष्ट अंक हासिल करने वाले 54 मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. पदक हासिल करने वालों में 41 छात्राएं और 13 छात्र शामिल रहे. साथ ही साथ 155 शोधार्थियों को उपाधियां प्रदान की गईं.
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दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय की स्मारिका का भी आनलाइन विमोचन किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राजेश सिंह, कार्यपरिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, शिक्षणगण, कर्मचारीगण, आमंत्रित महानुभाव, उपाधि एवं पदक प्राप्त छात्र-छात्राएं आनलाइन जुड़े हुये थे.