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गोण्डा: नाना जी देशमुख को मरणोपरांत दिया गया 'भारत रत्न'

गुरुवार को दिल्ली में नाना जी देशमुख को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. गोण्डा जिले के जयप्रभा गांव में नाना जी ने सन् 1978 में दीनदयाल शोध संस्थान का आरंभ किया था. भारत रत्न मिलने से जिले के लोगों ने मिठाई बांटकर अपनी खुशी जताई.

जयप्रभा गांव में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की थी
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Published : Aug 8, 2019, 10:51 PM IST

Updated : Aug 9, 2019, 2:38 AM IST

गोण्डा: समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन की अलख जगाने वाले नाना जी देशमुख को दिल्ली में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. इसको लेकर जिले के दीनदयाल शोध संस्थान में गुरुवार को मिठाई बांटकर खुशियां मनाई गईं. जिले के जयप्रभा ग्राम में उन्होंने अपना पहला दीनदयाल शोध संस्थान खोला और यहीं से अपने कार्यक्षेत्र की शुरुआत की.

नाना जी देशमुख जी को मरणोपरांत दिया गया भारत रत्न.

नाना जी देशमुख को भारत रत्न से नवाजा गया-

नाना जी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र प्रान्त के हिंगोली गांव में 11 अक्टूबर 1916 को हुआ था. यह शुरुआती दौर से समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत थे. पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1930 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए. नाना जी देशमुख संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के बहुत करीबी माने जाते थे. इन्होंने भारतीय जनसंघ से अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की और 1980 में 60 वर्ष की अवस्था में राजनीति से सन्यास लेकर राजनीतिज्ञों के लिए बड़ा संदेश दिया.

राजनीति से सन्यास लेने के बाद इन्होंने उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद के जयप्रभा ग्राम में सन् 1978 में दीनदयाल शोध संस्थान का शुभारंभ किया. 50 एकड़ तक फैले इस संस्थान पर प्रकृति अपनी छटा बिखेरती है. नाना जी देशमुख का पूरा जीवन शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के प्रति समर्पित रहा है. श्री देशमुख चित्रकूट के जनपद के 500 गांवों के उत्थान में अपनी महती भूमिका निभाई है.

बताया जाता है कि शिल्पी दंपति योजना के तहत इन 500 गांवों में इन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के प्रति लोगों को जागरुक किया. इन्हीं उत्कृष्ट कार्यों के चलते गुरुवार को नाना जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से राष्ट्रपति कोविंद ने नवाजा है.

इन्होंने कहा था कि 'मैं अपने लिए नहीं अपनो के लिए हूं' अपने वे हैं जो पीड़ित एवं उपेक्षित हैं. आदर्श की मिसाल रहे देशमुख जी ने जनता पार्टी मंत्रीमंडल में शामिल होने से मना करते हुए कहा था कि जो लोग 60 वर्ष के हो गए हैं वह सरकार में नहीं बल्कि समाजसेवा करेंगे. स्वयं 60 वर्ष की उम्र में राजनीतिक जीवन से सन्यास लेकर लोगों के लिए मिसाल पेश की थी.

गोण्डा: समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन की अलख जगाने वाले नाना जी देशमुख को दिल्ली में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. इसको लेकर जिले के दीनदयाल शोध संस्थान में गुरुवार को मिठाई बांटकर खुशियां मनाई गईं. जिले के जयप्रभा ग्राम में उन्होंने अपना पहला दीनदयाल शोध संस्थान खोला और यहीं से अपने कार्यक्षेत्र की शुरुआत की.

नाना जी देशमुख जी को मरणोपरांत दिया गया भारत रत्न.

नाना जी देशमुख को भारत रत्न से नवाजा गया-

नाना जी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र प्रान्त के हिंगोली गांव में 11 अक्टूबर 1916 को हुआ था. यह शुरुआती दौर से समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत थे. पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1930 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए. नाना जी देशमुख संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के बहुत करीबी माने जाते थे. इन्होंने भारतीय जनसंघ से अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की और 1980 में 60 वर्ष की अवस्था में राजनीति से सन्यास लेकर राजनीतिज्ञों के लिए बड़ा संदेश दिया.

राजनीति से सन्यास लेने के बाद इन्होंने उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद के जयप्रभा ग्राम में सन् 1978 में दीनदयाल शोध संस्थान का शुभारंभ किया. 50 एकड़ तक फैले इस संस्थान पर प्रकृति अपनी छटा बिखेरती है. नाना जी देशमुख का पूरा जीवन शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के प्रति समर्पित रहा है. श्री देशमुख चित्रकूट के जनपद के 500 गांवों के उत्थान में अपनी महती भूमिका निभाई है.

