गोरखपुरः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बीच प्रदेश सरकार जहां उच्च एवं प्राथमिक विद्यालयों को रोस्टर वार तरीके से खोलने की तैयारियों में जुटा है. वहीं मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में कई प्राथमिक विद्यालयों में भय का माहौल है. आलम ये है कि स्कूल के छज्जे टूट कर गिर रहे हैं, लिंटरो में दरारे हैं. एक ही क्लास में कई कक्षाएं चलाने को अध्यापक मजबूर हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने प्राथमिक विद्यालयों की समस्याओं से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया. जिस पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने भी ईटीवी भारत का आभार जताते हुए विद्यालयों को दुरुस्त कर अध्यन की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है.
जर्जर हुए स्कूल भवन
गोरखपुर के बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित 207 परिषदीय स्कूलों के भवनों में खतरे की घंटी बज रही है. ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं, जिन्हें कई बार विद्यालयों की ओर से पत्र लिखने के बाद भी उसे न तो ध्वस्त किया जा रहा है और न ही नया भवन बनाया जा रहा है. ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों की के साथ ही अध्यापकों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है.
कई बार हो चुके हैं हादसे
वैश्विक महामारी से पहले तक इनमें से 145 स्कूलों में कक्षाओं का संचालन होता रहा है. कई ऐसे भी विद्यालय हैं, जहां छोटे-मोटे हादसे होने से बच्चे और शिक्षक भी घायल हो चुके हैं. विद्यालय को पूर्व माध्यमिक करने के बाद प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या बढ़ने की वजह से बच्चों को बैठने की भी समस्या खड़ी हो गई है.
कभी भी हो सकता है हादसा
बेसिक शिक्षा विभाग 207 जर्जर भवनों में बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ा रहा है. ये भवन इतने जर्जर हैं कि कभी भी गिर सकते हैं. ऐसे में इन भवनों में पढ़ने वाले मासूमों की जान कितनी सुरक्षित है, इसका अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है. गोरखपुर के आना लालपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय के जर्जर हो चुके भवन की ईटीवी भारत ने पड़ताल की. यहां के भूतल पर कक्षा 6, 7 और 8 के छात्र पढ़ते हैं. वहीं प्रथम तल पर कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों की कक्षाएं संचालित होती है.
'एक हफ्ते में शुरू होगी कार्रवाई'
गोरखपुर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ईटीवी भारत से बताया कि जिले में 207 ऐसे भवन हैं, जो बहुत पहले के बने हुए हैं. जो जर्जर स्थिति में हैं. इसके लिए शासन के निर्देश पर त्रिसदस्यीय समिति शासन के निर्देश पर बनाया गया है. पीडब्ल्यूडी, लघु सिंचाई विभाग और आरईएस इसका अनुमान लगा रहे हैं कि कितने में ये भवन नीलाम हो सकते हैं. इस पर कार्रवाई एक सप्ताह के अंदर शुरू हो जाएगी.