गोण्डाः कोरोना संकट के बाद देशभर में लॉकडाउन लगा तो तमाम प्रवासी मजदूरों का रोजगार छीन गया. ऐसे में तमाम लोग दोबारा कंपनियां शुरू करने की दुआ कर रहे थे तो गोण्डा जिले के एक मजदूर ने कभी वापस नहीं जाने का फैसला किया. मजदूर ने अपने ही गांव में गेंदे के फूल की खेती शुरू कर दी. अब पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं.
आत्मनिर्भर अभियान से प्रेरणा
जिले के विकास खंड रूपईडीह की ग्राम पंचायत तेलिया कोट के मजरा चंदनवापुर गांव निवासी नन्हे पांडे दिल्ली के आजादपुर मंडी में मजदूरी करते थे. लॉकडाउन में काम बंद हो गया तो वहां से किसी तरह अपने घर पहुंचे. इस श्रमिक ने अपने मन में दोबारा कभी भी परदेस ना जाने का फैसला किया. उसके बाद परंपरागत खेती छोड़ कुछ अलग करने की मन में ठान ली.
माली ने दी सलाह
नन्हे पांडे बताते हैं कि उन्होंने जब फूलों की खेती करने का मन बनाया तो गांव के एक माली से सलाह ली. माली ने गेंदे के फूल की खेती के लिए प्रेरित किया. शुरुआती दौर में इन्होंने आधा एकड़ जमीन में गेंदे के पौधे लगाए. महज 3 महीने बाद फूलों से इनकी आमदनी शुरू हो गई.
ऐसे करते हैं खेती
अब ढाई बीघा खेत में सप्ताह में दो बार फूलों को तोड़ा जाता है. सप्ताह में दो बार फूल तोड़ने पर करीब डेढ़ कुंतल फूल तैयार हो जाता है. गांव के माली अब इनका फूल 4 हजार रुपए प्रति कुंतल की हिसाब से खरीद लेते हैं.
बनारस से ऑनलाइन मंगाई पौध
नन्हे पांडे बताते हैं कि सितंबर माह के पहले सप्ताह में उन्होंने बनारस से 2 रुपए प्रति पौध के हिसाब से 10 हजार पौध ऑनलाइन मंगाई. एक बीघा खेत में करीब 4 हजार गेंदे के पौधे लगाए जाते हैं. इस तरह ढाई बीघा में 10 हजार गेंदे के पौधे लगाए.
पपीते की भी खेती
गेंदे के फूल के साथ-साथ इन्होंने सह फसली के रूप में मेड़ पर बीच-बीच में पपीते के पौधे भी लगाए हैं. पांडे बताते हैं कि फूल तो तीसरे माह से टूटने लगे हैं लेकिन पपीता एक वर्ष में फल देता है. पपीते का पौधा बड़ा होता है इसलिए ऊपर निकल जाता है. गेंदे के फूलों की खेती पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. बीच-बीच में पपीते का पौधा लगाकर अतिरिक्त लाभ कमाया जा सकता है.
50 हजार रुपए प्रति बीघा मुनाफा
नन्हे पांडे बताते हैं कि एक बीघा खेत में गेंदा के फूल से पचास हजार रुपए मुनाफा मिल सकता है. इसके साथ साथ सह फसली के रूप में पपीते की खेती की जा सकती है. इससे उतनी ही जमीन में अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है. उन्होंने किसानों से आत्मनिर्भर बनने के लिए फल-फूल की खेती करने की अपील की. कहा कि किसान परंपरागत खेती छोड़ अगर फल फूलों की खेती करेंगे तो उन्हें बेहतर लाभ मिलेगा और वह आत्मनिर्भर बन सकेंगे.
सभी मौसम में की जा सकती है गेंदे के फूलों की खेती
नन्हें पांडे बताते हैं कि गेंदे के फूलों की खेती सभी मौसम में की जा सकती है. शीतकालीन सत्र में मध्य सितंबर माह में नर्सरी डालकर अक्टूबर माह के अंत तक रोपाई कर दें, जबकि ग्रीष्म काल में जनवरी में नर्सरी डालकर मार्च तक पौध की रोपाई की जा सकती है. वर्षा ऋतु में 2 माह में नर्सरी डालकर किसान जुलाई माह के अंत तक रोपाई कर सकते हैं.