गोंडा: अब जिला कारागार परिसर में अंग्रेजों के जमाने के बने बंदी रक्षक और कर्मचारियों के आवास को ध्वस्त कर उन स्थान पर नए आवासों का निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए जेल अधीक्षक ने लोक निर्माण विभाग को जेल परिसर में बने पुराने जर्जर आवासों के मूल्यांकन और निष्प्रयोज्य घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजा है.
जिले में सन् 1856 में इस कारागार की स्थापना की गई थी. वहीं सन 1919 में बंदी रक्षकों और जेल के अन्य कर्मचारियों को रहने के लिए करीब 100 आवास का निर्माण कराया गया था. सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद यह आवास पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गए हैं. ऐसे में बंदी रक्षकों को रहने के लिए अब समुचित व्यवस्था नहीं रह गई है. अधिकांश बंदी रक्षक किराये के मकान में रह रहे हैं.
वर्तमान समय में जिला कारागार में बंदी रक्षकों के 110 पद सृजित हैं, जिसके सापेक्ष महज 53 बंदी रक्षकों की तैनाती है. यदि सृजित पदों के सापेक्ष बंदी रक्षकों की तैनाती हो जाए तो यहां पर इनके रहने की कोई व्यवस्था नहीं है. कुछ जर्जर आवासों को मरम्मत कराकर बंदी रक्षक किसी तरह से अपना दिन काट रहे हैं.
वहीं जेल के आसपास इन जर्जर आवासों के खंडहर और झाड़ियों में तब्दील होने के कारण जहरीले जानवरों का खतरा और अधिक बढ़ गया है. इससे अब इनका ढहाया जाना बहुत ही आवश्यक है.
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लोक निर्माण विभाग खंड एक को जर्जर भवनों को निष्प्रयोज्य घोषित करने और इसका मूल्यांकन करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. मूल्यांकन होने के बाद डीएम की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी, जो इस भवनों के अवशेष सामग्री को नीलाम करने के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी.
-शशिकांत सिंह, जेल अधीक्षक