गोण्डा: जिले में विकास कार्य कराने के नाम पर 36 लाख रुपये का घोटाला कर दिया गया. गांव के प्रधान, सेक्रेटरी और रोजगार सेवक ने बिना काम कराए ही सरकारी धन को आपस में बांट लिया. घोटाले की शिकायत का संज्ञान लेते हुए डीएम मार्कण्डेय शाही ने जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित कर दी है. उन्होंने समिति से 15 दिन मे जांच रिपोर्ट तलब की है.
आरोपियों ने ऐसे किया घोटाला
विकास कार्य के नाम पर फर्जी भुगतान का मामला जिले के वजीरगंज ब्लॉक के जगदीशपुर कटरा गांव का है. यहां ग्राम प्रधान, सचिव और रोजगार सेवक ने मिलीभगत कर करीब 36 लाख रुपये का घोटाला कर डाला. सामग्री खरीद के नाम पर एक प्राइवेट फर्म को 9.22 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया. हैंडपंप रीबोर कराने के नाम पर भी 4 लाख रुपये निकाल लिए गए. इसी तरह सरकारी स्कूल में स्थल विकास दिखाकर 3.50 लाख, सोकपिट निर्माण में 5.59 लाख और कागजों में खरंजे की मरम्मत दिखाकर 2.67 लाख रुपये का गोलमाल कर दिया गया.
गांव के निवासी ने की थी शिकायत
गांव के ही रहने वाले शिव गणेश ने इस मामले की शिकायत डीएम से की है. शिकायतकर्ता का कहना है बिना काम कराए ही लाखों रुपये का गबन किया गया है. कागजों में काम दिखा कर भी पैसा निकाला गया है. शिकायतकर्ता का दावा है कि हकीकत में गांव में कोई भी काम नहीं हुआ है.
डीएम ने जांच के लिए टीम की गठित
डीएम मार्कण्डेय शाही ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है. समिति से इस पूरे फर्जीवाड़े की रिपोर्ट 15 दिन में तलब की है. डीएम मार्कण्डेय शाही का कहना है कि वजीरगंज ब्लॉक की एक ग्राम पंचायत में 36 लाख रुपये के अनियमित भुगतान का मामला सामने आया है. इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.