गाजीपुर: धर्मनगरी काशी से लगभग 80 किलोमीटर दूर बसा शहर गाजीपुर, इसे लहुरी काशी के नाम से भी जाना जाता है. गाजीपुर को शहीदी और ऋषियों की धरती भी कहा जाता है. यहां वीर अब्दुल हमीद, कर्नल एमएन रॉय जैसे वीर सपूत है तो दूसरी तरफ प्राचीन काल से ही गाजीपुर ऋषि महर्षियों की तपोस्थली भी रहा है. ऋषि, महर्षि और संत गाजीपुर के वनों में अपनी कुटिया बनाकर तप किया करते थे.
काफी तपस्वी कर चुके हैं गाजीपुर में तपस्या
ऐसे ही कुछ तपस्वियों के नाम हैं जिनमें परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि, करंडा में कण्व ऋषि, नागा बाबा, मौनी बाबा, सिद्ध पीठ हथियाराम, पवहारी बाबा ,जहां खुद विवेकानंद योग की दीक्षा लेने आए थे. ऐसे ही सिद्ध संतों में शुमार मौनी बाबा को गंगा नदी पर चलने की सिद्धि प्राप्त थी, जिसकी कहानी गाजीपुर के छोटे बच्चे को भी पता है.
मौनी बाबा ने मां गंगा पर चलकर कराया था पार
मौनी बाबा से जुड़ी कहानी गाजीपुर मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर चौचकपुर जाकर पता लगी. इस जगह मोनी बाबा का मठ है, जहां के जगत ने चित-परिचित स्थानीय भाषा में मोनी बाबा से जुड़ी गंगा पर चलने की कहानी बताई. उन्होंने बताया कि एक बार यादव परिवार की बहू चंदौली से गंगा पार कर दही बेचने गाजीपुर आई. दही बेचने में काफी देर हो गई. रात होने की वजह से तट पर नाव भी नहीं मिली. अंधेरा बढ़ता जा रहा था, तब दही बेचने वाली महिला ने मौनी बाबा से गुहार लगाकर अपनी व्यथा बताई.
मौनी बाबा ने कहा कि मैं मां गंगा के पानी के ऊपर जैसे-जैसे चल रहा हूं तुम भी उसका अनुसरण करो. दही बेचने वाली महिला ने ऐसा ही किया और वह गंगा पार कर गई. लेकिन मौनी बाबा ने इस बात का जिक्र किसी से भी न करने की हिदायत दी. उन्होंने कहा कि अगर तुम ऐसा करोगी तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी.
सच्चाई बताने पर हो गई थी मौत
देर रात जब महिला घर पहुंची तो उसके पति ने बार-बार सच्चाई पूछी थी. आखिर में महिला ने बताया कि अगर मैने सच बताया तो मेरी मौत हो जाएगी. बावजूद इसके पति नहीं माना, तब महिला ने कहा कि मौनी बाबा के आश्रम पर चलकर ही सच बताऊंगी.
महिला ने मौनी बाबा के आश्रम पर जाकर सब कुछ सच बताया. महिला की मौके पर मौत हो गई. वह महिला दही बेचनी माई के नाम से प्रचलित है.
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मठ के महंत ने बताई बाबा ले जुड़ी कुछ बातें
मौनी बाबा गाजीपुर से 30 किलोमीटर दूर बसे करसाय गांव के रहने वाले थे. त्रयोदशी की तिथि पर उन्होंने मोनी बाबा घाट पर ही जिंदा समाधि ली थी. मौनी बाबा का मठ मां गंगा के पावन तट पर है जो गाजीपुर जिले में आता है. यह जगह बनारस से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. नदी के ठीक दूसरी तरफ चंदौली जिला है. चंदौली में एक मेड़वा गांव हुआ करता था, जहां से एक ग्वाल परिवार की बहू इस पार गाजीपुर दही बेचने आती थी. एक दिन काफी देर हो जाने की वजह से जब उनको कोई साधन नहीं मिला तब मौनी बाबा मां गंगा के ऊपर चलकर गंगा पार कराया. तब प्रख्यात हो गया कि इस जंगल में ऐसे तपस्वी हैं जो मां गंगा के ऊपर भी चल सकते हैं.