ETV Bharat / state

आज भी गांवों में गाए जाते हैं पारंपरिक होली गीत, नई पीढ़ी है कोसों दूर

author img

By

Published : Mar 18, 2022, 6:38 PM IST

काशीखंड स्थित गाजीपुर में बड़े ही उल्लास प्रेम और आस्था के साथ होली मनाई जाती है. होलिका दहन के बाद रंगों की होली प्रारंभ हो चुकी है. होलिका दहन के दौरान नगसर, तिलवा, जोगा, लौआ और डीह आदि गांवों में फाग गीत गाए जाते है. इनके बारे में आज की नई पीढ़ी कोसों दूर है.

etv bharat
गांवो में गाए जाते हैं पारंपरिक होली गीत

गाजीपुर. काशी खंड स्थित गाजीपुर में बड़े ही उल्लास प्रेम और आस्था के साथ होली मनाई जाती है. होलिका दहन के बाद रंगों की होली प्रारंभ हो चुकी है. होलिका दहन के दौरान नगसर, तिलवा, जोगा, लौआ और डीह आदि गांवों में फाग गीत गाए जाते है. इनके बारे में आज की नई पीढ़ी कोसो दूर है.

नगसर तिलवा जोगा लौआ डीह आदि गांव में होलिका दहन के दौरान फाग गीत गाकर सैकड़ों की संख्या में लोग रातभर गीत संगीत में मग्न रहे. सुबह से ही महिलाएं पकवान बनाकर स्वागत के लिए तैयार कर रही है.

गांवो में गाए जाते हैं पारंपरिक होली गीत

होली का यह पावन पर्व प्रकृति सन रक्षण का भी संदेश देता है क्योंकि इसके सभी गीतों में आम के बौर लेने तथा नए अन्न एवं प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हैं. गीत-संगीत के द्वारा वैज्ञानिक भी अब मानसिक अवसाद का उपचार कर रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद यह पहला अवसर है जब लोग मानसिक तनाव में गुजर रहे है.

यह भी पढ़ें:Holi 2022: कजरी-चैती की धुन पर खिलखिलाया बनारस

आम जनमानस को होली गीत के माध्यम से सुकून एवं शांति मिल रही है. बाजार में भी कल देर रात तक काफी रौनक देखी गई.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

गाजीपुर. काशी खंड स्थित गाजीपुर में बड़े ही उल्लास प्रेम और आस्था के साथ होली मनाई जाती है. होलिका दहन के बाद रंगों की होली प्रारंभ हो चुकी है. होलिका दहन के दौरान नगसर, तिलवा, जोगा, लौआ और डीह आदि गांवों में फाग गीत गाए जाते है. इनके बारे में आज की नई पीढ़ी कोसो दूर है.

नगसर तिलवा जोगा लौआ डीह आदि गांव में होलिका दहन के दौरान फाग गीत गाकर सैकड़ों की संख्या में लोग रातभर गीत संगीत में मग्न रहे. सुबह से ही महिलाएं पकवान बनाकर स्वागत के लिए तैयार कर रही है.

गांवो में गाए जाते हैं पारंपरिक होली गीत

होली का यह पावन पर्व प्रकृति सन रक्षण का भी संदेश देता है क्योंकि इसके सभी गीतों में आम के बौर लेने तथा नए अन्न एवं प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हैं. गीत-संगीत के द्वारा वैज्ञानिक भी अब मानसिक अवसाद का उपचार कर रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद यह पहला अवसर है जब लोग मानसिक तनाव में गुजर रहे है.

यह भी पढ़ें:Holi 2022: कजरी-चैती की धुन पर खिलखिलाया बनारस

आम जनमानस को होली गीत के माध्यम से सुकून एवं शांति मिल रही है. बाजार में भी कल देर रात तक काफी रौनक देखी गई.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.