गाजीपुर: गाजीपुर इस वक्त बाढ़ की मार झेल रहा है. भांवरकोल थाना क्षेत्र के सेमरा, शिवराय का पुरा और बच्छलपुरा गांव को गंगा अपनी आगोश में ले चुकी हैं. गंगा की उफनती धाराओं ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है. किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. पिछले एक सप्ताह से गंगा के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने गंगा की कटान से सेमरा गांव में हुई तबाही का जायजा लिया.
अस्त-व्यस्त हो चुका लोगों का जीवन
मोहम्मदाबाद और गाजीपुर मुख्य सड़क से सेमरा गांव को जोड़ने वाले दो मार्ग हैं. उसे गंगा की धारा ने तोड़ दिया है, जिससे मुख्यालय से गांव का संपर्क टूट गया है, आवागमन पूरी तरीके से अवरुद्ध हो चुका है, लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. किसानों की सैकड़ों बीघा फसल भी पानी में डूब चुकी है. लोगों तक बाढ़ राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. जिला प्रशासन का दावा और प्रदेश सरकार का फरमान है कि 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन हकीकत में जमीन पर तमाम दावे हवा हवाई नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है.
जानिए बाढ़ पीडितों ने क्या कहा
गांव में घुसते ही ईटीवी भारत की टीम को सबसे पहले सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमनाथ गुप्ता मिले. उन्होंने बताया कि बाढ़ से गांव के हालात बहुत खराब हैं. जिला प्रशासन के लोग अभी तक कोई मदद यहां नहीं पहुंचा पा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा था कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 12 घंटे में राहत सामग्री पहुंच जाएगी, लेकिन 40 घंटे गुजर चुके हैं और यहां कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है.
सेमरा के तटवर्ती इलाके में रहने वाले रमेश राय बताते हैं कि गंगा का ऐसा रूप देखने से मर जाना ज्यादा अच्छा था. जो सरकार हमने चुना वह निकम्मी निकली. उन्होंने बताया कि अभी तक कोई पूछने तक नहीं आया है. ऐलान हुआ था कि 12 घंटे में राहत सामग्री मिलेगी, लेकिन आज तक किसी का अता-पता नहीं है.
सुशील कुमार राय ने ईटीवी भारत की टीम को बाढ़ प्रभावित इलाकों को दिखाया. उन्होंने बताया कि 2013 के बाढ़ प्रभावित लोग आज भी मोहम्मदाबाद के प्राइमरी और मिडिल स्कूल में रह रहे हैं. बाढ़ में उनका घर बर्बाद हो गया. इस बार की बाढ़ में भी शत-प्रतिशत खेती बर्बाद हो चुकी है. उन्होंने बताया कि बाजरा, मिर्च, टमाटर सभी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, किसान बेहाल हैं. उन्होंने कहा कि अब साल भर के लिए सोचना है कि जीवन यापन कैसे होगा, क्योंकि पानी तो जनवरी तक उतरेगा, उससे पहले कोई फसल नहीं हो सकती.
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इस बार सेमरा गांव में कटान रोकने के लिए स्टोन पीचिंग का काम कुछ हद तक पूरा किया गया है, जिसकी वजह से गंगा का कटान कम हुआ है. तटवर्ती इलाकों से गंगा कटान करते हुए तेजी से गांव में प्रवेश कर रही हैं, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं. अब देखना यह है कि आने वाले सालों में क्या सेमरा गांव के किसान परिवारों को गंगा की कटान के दंश से छुटकारा मिल पाता है या नहीं.