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गोण्डा: फीकी रही कुम्हारों की दीपावली, चाइनीज झालरों से जमगाया शहर

रविवार को देश भर में दीपावली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया तो वहीं गोण्डा जिले में कुम्हारों की दीपावली इस बार भी फीकी ही रही. चाइनीज झालरों और लाइटों के प्रयोग से कुम्हारों के कारोबार पर मार पड़ी.

दीयों के कारोबार में कमी के कारण कुम्हार हुए निराश
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Published : Oct 28, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Oct 29, 2019, 7:24 AM IST

गोण्डा: जिले में दीपावली के दिन चाइनीज झालर और लाइटों का प्रयोग करना इस बार भी कुम्हारों की दीपावली को फीका कर दिया. हालांकि इस बार सरकार ने कुम्हारों को कई योजनाओं की सौगात दी थी, लेकिन सही ढंग से क्रियान्वन न होने के चलते इस बार भी कुम्हारों को निराशा ही हाथ लगा.

दीयों के कारोबार में कमी के कारण कुम्हार हुए निराश.

कुम्हारों की फीकी रही दीपावली
रविवार को जहां देश भर में दीपावली के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया तो वहीं गोण्डा जिले में दीपावली के बाद कि बात करें तो इस बार भी कुम्हारों के यहां अच्छे ढंग से दीपावली की खुशियां नहीं आईं. शासन ने भी इस बार मिट्टी के दीयों के लिए मुहिम चलाया था, जिसके अंतर्गत अयोध्या ने 5 लाख 51 हजार दीया जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया गया.

इसके बावजूद गोण्डा जिले में लोगों की पसंद चाइनीज झालर और लाइटों में ही दिखी. लोग अपने घरों को सजाने के लिए इन्हीं का प्रयोग करते दिखे. मात्र पूजा पाठ इत्यादि के समय ही लोगों ने दीयों का प्रयोग किया, जिसके कारण दीयों के कारोबार पर फिर मार पड़ी.

शासन द्वारा मिट्टी के दीयों को बढ़ाने के लिये इलेक्ट्रिक चॉक सहित कई योजनाएं शुरू की थीं, लेकिन वह भी धरातल पर उतरती नहीं दिखी. हालांकि शासन ने मिट्टी के दीयों के उपयोग के लिए कोई अन्य प्रयास नहीं किए. लोगों का भारी मात्रा में चाइनीज़ झालरों का प्रयोग करना कुम्हारों के लिए दीपावली निराशाजनक रहा.

इसे भी पढे़ं:- गोण्डा: जमीन को लेकर राजघराने व जिला पंचायत में रार, कोर्ट में पहुंचा मामला

सरकार को चाइनीज झालर वगैरह पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. तभी हम लोगों की कुछ आमदनी बढ़ पाएगी.
-रोजली, कुम्हार

गोण्डा: जिले में दीपावली के दिन चाइनीज झालर और लाइटों का प्रयोग करना इस बार भी कुम्हारों की दीपावली को फीका कर दिया. हालांकि इस बार सरकार ने कुम्हारों को कई योजनाओं की सौगात दी थी, लेकिन सही ढंग से क्रियान्वन न होने के चलते इस बार भी कुम्हारों को निराशा ही हाथ लगा.

दीयों के कारोबार में कमी के कारण कुम्हार हुए निराश.

कुम्हारों की फीकी रही दीपावली
रविवार को जहां देश भर में दीपावली के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया तो वहीं गोण्डा जिले में दीपावली के बाद कि बात करें तो इस बार भी कुम्हारों के यहां अच्छे ढंग से दीपावली की खुशियां नहीं आईं. शासन ने भी इस बार मिट्टी के दीयों के लिए मुहिम चलाया था, जिसके अंतर्गत अयोध्या ने 5 लाख 51 हजार दीया जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया गया.

इसके बावजूद गोण्डा जिले में लोगों की पसंद चाइनीज झालर और लाइटों में ही दिखी. लोग अपने घरों को सजाने के लिए इन्हीं का प्रयोग करते दिखे. मात्र पूजा पाठ इत्यादि के समय ही लोगों ने दीयों का प्रयोग किया, जिसके कारण दीयों के कारोबार पर फिर मार पड़ी.

शासन द्वारा मिट्टी के दीयों को बढ़ाने के लिये इलेक्ट्रिक चॉक सहित कई योजनाएं शुरू की थीं, लेकिन वह भी धरातल पर उतरती नहीं दिखी. हालांकि शासन ने मिट्टी के दीयों के उपयोग के लिए कोई अन्य प्रयास नहीं किए. लोगों का भारी मात्रा में चाइनीज़ झालरों का प्रयोग करना कुम्हारों के लिए दीपावली निराशाजनक रहा.

इसे भी पढे़ं:- गोण्डा: जमीन को लेकर राजघराने व जिला पंचायत में रार, कोर्ट में पहुंचा मामला

सरकार को चाइनीज झालर वगैरह पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. तभी हम लोगों की कुछ आमदनी बढ़ पाएगी.
-रोजली, कुम्हार

Intro:जनपद में कुम्हारों के मिट्टी के उत्पादों के कम कारोबार होने के कारण इस बार भी कुम्हारों के यहाँ दीपावली फीकी रही। इस बार भी दीपावली में चाइनीज झालर व लाइटे अपना रंग बिखेर रही थी जिसने कुम्हारों के घर में दिवाली का रंग फीका कर दिया। इस बार की दीपावली में मिट्टी के दियो के लिए काफी मुहिम भी चलाई गई थी। सरकार ने भी कई योजनाओं की सौगात दी थी लेकिन इन सबका क्रियान्वन सही ढंग से न होने के कारण कुम्हारों इस बार फिर हताश हुए


Body:गोण्डा जिले में दीपावली के बाद कि बात करें तो इस बार भी कुम्हारों के यहाँ अच्छे ढंग से दीपावली की खुशियां नहीं आयी। शासन ने भी इस बार मिट्टी के दियो के लिए मुहिम चलाया था जिसके अंतर्गत अयोध्या में ही 5.5 लाख दिया जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया गया लेकिन बगल के जनपद गोण्डा में लोगों की पसंद झालर लाइटे रहीं लोग मात्र पूजा पाठ इत्यादि में ही दियों का उपयोग करते दिखे जिसके कारण दियों के कारोबार पर फिर मार पड़ी शासन द्वारा किसानों को मिट्टी के दियो को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक चॉक सहित कई योजनाएं शुरू की गई थी लेकिन वह भी धरातल पर नहीं उतरी हालांकि शासन द्वारा मिट्टी के दियो के उपयोग के लिए कोई अन्य प्रयास भी नहीं किये गए। Conclusion:कुम्हार रोजली बताते हैं कि वह मिट्टी के दिये और कलश इत्यादि बनाते हैं उनका कहना कि सरकार को चाइनीज झालर वगैरह पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए तभी हम लोगों की कुछ आमदनी बढ़ पाएगी। एक और महिला कुम्हार दानिशा ने बताया कि इस बार हुई बारिश से भी काफी प्रभाव पड़ा साथ ही चाइनीज झालर के कारण और भी स्थिति बिगड़ गयी


बाईट1- दानिशा( महिला कुम्हार)
बाईट2- रोजली(कुम्हार)
Last Updated : Oct 29, 2019, 7:24 AM IST
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