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गाजीपुर: किसानों के पहले नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की मनाई गई पुण्यतिथि - स्वामी सहजानंद सरस्वती पुण्यतिथि

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में किसानों के पहले नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि मनाई गई. स्वामी सहजानंद की प्रतिमा को राजगुरु मठ के पीठाधीश्वर स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज ने जल और भस्म से अभिषेक किया. साथ ही मंत्रोच्चार के साथ आरती की गई.

स्वामी सहजानंद सरस्वती की मनाई गई पुण्यतिथि
स्वामी सहजानंद सरस्वती की मनाई गई पुण्यतिथि
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Published : Jun 27, 2020, 3:05 AM IST

गाजीपुर: जिले में किसानों के पहले नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि मनाई गई. उनके पैतृक गांव देवा स्थित स्वामी सहजानंद सामुदायिक मिलन केंद्र पर पुण्यतिथि का आयोजन हुआ. किसान आंदोलन के प्रणेता स्वामी सहजानंद की प्रतिमा को राजगुरु मठ के पीठाधीश्वर स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज ने जल और भस्म से अभिषेक किया. साथ ही मंत्रोच्चार के साथ आरती की गई.

इस दौरान दंडी स्वामी अनंतानंद महाराज ने कहा कि दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती को अंग्रेजों के जमाने में किसानों ने सबसे बड़ा अन्नदाता और भगवान के स्वरुप में माना गया. उन्होंने किसान आंदोलन की अलख से देश के किसानों में जगाया. वे महान विभूतियों के सानिध्य में रहकर किसानों के लिए वकालत करते रहे.

उन्होंने कहा कि सन्यासी कभी पेट की चिता नहीं करता. जैसे एमबीबीएस, आइपीएस की डिग्री लेकर मनुष्यों को चीरफार और न्याय करने में माहिर होते हैं. उसी प्रकार एक संयासी लोगों को परमार्थ कराने के लिए सक्षम होते हैं. इसके अलावा स्वामी ने दुल्लहपुर रेलवे स्टेशन पर लगी प्रतिमा के पास भी स्वामी सहजानंद सरस्वती की पूजन अर्चन की और लोगों को प्रसाद वितरित किया.

ये भी पढ़ें- गाजीपुर: बुजुर्गों की देखभाल के लिए सदर अस्पताल में बन रहा यह वार्ड

गाजीपुर: जिले में किसानों के पहले नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की पुण्यतिथि मनाई गई. उनके पैतृक गांव देवा स्थित स्वामी सहजानंद सामुदायिक मिलन केंद्र पर पुण्यतिथि का आयोजन हुआ. किसान आंदोलन के प्रणेता स्वामी सहजानंद की प्रतिमा को राजगुरु मठ के पीठाधीश्वर स्वामी अनंतानंद सरस्वती महाराज ने जल और भस्म से अभिषेक किया. साथ ही मंत्रोच्चार के साथ आरती की गई.

इस दौरान दंडी स्वामी अनंतानंद महाराज ने कहा कि दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती को अंग्रेजों के जमाने में किसानों ने सबसे बड़ा अन्नदाता और भगवान के स्वरुप में माना गया. उन्होंने किसान आंदोलन की अलख से देश के किसानों में जगाया. वे महान विभूतियों के सानिध्य में रहकर किसानों के लिए वकालत करते रहे.

उन्होंने कहा कि सन्यासी कभी पेट की चिता नहीं करता. जैसे एमबीबीएस, आइपीएस की डिग्री लेकर मनुष्यों को चीरफार और न्याय करने में माहिर होते हैं. उसी प्रकार एक संयासी लोगों को परमार्थ कराने के लिए सक्षम होते हैं. इसके अलावा स्वामी ने दुल्लहपुर रेलवे स्टेशन पर लगी प्रतिमा के पास भी स्वामी सहजानंद सरस्वती की पूजन अर्चन की और लोगों को प्रसाद वितरित किया.

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