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COPD से पूरे विश्व मे 30 करोड़ लोग पीड़ित, जानलेवा होती जा रही बीमारी

धूम्रपान और वायु प्रदूषण जानलेवा है. बावजूद इसके लोग बचाव को लेकर सतर्क नहीं है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों की संख्या आज करीब 30 करोड़ पहुंच गई है.

जानलेवा होती जा रही COPD
जानलेवा होती जा रही COPD
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Published : Nov 17, 2021, 11:48 AM IST

गोरखपुर: धूम्रपान और वायु प्रदूषण जानलेवा है. बावजूद इसके लोग बचाव को लेकर सतर्क नहीं है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों की संख्या आज करीब 30 करोड़ पहुंच गई है. बीड़ी, सिगरेट और धूम्रपान जहां लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है. वहीं, शहरों में बढ़ता प्रदूषण भी लोगों की सांस की नली और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. शुरुआती दौर की पहचान में तो इस पर काबू पाना संभव है. लेकिन गंभीर होने पर यह लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है. यह मौत का कारण भी बन रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इसके मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह कहना है गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद का.

दरअसल, विश्व सीओपीडी दिवस पर मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए डॉ. नदीम ने लोगों से इस बीमारी से बचने की अपील करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में आज 20वां सीओपीडी दिवस मनाया जा रहा है. जिसका उद्देश्य लोगों को लंग्स हेल्थ के बारे में जानकारी देना है और बचाव के उपायों को भी बताना है. डॉ. नदीम ने कहा कि इसके साथ ही खानपान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज

इसे भी पढ़ें -चौरी चौरा के इन गांवों से मिले कुषाणकाल के अवशेष, पुरातत्व अधिकारी ने की पुष्टि

उन्होंने कहा कि सीओपीडी की बीमारी पर रोक सही समय पर शुरू हुए इलाज से संभव है. इसका मुख्य लक्षण सांस फूलना और खांसी के साथ लगातार बलगम का आना है. सीओपीडी मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है और यह कम संसाधन वाले देशों में लोगों पर सबसे अधिक असर करता दिखाई देता है. उन्होंने कहा कि यह धूम्रपान करने वालों को ज्यादा प्रभावित करता है और प्रदूषण के संपर्क में आने से उसके कण भी लोगों को प्रभावित करते हैं.

पूरे विश्व में इस बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान को बचाने के लिए इस अभियान को चलाया जा रहा है. इसके चिकित्सक भी अपने हित से ज्यादा मानवहित पर जोर दे रहे हैं. इसलिए इस बीमारी को रोकने में इसके विशेषज्ञ भी बड़ी संख्या में आगे आए हैं.

इसे भी पढ़ें -फास्ट स्पीड में चल रहा आगरा मेट्रो का काम, बिना ट्रैफिक डायवर्ट किए चल रहा वर्क

गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद
गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सीओपीडी का कोई स्थायी इलाज नहीं है. लेकिन चिकित्सीय संपर्क और दवाओं के स्थायी सेवन से यह समाप्त भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बार इस बीमारी की रोकथाम का थीम 'हेल्दी- लंग्स -नो मोर -इम्पोर्टेन्ट' है.

कोविड-19 के दौरान इसका प्रकोप कुछ कम दिखा. लोग कोविड प्रोटोकॉल की वजह से घरों में रहे और प्रदूषण भी कम हुआ. इससे दिक्कतें कम हुई. तमाम लोगों ने दवाएं और इन्हेलर छोड़ दिया. ऐसे में लोगों के फेफड़े भी मजबूत हुए. उन्होंने कहा कि अगर कोविड प्रोटोकॉल का हमेशा पालन किया जाए तो सीओपीडी के मरीज हमेशा स्वस्थ रहेंगे.

उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में इसकी हालत ठीक नहीं है. धूम्रपान और धूल-गर्दे से लोग बचने का प्रयास करें. जैसे कोई दिक्कत समझ में आती हो तो निश्चित रूप से चिकित्सक से संपर्क करें. सही समय पर इलाज से जान का जोखिम कम रहेगा.

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गोरखपुर: धूम्रपान और वायु प्रदूषण जानलेवा है. बावजूद इसके लोग बचाव को लेकर सतर्क नहीं है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित लोगों की संख्या आज करीब 30 करोड़ पहुंच गई है. बीड़ी, सिगरेट और धूम्रपान जहां लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है. वहीं, शहरों में बढ़ता प्रदूषण भी लोगों की सांस की नली और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है. शुरुआती दौर की पहचान में तो इस पर काबू पाना संभव है. लेकिन गंभीर होने पर यह लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल कर देता है. यह मौत का कारण भी बन रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इसके मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यह कहना है गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद का.

दरअसल, विश्व सीओपीडी दिवस पर मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए डॉ. नदीम ने लोगों से इस बीमारी से बचने की अपील करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में आज 20वां सीओपीडी दिवस मनाया जा रहा है. जिसका उद्देश्य लोगों को लंग्स हेल्थ के बारे में जानकारी देना है और बचाव के उपायों को भी बताना है. डॉ. नदीम ने कहा कि इसके साथ ही खानपान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज

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उन्होंने कहा कि सीओपीडी की बीमारी पर रोक सही समय पर शुरू हुए इलाज से संभव है. इसका मुख्य लक्षण सांस फूलना और खांसी के साथ लगातार बलगम का आना है. सीओपीडी मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है और यह कम संसाधन वाले देशों में लोगों पर सबसे अधिक असर करता दिखाई देता है. उन्होंने कहा कि यह धूम्रपान करने वालों को ज्यादा प्रभावित करता है और प्रदूषण के संपर्क में आने से उसके कण भी लोगों को प्रभावित करते हैं.

पूरे विश्व में इस बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान को बचाने के लिए इस अभियान को चलाया जा रहा है. इसके चिकित्सक भी अपने हित से ज्यादा मानवहित पर जोर दे रहे हैं. इसलिए इस बीमारी को रोकने में इसके विशेषज्ञ भी बड़ी संख्या में आगे आए हैं.

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गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद
गोरखपुर के मशहूर चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. नदीम अरशद

उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सीओपीडी का कोई स्थायी इलाज नहीं है. लेकिन चिकित्सीय संपर्क और दवाओं के स्थायी सेवन से यह समाप्त भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बार इस बीमारी की रोकथाम का थीम 'हेल्दी- लंग्स -नो मोर -इम्पोर्टेन्ट' है.

कोविड-19 के दौरान इसका प्रकोप कुछ कम दिखा. लोग कोविड प्रोटोकॉल की वजह से घरों में रहे और प्रदूषण भी कम हुआ. इससे दिक्कतें कम हुई. तमाम लोगों ने दवाएं और इन्हेलर छोड़ दिया. ऐसे में लोगों के फेफड़े भी मजबूत हुए. उन्होंने कहा कि अगर कोविड प्रोटोकॉल का हमेशा पालन किया जाए तो सीओपीडी के मरीज हमेशा स्वस्थ रहेंगे.

उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में इसकी हालत ठीक नहीं है. धूम्रपान और धूल-गर्दे से लोग बचने का प्रयास करें. जैसे कोई दिक्कत समझ में आती हो तो निश्चित रूप से चिकित्सक से संपर्क करें. सही समय पर इलाज से जान का जोखिम कम रहेगा.

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