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परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की पत्नी का निधन

1965 में भारत-पाकिस्‍तान युद्ध में पाक को धूल चटाने वाले शहीदी धरती गाजीपुर के लाल वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी का निधन हो गया. परमवीर चक्र विजेता कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को समय-समय पर रसूलन बीवी प्रेरणा देती थीं. रसूलन बीबी की आखिरी ख्वाहिश थी कि धामुपुर पार्क में वीर अब्दुल हमीद की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए.

अब्दुल हमीद की पत्नी का निधन
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Published : Aug 3, 2019, 8:22 AM IST

गाजीपुर: पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग आखिर कौन भूल सकता है. शहीदी धरती गाजीपुर के लाल वीर अब्दुल हमीद ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिये थे. आज उनकी पत्नी रसूलन का निधन हो गया. पाकिस्तान के पैटन टैंकों के परखच्चे उड़ाने वाले अदम्य साहसी अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था. उनकी प्रेरणास्रोत रहीं उनकी पत्नी की उम्र तकरीबन 95 वर्ष थी.

अब्दुल हमीद की पत्नी का निधन.

कैसे हुई शहीद की पत्नी की मौत

  • दुल्लहपुर क्षेत्र के धामूपुर गांव में शुक्रवार की दोपहर अपने आवास पर रसूलन बीवी ने अंतिम सांस ली.
  • वह कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं. निधन की जानकारी पर शोक संवेदना व्यक्त करने लोगों का घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है.
  • रसूलन बीबी को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.

1965 में भारत पा‍क युद्ध
पाकिस्‍तान के दांत खट्टे करने वाले हमीद की पत्‍नी रसूलन बीबी अपने परिवार के साथ गाजीपुर में ही रह रही थीं. जब पाकिस्तान सेना अमृतसर को घेरकर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी. तभी अब्दुल हमीद ने पाक सेना को अपने अभेद् पैटर्न टैंकों के साथ आगे बढ़ते देखा, लेकिन अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अपनी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस जीप को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते हुए शत्रु के कई टैंक ध्वस्त कर डाले. इससे पाकिस्‍तानी सेना के पैर जंग के मैदान में उखड़ गए. जिससे उनको पीछे लौटना पड़ा.

परमवीर चक्र विजेता कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को समय-समय पर रसूलन बीवी प्रेरणा देती थीं. वहीं भारतीय सेना की ओर से भी उनको विभिन्‍न सरकारी व गैर सरकारी आयोजनों पर अपनापन और सम्‍मान मिलता रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश में सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान थी. देश में भारतीय सेना से जुड़े आयोजनों में भी उनको बुलाया जाता रहा है. जिले में इनके स्‍मृतियों को सहेजने के लिए उनके प्रयासों की लोग प्रशंसा करते हैं. वीर हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं गाजीपुर में हमीद के नाम पर गंगा पर सेतु भी बनाया गया है. आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने गाजीपुर आकर अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि दी थी.

कई हसरतों को दिल में लेकर और परिवार छोड़ गईं रसूलन बीबी
रसूलन बीबी कई हसरतों को दिल में संजोकर चली गईं. उन्होंने दो वर्ष पूर्व शहादत दिवस पर गाजीपुर पहुंचे सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत को मांग पत्र सौंपा था. उन्होंने गाजीपुर के युवाओं को सेना में स्पेशल कोटा के तहत भर्ती कराने की मांग रखी थी. साथ ही जिले में वर्ष में एक बार सेना भर्ती कराने की ख्वाहिश जाहिर की थी. उन्होंने कई बार दुल्लहपुर से दिल्ली के लिए अब्दुल हमीद एक्सप्रेस चलाने की मांग की, जिसका लाभ क्षेत्रवासियों को मिल सके.

