गाजीपुर: इस समय मेले का सीजन चल रहा है. चाहे वह बलिया का ददरी मेला हो, या बिहार के सोनपुर का मेला, गाजीपुर जिले के भी विभिन्न क्षेत्रों में मेले का माहौल है. इसमें हरे रंग में रंगे मटर धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. रंग में रंगे मटर को युवा और बच्चे बड़े ही चाव से खरीद कर खा रहे हैं, जो बड़ी बीमारियों को दावत देगा.
यह मटर उनकी जान के लिए कितना खतरनाक है यह उन्हें पता तक नहीं है. डॉक्टरों की मानें तो हरे रंग से रंगे मटर से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं और लीवर भी खराब हो सकता है. सोयाबीन में फंजीसाइड मिलाया जाता है. बुवाई के बाद पौधा बनने से पहले सोयाबीन के दाने पर नमी के चलते फंगस न लग जाए इसका ध्यान दिया जाता है.
सोयाबीन को हरे रंग बदल कर मटर कर रहे तैयार
- फंगीसाइड मिलाने के बाद सोयाबीन का रंग बदल जाता है. इस कारण सोयाबीन हरा या नीला रंग का हो जाता है.
- रंग से पता चलता है कि फंगीसाइड सभी दाने पर लग गया है जिस पर फंगीसाइड नहीं लगा होगा वह सोयाबीन हरे रंग का नहीं बनेगा.
- फंगीसाइड जहरीला होता है इसलिए किसान रंगे हुए सोयाबीन को जानवरों से दूर रखते हैं, लेकिन मेले में इसे बड़े ही धड़ल्ले से बेचा जा रहा है.
- चाइना से आने वाली मटर भी सेहत के लिए काफी हानिकारक है.
- जान लेने का मिक्स कोंबो बड़े ही प्यार से नमक मिर्च के साथ बेचा जा रहा है.