गोंडा: उत्तर प्रदेश में बाढ़ के कहर से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. सैकड़ों गांव बाढ़ की वजह से टापू में तबदील हो गए हैं. गोंडा जिले में बाढ़ के पानी में डूबकर दो मासूमों की मौत हो गई. परसपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम चरसड़ी के मजरा खाले पुरवा में निवासी दानपाल का पांच वर्षीय पुत्र सनी और दो वर्षीय पुत्री लक्ष्मी खेलते हुए तालाब के पास पहुंच गई. तालाब में डूबकर दोनों मासूम की मौत हो गई. इस घटना से पूरे गांव में कोहराम मच गया. इस मामले में शाहपुर पुलिस चौकी प्रभारी सत्येंद्र वर्मा ने बताया कि दो बच्चो की डूबकर मौत हुई है.
नेपाल से छोड़े गए पानी का सैलाब पूर्वांचल के जिलों में जमकर तबाही मचा रहा है. बस्ती जनपद में भी सरयू नदी के तट पर बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इस वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय विधायक लगातार रेस्क्यू में जुटे हुए हैं. बीजेपी विधायक अजय सिंह जिला प्रशासन के साथ मिलकर बाढ़ से प्रभावित लाखों ग्रामीणों को तत्काल मदद पहुंचाने और उनके जानवरों को भी चारा देने के लिए तत्पर हैं. बस्ती जनपद में बाढ़ की विभीषिका से अब तक एक भी जनहानि नहीं हुई है.
बस्ती जिले में भी बाढ़ के रौद्र रूप से 70 गांव की एक लाख पब्लिक प्रभावित है, घाघरा नदी में अचानक हाई फ्लड आने से कई गांव जलमग्न हो गए, हजारों लोग बाढ़ की वजह से गांवों में फंसे हैं, जिनको जिला प्रशासन लगातार रेस्क्यू कर बाहर निकाल रहा है. बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित गांव अशोकपुर, लोहर बर्दिया, माझा कला, माझा किता अव्वल, कल्याणपुर, बाघानाला सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. अशोकपुर गांव में लगभग 5 हजार लोग बाढ़ में फंसे हैं. इनमें से 4 हजार लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है, बाकी अन्य लोगों को बाढ़ से बाहर निकालने का अभियान चल रहा है.
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बाढ़ इलाकों में फंसे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी है. बाढ़ प्रभावित लोगों ने जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में फंसे लोगों को खाने पीने की सही से व्यवस्था नहीं कराई जा रही है. घरों में पानी भर गया है. कोई ठिकाना नहीं है, खाने पीने की समस्या है. हम लोगों का घर बाढ़ में बह गया. हम कहां रहें, दवाइयों का भी ठीक से इंतेजाम नहीं है. छोटे-छोटे बच्चों को टेब्लेट दे रहे हैं, सीरप का इंतेजाम नहीं है, छोटे बच्चे टेब्लेट कैसे खाएंगे.
हर्रैया तहसील के एसडीएम गुलाब चन्द्रा ने कहा कि जब से वाटर लेबल बढ़ा है जिला प्रशासन की टीम लगातार कैम्प कर रही है. बोट और नाव के सहारे बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है. एसडीआरएफ, फ्लड पीएसी की टीम लगाई गई है, जो लगातार बाढ़ में फंसे लोगों को निकाल रही है. 50 मोटर बोट, 250 नांव बाढ़ क्षेत्र के 50 किलोमीटर क्षेत्र में लगाई गई है, जो बाढ़ में फंसे लोगों को लगातार रेस्क्यू कर बाहर निकाल रही है. बाढ़ पीड़ितों को बंधों और आसपास के प्राइमरी स्कूलों में रखा जा रहा है. उन के खाने पीने और दवा का पूरा इंतेजाम किया गया है. एसडीएम ने कहा कि जो लोग अंदर फंसे हैं, उन को पीने के पानी की दिक्कत है. इसलिए तेजी के साथ उन्हें बाहर निकाला जा रहा है. बाहर पीने के पानी का टैंकर लगाया गया है. ताकि, बाढ़ पीडितों को शुद्ध पेयजल मिल सके. जिला प्रशासन की तरहफ से 24 घंटे रसोई का इंतेजाम किया गया है. जिससे किसी को खाने-पीने की कोई समस्या न हो.
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