तमाम संघर्षों के बाद रसूलन बीबी ने अपने परिवार को मुकाम पर पहुंचाया. उनके चार बेटे हैं, क्रमश: जैनुल आलम, अली हसन, तलक महमूद और जुनैद आलम हैं. बड़े बेटे जैनुल आलम 1971 में सेना में भर्ती हुए और सेवानिवृत्ति के बाद घर पर हैं. अली हसन सेना कानपुर पैराशूट फैक्ट्री से रिटायर्ड हो गए हैं. तीसरे बेटे तलक महमूद सेना में थे और अनफिट होने पर उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी गई. हालांकि वह न्यायालय गए और पेंशन का अधिकार पा लिया. सबसे छोटे बेटे जुनैद आलम रेलवे में नौकरी करते हैं, उनका रिटायमेंट जल्द है. उनकी बेटी नाजबुल निशा निकाह के बाद से ससुराल में रहतीं हैं. रसूलन सबसे अपने छोटे बेटे जुनैद आलम के पास रहती थीं.

आदमकद प्रतिमा लगाने की थी ख्वाहिश
रसूलन बीबी की ख्वाहिश थी कि धामुपुर पार्क में वीर अब्दुल हमीद की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए. उन्होंने कई बार घरवालों से इस ख्वाहिश का जिक्र किया था. उनका कहना था कि पार्क में लगी छोटी प्रतिमा उनकी शहादत के अनुरूप नहीं है. इसलिए ऐसी प्रतिमा लगाई जाए जो दूर से ही इस शहीद पर लोगों की नजर पड़ जाए.

गाजीपुर: पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग आखिर कौन भूल सकता है. शहीदी धरती गाजीपुर के लाल वीर अब्दुल हमीद ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिये थे. आज उनकी पत्नी रसूलन का निधन हो गया. पाकिस्तान के पैटन टैंकों के परखच्चे उड़ाने वाले अदम्य साहसी अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था. उनकी प्रेरणास्रोत रहीं उनकी पत्नी की उम्र तकरीबन 95 वर्ष थी.

अब्दुल हमीद की पत्नी का निधन.

कैसे हुई शहीद की पत्नी की मौत

  • दुल्लहपुर क्षेत्र के धामूपुर गांव में शुक्रवार की दोपहर अपने आवास पर रसूलन बीवी ने अंतिम सांस ली.
  • वह कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं. निधन की जानकारी पर शोक संवेदना व्यक्त करने लोगों का घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है.
  • रसूलन बीबी को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.

1965 में भारत पा‍क युद्ध
पाकिस्‍तान के दांत खट्टे करने वाले हमीद की पत्‍नी रसूलन बीबी अपने परिवार के साथ गाजीपुर में ही रह रही थीं. जब पाकिस्तान सेना अमृतसर को घेरकर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी. तभी अब्दुल हमीद ने पाक सेना को अपने अभेद् पैटर्न टैंकों के साथ आगे बढ़ते देखा, लेकिन अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अपनी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस जीप को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते हुए शत्रु के कई टैंक ध्वस्त कर डाले. इससे पाकिस्‍तानी सेना के पैर जंग के मैदान में उखड़ गए. जिससे उनको पीछे लौटना पड़ा.

परमवीर चक्र विजेता कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को समय-समय पर रसूलन बीवी प्रेरणा देती थीं. वहीं भारतीय सेना की ओर से भी उनको विभिन्‍न सरकारी व गैर सरकारी आयोजनों पर अपनापन और सम्‍मान मिलता रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश में सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान थी. देश में भारतीय सेना से जुड़े आयोजनों में भी उनको बुलाया जाता रहा है. जिले में इनके स्‍मृतियों को सहेजने के लिए उनके प्रयासों की लोग प्रशंसा करते हैं. वीर हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वहीं गाजीपुर में हमीद के नाम पर गंगा पर सेतु भी बनाया गया है. आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने गाजीपुर आकर अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि दी थी.

