गाजीपुरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है सपना, गांव के हर व्यक्ति का घर हो अपना...विकास की तरफ अगला कदम, हर परिवार का हो अपना घर... ये सब नारे सुनने में तो बहुत लुभावने लगते हैं मगर हकीकत की जमीन पर इनका क्या हाल है यह बड़ा सवाल है. इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा गाजीपुर जिले के जगदीशपुर खास गांव. यहां इन सभी योजनाओं का रियल्टी टेस्ट किया तो चौंकाने वाली सच्चाई नजर आई.
गरीबों तक नहीं पहुंचा सरकारी योजनाओं लाभ
गाजीपुर जिले के जगदीशपुर खास गांव के दो परिवार की महिलाएं मिलीं जो झोपड़ी डालकर छोटे-छोटे मासूम बच्चों को लेकर गरीबी में जीवन यापन कर रही हैं. उन्होंने बताया कि उनको ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला, ना तो शौचालय योजना पहुंच पाई है. न ही उज्जवला गैस योजना का कनेक्शन मिल पाया है. इससे साफ होता है कि सरकारी योजनाओं को किस प्रकार से नीचे के अधिकारी और कर्मचारी पलीता लगा रहे हैं.
![जगदीशपुर खास गांव में गरीबों का हाल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-gha-01-poor-notget-any-government-scheme-pkg-up10119_25022021092514_2502f_1614225314_469.jpg)
3 बच्चों संग बिना दरवाजे की झोपड़ी में गुजर बसर
जगदीशपुर गांव की गरीब महिला दुर्गा देवी एक छोटी सी झोपड़ी में अपने 3 बच्चों को लेकर गुजर बसर कर रही हैं. उन्होंने बताया कि उनके पति मजदूरी करते हैं. उनको प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय योजना, उज्जवला गैस सहित किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है.
रीता देवी की पीड़ा सुन आपका भी पिघल जाएगा दिल
इसी जगदीशपुर खास गांव की एक और महिला हैं जिनका नाम है रीता देवी. इनकी कहानी दिल को रुला देने वाली है. यह अपने सात बच्चों को लेकर गुजर-बसर करती हैं. इन्हें न तो शौचालय मिला है ना ही आवास योजना का लाभ पहुंच पाया है. इनके अपने बेटे-बेटियों के अलावा इनकी और तीन पुत्रियां हैं जिनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है. सभी को यही पाल रही हैं. जब उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता को देखा तो फफक कर रो पड़ीं. उन्होंने कहा कि साहब हम इस झोपड़ी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं और हमें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. खाने तक की दिक्कत है. आधी रोटी खाती हूं, आधी बच्चों को खिलाती हूं. एक बार हमें भी योजनाओं का लाभ दिला दीजिए.
शासन को देना होगा ध्यान
जगदीशपुर खास गांव के लोगों की यह हालत बता रही है कि शासन को अभी सरकारी योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए बहुत प्रयास करने होंगे वरना योजनाएं कागजों पर चलती रहेंगी और न जाने ऐसी कितनी रीता देवी आंसू बहाती रहेंगी.