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फूलों के कारोबार के लिए भी काल बना कोरोना, गाजीपुर के किसान परेशान - flowers farmer are suffering problem

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में फूल की खेती करने वाले किसानों की दिक्कतें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. लॉकडाउन के खुलने के बाद भी उनके फूलों की बिक्री नहीं हुई है.

flowers farmers are facing problem
किसान परेशान
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Published : Jun 28, 2020, 2:33 PM IST

Updated : Jun 30, 2020, 11:40 AM IST

गाजीपुर: जिले में जहां सब्जी के किसान बेहाल हैं तो वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती से जुड़े किसान भी कम परेशान नहीं हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद सब्जी के किसानों की परेशानी थोड़ी कम हुई है. लेकिन फूल के किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. फूल के किसानों की नैया अब भगवान भरोसे है.

फूलों की बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

किसानों की खेती पर लगा कोरोना का ग्रहण
सरकार ने वैवाहिक समारोहों में कोरोना से बचाव के लिए लोगों की संख्या सुनिश्चित कर दी है. लोग भी सरकारी निर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं. इन सबके बीच लॉकडाउन खुलने के बाद भी गाड़ियों की सजावट, मंडप, जयमाल, स्टेज की भव्यता भी अब फीकी पड़ चुकी है. ऐसे में आने वाले दिनों में भी फूल की खेती से जुड़े किसानों के लिए फूल की खेती करना संभव नहीं लग रहा.

नहीं हो रही फूलों की बिक्री
लॉकडाउन के दौरान और अब भी फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. फूलों की खपत नहीं होने से फूल सड़ रहे हैं. मजबूरन फूलों को कचरे में फेंकना पड़ रहा है. जिले में गुलाब, गेंदा, बेला, ग्लेडिओलस जरबेरा और अलग-अलग प्रकार के फूल उगाने वाले किसानों के लिए अभी कोई मदद नहीं दी गई है. फूलों से जुड़े किसानों की माने तो कंट्रोल से राशन मिला है. परिवार का पेट किसी तरह पल रहा है. लॉकडाउन में तो फूलों का खिलना, मुरझाना और मुरझाकर टूटकर बिखरना ही उनका नसीब था, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद भी फूलों के खरीदार नजर नहीं आ रहे हैं.

खेत में सड़ जा रहे किसानों के उगाए फूल
जिले में फूल की खेती से जुड़े किसान अपनी दुकान पर फूलों को बेचते हैं. सीजन में किसान पांच से छह लाख का मुनाफा कमा लेते थे. लेकिन कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया. किसानों की माने तो उन्होंने लाखों की लागत से बेला, गुलाब, चमेली के फूल लगाए, ताकि लग्न के सीजन में गाड़ियां सजेंगी, मंडप और स्टेज भी सजाए जाएंगे, लेकिन कोरोना का असर अनलॉक में भी नजर आ रहा है. फूलों की साज-सज्जा और खेती से जुड़े लोग लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद भी परेशान हैं. इनकी परेशानी कब तक चलेगी यह भी भगवान ही जानें.

आमदनी न होने से किसान परेशान
फूल की खेती से जुड़े किसान लौटू बिंद बताते हैं कि कोरोना के चलते फूल की खेती में 3 लाख का घाटा गया. विवाह में 4 हजार से 7 हजार आर्डर मिलते थे, लेकिन अब कुछ नहीं मिल रहा है. लगन का सीजन भी खत्म हो गया है. सरकारी मदद के नाम पर चावल मिला, जिसको खाकर जी रहे हैं. सबकी फूल की खेती मार खा गई है. लॉकडाउन में तो फूल सड़ा ही, लेकिन अब भी सड़ रहा है. खराब फूल को पोखरी किनारे फेंक दिया जाता है.

सोनी देवी बताती हैं कि फूल खराब हो गए, जिसके कारण बहुत नुकसान हुआ है. शादी के सीजन में 20 से 25 लगन का सट्टा मिला था, लेकिन सब कट गया. अब पूजा के लिए 10-5 के फूल बेचकर गुजारा चल रहा है.

रवि बताते हैं लगन कैंसिल हुई, जिसके कारण फूल खराब हो गया और उन्हें फेंकना पड़ा हैं. उनका कहना है कि ग्राहक न होने से दिन भर में क्या बिकेगा. उनका कहना है कि पूजा-पाठ के लिए लोग कितना फूल ले जाएंगे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनकी आमदनी काफी प्रभावित हुई.

जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया अब तक उनके पास फूल की खेती करने वाले 150 से 200 रजिस्टर्ड किसान हैं, जो भी बिना तरीके के फूलों की खेती करते हैं. यहां ज्यादातर गेंदा, रजनीगंधा, गुलाब की खेती होती है. कई किसान अनरजिस्टर्ड हैं जो खुद फूल की खेती कर बाजार में फूलों की बिक्री करते हैं. जिले में ऐसे अनरजिस्टर्ड फूल के खेती से जुड़े किसानों की संख्या 500 से 1000 तक है क्योंकि 16 ब्लॉक वाला गाजीपुर बड़ा जिला है. फूल के किसानों को सरकारी मदद के सवाल पर उन्होंने बताया कि जिनके फूल बाजार में नहीं बिक रहे हैं, उनसे जुड़ा अब तक शासन प्रशासन ने कोई निर्देश नहीं दिया है.