कई हसरतों को दिल में लेकर और परिवार छोड़ गईं रसूलन बीबी
रसूलन बीबी कई हसरतों को दिल में संजोकर चली गईं. उन्होंने दो वर्ष पूर्व शहादत दिवस पर गाजीपुर पहुंचे सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत को मांग पत्र सौंपा था. उन्होंने गाजीपुर के युवाओं को सेना में स्पेशल कोटा के तहत भर्ती कराने की मांग रखी थी. साथ ही जिले में वर्ष में एक बार सेना भर्ती कराने की ख्वाहिश जाहिर की थी. उन्होंने कई बार दुल्लहपुर से दिल्ली के लिए अब्दुल हमीद एक्सप्रेस चलाने की मांग की, जिसका लाभ क्षेत्रवासियों को मिल सके.

तमाम संघर्षों के बाद रसूलन बीबी ने अपने परिवार को मुकाम पर पहुंचाया. उनके चार बेटे हैं, क्रमश: जैनुल आलम, अली हसन, तलक महमूद और जुनैद आलम हैं. बड़े बेटे जैनुल आलम 1971 में सेना में भर्ती हुए और सेवानिवृत्ति के बाद घर पर हैं. अली हसन सेना कानपुर पैराशूट फैक्ट्री से रिटायर्ड हो गए हैं. तीसरे बेटे तलक महमूद सेना में थे और अनफिट होने पर उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी गई. हालांकि वह न्यायालय गए और पेंशन का अधिकार पा लिया. सबसे छोटे बेटे जुनैद आलम रेलवे में नौकरी करते हैं, उनका रिटायमेंट जल्द है. उनकी बेटी नाजबुल निशा निकाह के बाद से ससुराल में रहतीं हैं. रसूलन सबसे अपने छोटे बेटे जुनैद आलम के पास रहती थीं.

आदमकद प्रतिमा लगाने की थी ख्वाहिश
रसूलन बीबी की ख्वाहिश थी कि धामुपुर पार्क में वीर अब्दुल हमीद की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए. उन्होंने कई बार घरवालों से इस ख्वाहिश का जिक्र किया था. उनका कहना था कि पार्क में लगी छोटी प्रतिमा उनकी शहादत के अनुरूप नहीं है. इसलिए ऐसी प्रतिमा लगाई जाए जो दूर से ही इस शहीद पर लोगों की नजर पड़ जाए.

Intro:परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी कल होंगी सुपुर्द ए खाक

गाजीपुर। पाकिस्तान के खिलाफ 1965 की जंग आखिर कौन भूल सकता है। शहीदी धरती गाजीपुर के लाल वीर अब्दुल हमीद ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिये थे। आज वीर अब्दुल हमीद ने की पत्नी रसूलन बीवी का निधन हो गया। पाकिस्तान के पैटन टैंकों के परखच्चे उडाने वाले अदम्य साहसी अब्दुल हमीद को मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था। उनकी प्रेरणास्रोत रहीं उनकी पत्नी रसूलन बीवी की उम्र तकरीबन 95 वर्ष थी।

गाजीपुर के दुल्लहपुर क्षेत्र के धामूपुर गांव में शुक्रवार की दोपहर अपने दुल्लहपुर स्थित आवास पर रसूलन बीवी ने अंतिम सांस ली। वह कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। उनके निधन की जानकारी होने के बाद शोक संवेदना व्यक्त करने लोगो का उनके घर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। रसूलन बीबी को कल दोपहर सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।

Body:गाजीपुर की पहचान - 1965 में भारत पा‍क युद्ध के दौरान पाकिस्‍तान के दांत खटटे करने वाले अब्‍दुल हमीद की पत्‍नी रसूलन बीबी अपने परिवार के साथ गाजीपुर में ही रह रही थीं। पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी से लेकर देश में सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच उनकी विशेष पहचान थी। देश में भारतीय सेना से जुड़े आयोजनों में भी उनको बुलाया जाता रहा है। गाजीपुर जिले में भी अब्‍दुल हमीद की स्‍मृतियों को सहेजने के लिए उनके प्रयासों की लोग प्रशंसा करते हैं।वीर अब्‍दुल हमीद की ही प्रेरणा से आज पूर्वांचल में गाजीपुर जिले से अमूमन हर दूसरे घर से भारतीय सेना में युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं गाजीपुर  मे अब्दुल हमीद के नाम पर गंगा पर सेतु भी बनाया गया है। आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत ने गाजीपुर आकर अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि दी थी।

