गाजीपुर : ओलंपिक में 40 साल के बाद कांस्य पदक मिलने के बाद अब हर कोई अपने हीरो का सम्मान करना चाहता है. इसी कड़ी में गुरूवार को हाकी टीम का हिस्सा रहे खिलाड़ी ललित उपाध्याय का उनकी कर्मभूमि गाजीपुर के करमपुर गांव में भव्य स्वागत किया गया.
यहां ललित उपाध्याय ने अपना पदक अपने गुरु स्व. तेज बहादुर सिंह को समर्पित किया. इस दौरान वह काफी भावुक हो गए. उन्होंने मीडिया के माध्यम से अपने गुरु स्व. तेज बहादुर सिंह को द्रोणाचार्य अवॉर्ड देने की सिफारिश भी की.
भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पदक विजेता ललित उपाध्याय का जनपद के करमपुर (सैदपुर) स्थित मेघवरण स्टेडियम में बुधवार को जोरदार स्वागत किया गया.
हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय ने टोक्यो ओलंपिक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. ललित वर्ष 2013 से 17 तक सैदपुर तहसील अंतर्गत मेघवरण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र रहे हैं.
इस दौरान ठाकुर तेज बहादुर सिंह के सान्निध्य में हॉकी खेलने का गुर सीखा. भारतीय पुरूष हॉकी टीम में टोक्यो ओलंपिक की हॉकी प्रतियोगिता का फाइनल मैच जीतकर देश को गौरवान्वित किया. इसमें जनपद के ललित उपाध्याय की अहम भूमिका रही. पिछले एक दशक से जनपद में खासकर हॉकी खेल को बढ़ावा देने का काम किया गया.
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इसके लिए विशेष तौर पर मेघवरण स्टेडियम की पहचान पूर्वांचल में सबसे अलग है. इसमें न केवल हॉकी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने का काम किया गया बल्कि उनको बेहतरीन ट्रेनिंग भी दी गई.
ओलंपिक के इतिहास में यह पहला मौका है कि जनपद का कोई खिलाड़ी इसमें शामिल हुआ. भारतीय टीम फाइनल मुकाबले तक न केवल पहुंची बल्कि बढ़िया प्रदर्शन की बदौलत पदक भी हासिल की.
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जनपद के लोगों में दिखा उत्साह
गुरुवार को भारतीय टीम के हॉकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय को जनपदवासियों ने हाथोहाथ लिया. सैदपुर में खुली गाड़ी पर कदम-कदम पर स्वागत किया गया.
वह इलाके के साथी खिलाड़ियों के साथ मेघवरण स्टेडियम पहुंचे जहां उनका फूलमालाओं से स्वागत किया गया. इस दौरान खिलाड़ियों से लेकर आम लोगों तक में ललित उपाध्याय के साथ सेल्फी खिंचवाने की होड़ मची रही.
स्वागत समारोह से पूर्व पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया था. ललित उपाध्याय ने ओलंपिक पदक अपने गुरुजनों को समर्पित किया. कहा कि करमपुर में 4 साल रहने के दौरान उन्हें उनके गुरूओं ने केवल खेल पर ध्यान देने को कहा था. आज हमने अपने गुरुजन का सपना सरकार किया है.