गाजीपुर: जिले में जहां सब्जी के किसान बेहाल हैं तो वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती से जुड़े किसान भी कम परेशान नहीं हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद सब्जी के किसानों की परेशानी थोड़ी कम हुई है. लेकिन फूल के किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. फूल के किसानों की नैया अब भगवान भरोसे है.

फूलों की बिक्री नहीं होने से किसान परेशान

किसानों की खेती पर लगा कोरोना का ग्रहण
सरकार ने वैवाहिक समारोहों में कोरोना से बचाव के लिए लोगों की संख्या सुनिश्चित कर दी है. लोग भी सरकारी निर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं. इन सबके बीच लॉकडाउन खुलने के बाद भी गाड़ियों की सजावट, मंडप, जयमाल, स्टेज की भव्यता भी अब फीकी पड़ चुकी है. ऐसे में आने वाले दिनों में भी फूल की खेती से जुड़े किसानों के लिए फूल की खेती करना संभव नहीं लग रहा.

नहीं हो रही फूलों की बिक्री
लॉकडाउन के दौरान और अब भी फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. फूलों की खपत नहीं होने से फूल सड़ रहे हैं. मजबूरन फूलों को कचरे में फेंकना पड़ रहा है. जिले में गुलाब, गेंदा, बेला, ग्लेडिओलस जरबेरा और अलग-अलग प्रकार के फूल उगाने वाले किसानों के लिए अभी कोई मदद नहीं दी गई है. फूलों से जुड़े किसानों की माने तो कंट्रोल से राशन मिला है. परिवार का पेट किसी तरह पल रहा है. लॉकडाउन में तो फूलों का खिलना, मुरझाना और मुरझाकर टूटकर बिखरना ही उनका नसीब था, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद भी फूलों के खरीदार नजर नहीं आ रहे हैं.

खेत में सड़ जा रहे किसानों के उगाए फूल
जिले में फूल की खेती से जुड़े किसान अपनी दुकान पर फूलों को बेचते हैं. सीजन में किसान पांच से छह लाख का मुनाफा कमा लेते थे. लेकिन कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया. किसानों की माने तो उन्होंने लाखों की लागत से बेला, गुलाब, चमेली के फूल लगाए, ताकि लग्न के सीजन में गाड़ियां सजेंगी, मंडप और स्टेज भी सजाए जाएंगे, लेकिन कोरोना का असर अनलॉक में भी नजर आ रहा है. फूलों की साज-सज्जा और खेती से जुड़े लोग लॉकडाउन के अनलॉक होने के बाद भी परेशान हैं. इनकी परेशानी कब तक चलेगी यह भी भगवान ही जानें.

आमदनी न होने से किसान परेशान
फूल की खेती से जुड़े किसान लौटू बिंद बताते हैं कि कोरोना के चलते फूल की खेती में 3 लाख का घाटा गया. विवाह में 4 हजार से 7 हजार आर्डर मिलते थे, लेकिन अब कुछ नहीं मिल रहा है. लगन का सीजन भी खत्म हो गया है. सरकारी मदद के नाम पर चावल मिला, जिसको खाकर जी रहे हैं. सबकी फूल की खेती मार खा गई है. लॉकडाउन में तो फूल सड़ा ही, लेकिन अब भी सड़ रहा है. खराब फूल को पोखरी किनारे फेंक दिया जाता है.

सोनी देवी बताती हैं कि फूल खराब हो गए, जिसके कारण बहुत नुकसान हुआ है. शादी के सीजन में 20 से 25 लगन का सट्टा मिला था, लेकिन सब कट गया. अब पूजा के लिए 10-5 के फूल बेचकर गुजारा चल रहा है.

रवि बताते हैं लगन कैंसिल हुई, जिसके कारण फूल खराब हो गया और उन्हें फेंकना पड़ा हैं. उनका कहना है कि ग्राहक न होने से दिन भर में क्या बिकेगा. उनका कहना है कि पूजा-पाठ के लिए लोग कितना फूल ले जाएंगे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनकी आमदनी काफी प्रभावित हुई.

जिला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया अब तक उनके पास फूल की खेती करने वाले 150 से 200 रजिस्टर्ड किसान हैं, जो भी बिना तरीके के फूलों की खेती करते हैं. यहां ज्यादातर गेंदा, रजनीगंधा, गुलाब की खेती होती है. कई किसान अनरजिस्टर्ड हैं जो खुद फूल की खेती कर बाजार में फूलों की बिक्री करते हैं. जिले में ऐसे अनरजिस्टर्ड फूल के खेती से जुड़े किसानों की संख्या 500 से 1000 तक है क्योंकि 16 ब्लॉक वाला गाजीपुर बड़ा जिला है. फूल के किसानों को सरकारी मदद के सवाल पर उन्होंने बताया कि जिनके फूल बाजार में नहीं बिक रहे हैं, उनसे जुड़ा अब तक शासन प्रशासन ने कोई निर्देश नहीं दिया है.

Last Updated : Jun 30, 2020, 11:40 AM IST
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