10 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान सेना अमृतसर को घेरकर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी। तभी अब्दुल हमीद ने पाक सेना को अपने अभेद्य पैटर्न टैंकों के साथ आगे बढ़ते देखा। लेकिन अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अब्दुल हमीद ने अपनी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस जीप को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते हुए शत्रु के कई टैंक ध्वस्त कर डाले। इससे पाकिस्‍तानी सेना के पैर जंग के मैदान में उखड़ गए। जिससे उनको पीछे लौटना पड़ा। परमवीर चक्र विजेता कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद को समय-समय पर रसूलन बीवी प्रेरणा देती थीं। वहीं भारतीय सेना की ओर से भी उनको विभिन्‍न सरकारी व गैर सरकारी आयोजनों पर अपनापन और सम्‍मान मिलता रहा है।

कई हसरतों को दिल में लेकर गुजर गईं रसूलन बीबी
वीर अब्दुल हमीद की विधवा रसूलन बीबी कई हसरतों को दिल में संजोकर चली गईं। उन्होंने दो वर्ष पूर्व शहादत दिवस पर गाजीपुर पहुंचे  सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत को मांग पत्र सौंपा था। उन्होंने गाजीपुर के युवाओं को सेना में स्पेशल कोटा के तहत भर्ती कराने की मांग रखी थी। साथ ही जिले में वर्ष में एक बार सेना भर्ती कराने की ख्वाहिश जाहिर की थी। उन्होंने कई बार दुल्लहपुर से दिल्ली के लिए अब्दुल हमीद एक्सप्रेस चलाने की मांग की, जिसका लाभ क्षेत्रवासियों को मिल सके।

आदमकद प्रतिमा लगाने की थी ख्वाहिश
रसूलन बीबी की ख्वाहिश थी कि धामुपुर पार्क में वीर अब्दुल हमीद की आदमकद प्रतिमा लगाई जाए। उन्होंने कई बार घरवालों से इस ख्वाहिश का जिक्र किया था। उनका कहना था कि पार्क में लगी छोटी प्रतिमा उनकी शहादत के अनुरूप नहीं है। इसलिए ऐसी प्रतिमा लगाई जाए जो दूर से ही इस शहीद पर लोगों की नजर पड़ जाए।

Conclusion:चार बेटे, एक बेटी और पौत्रों से भरापूरा परिवार छोड़ गईं रसूलन
तमाम संघर्षों के बाद रसूलन बीबी ने अपने परिवार को मुकाम पर पहुंचाया। उनके चार बेटे हैं। क्रमश: जैनुल आलम, अली हसन, तलक महमूद और जुनैद आलम हैं। बड़े बेटे जैनुल आलम 1971 में सेना में भर्ती हुए और सेवानिवृत्ति के बाद घर पर हैं। अली हसन सेना कानपुर पैराशूट फैक्ट्री से रिटायर हैं। तीसरे बेटे तलक महमूद सेना में थे और अनफिट होने पर उन्हें सेवानिवृत्ति दे दी गई। हालांकि वह न्यायालय गए और पेंशन का अधिकार पा लिए। सबसे छोटे बेटे जुनैद आलम रेलवे में नौकरी करते हैं। उनका रिटायमेंट जल्द है। उनकी बेटी नाजबुल निशा निकाह के बाद से रसुराल में रहतीं हैं। रसूलन सबसे ज्यादा दुल्लहपुर में अपने छोटे बेटे जुनैद आलम के पास रहती थीं।

बाइट - जमिल आलम ( वीर अब्दुल हमीद के नाती ), विजुअल

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960
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