बताया जाता है कि शिल्पी दंपति योजना के तहत इन 500 गांवों में इन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वावलंबन के प्रति लोगों को जागरुक किया. इन्हीं उत्कृष्ट कार्यों के चलते गुरुवार को नाना जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से राष्ट्रपति कोविंद ने नवाजा है.

इन्होंने कहा था कि 'मैं अपने लिए नहीं अपनो के लिए हूं' अपने वे हैं जो पीड़ित एवं उपेक्षित हैं. आदर्श की मिसाल रहे देशमुख जी ने जनता पार्टी मंत्रीमंडल में शामिल होने से मना करते हुए कहा था कि जो लोग 60 वर्ष के हो गए हैं वह सरकार में नहीं बल्कि समाजसेवा करेंगे. स्वयं 60 वर्ष की उम्र में राजनीतिक जीवन से सन्यास लेकर लोगों के लिए मिसाल पेश की थी.

Intro:समाज, शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वावलंबन की अलख जगाने वाले नाना जी देशमुख को दिल्ली में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इसको लेकर जिले के दीनदयाल शोध संस्थान में आज मिठाई बांट खुशियां मनाई गयीं। मंत्री पद ठुकरा कर राजनीति से सन्यास ले सबको चौकाने वाले नाना जी देशमुख समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। गोण्डा जिले के जयप्रभा ग्राम में उन्होंने अपना पहला दीनदयाल शोध संस्थान खोल यहीं से अपने कार्यक्षेत्र की शुरुआत की। इन्होंने अपनी अपनी अंतिम सांस 27 फरवरी 2010 को चित्रकूट में ली।

Body:नाना जी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र प्रान्त के हिंगोली गांव में 11 अक्टूबर 1916 को हुआ था। यह शुरुआती दौर से समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत थे। पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1930 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए। नाना जी देशमुख संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के बहुत करीबी माने जाते थे। इन्होंने भारतीय जनसंघ से अपने राजनैतिक पारी की शुरुआत की तथा 1980 में 60 वर्ष की अवस्था में राजनीति से सन्यास लेकर राजनीतिज्ञों के लिए बड़ा संदेश दिया। यहाँ से सन्यास लेने के बाद इन्होंने उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद के जयप्रभा ग्राम में सन 1978 में दीनदयाल शोध संस्थान का शुभारंभ किया। यह संस्थान करीब 50 एकड़ में फैला है। यहाँ पर प्रकृति भी अपनी छटा बिखेरती है। नाना जी देशमुख का पूरा जीवन शिक्षा स्वास्थ्य व स्वावलंबन के प्रति समर्पित रहा। इन्होंने समाज को एक नई दिशा देने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा, यही नहीं श्री देशमुख चित्रकूट के जनपद के 500 गांवों के उत्थान में अपनी महती भूमिका निभाई बताया जाता है कि शिल्पी दंपति योजना के तहत इन 500 गांवों में इनके द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वावलंबन के प्रति जागरूक किया। इनकी प्रेरणा से सीख लेकर लोगों की जिंदगी में अमूल चूल परिवर्तन आया। इन्ही उत्कृष्ट कार्यो के लेकर इनको आज देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से राष्ट्रपति कोविंद ने नवाजा है। इन्होंने कहा था कि 'मैं अपने लिए नहीं अपनो के लिए हूँ' अपने वे हैं जो पीड़ित एवं उपेक्षित हैं। आदर्श की मिसाल रहे देशमुख जी ने जनता पार्टी मंत्रीमंडल में शामिल होने से मना करते हुए कहा था कि जो लोग 60 वर्ष के हो गए हैं वह सरकार में नहीं बल्कि समाजसेवा करेंगे और स्वयं 60 वर्ष की उम्र में राजनीतिक जीवन से सन्यास लेकर लोगों के लिए मिसाल पेश की थी। इनके द्वारा स्थापित बिहार, मध्यप्रदेश, चित्रकूट व महाराष्ट्र में करीब 100 दीनदयाल शोध संस्थान समाजिक उत्थान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। यहाँ पर युवाओं को विभिन्न कौशल का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर होने के गुर सिखाए जाते हैं। Conclusion:दिल्ली में आज देश के तीन नामचीन हस्तियों को अलग अलग क्षेत्रो में उत्कृष्ट योगदान के लिए नानाजी देशमुख ,प्रणव मुखर्जी, भूपेन हजारिका को भारत रत्न से नवाजा जाएगा। इसके लिए देश भर में दीनदयाल शोध संस्थान के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। गोण्डा से यहाँ के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक उपेंद्र सिंह व प्रज्योत त्रिपाठी को आमंत्रित किया गया है।

बाईट- जितेंद्र पांडेय( अध्यापक)
बाईट- अशोक (प्राचार्य, दीन दयाल शोध संस्थान)
Last Updated : Aug 9, 2019, 2:38 AM IST
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