- स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिर पर उठाकर ले जा रहीं राशन, नहीं मिल रही मजदूरी
- 397 किलो की रिसिविंग लेकर 350 किलो ही दी गयी दाल
- बिना रिफाइंड तेल दिए विभाग ने 383 पैकेट रिफाइंड तेल की ले ली रिसीविंग
गाजीपुर : उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं को खासकर ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वावलंबी बनाने की योजना चला रही है. इसके तहत आने वाले कार्यक्रम इन समूहों के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में संचालित किए जा रहे हैं. हालांकि आज भी योजना को संपादित करने वाले विभाग किस कदर योजनाओं की पलीता लगा रहे हैं, इसकी बानगी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में देखने के मिलती है. यहां कुपोषित एवं गर्भवती माताओं के लिए बटने वाले सूखा राशन वितरण के लिए 582 स्वयं सहायता समूह को लगाया गया है. विभाग द्वारा आवंटित सूखा राशन पावती में राशन की पूरी रिसीविंग ली जा रही है. आरोप है कि प्रति समूह करीब 40 से 50 किलो की कटौती कर राशन दिया जा रहा है.
यहां स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सूखा राशन को खुद अपने सिर पर उठाकर ले जाते हुए दिखी जा सकती हैं. इसका एक कारण यह भी है कि 4 महीने से परियोजना कार्यालय से आंगनबाड़ी केंद्र तक राशन पहुंचाने की मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में वह स्वयं मेहनत कर राशन आंगनबाड़ी तक ले जा रहीं हैं.
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जब इस परियोजना के दफ्तर पर ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो जय भीम स्वयं सहायता समूह सुल्तानपुर की महिला सदस्य प्रमिला ने आरोप लगाया कि उनके समूह को विभाग ने 397 किलो चने के दाल की जगह केवल 350 किलो का ही आवंटन किया है. 47 किलो चने की दाल विभाग द्वारा रख लिया गया है. बताया कि विभाग 383 पैकेट रिफाइंड तेल की रिसिविंग उनसे ली गयी है जबकि उन्हें एक पैकेट भी रिफाइन तेल नहीं दिया गया है.
जब इस बाबत सीडीपीओ शायरा परवीन से पूछा गया तो उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया. तत्काल स्वयं सहायता समूह के अधिकारियों को बुलाकर घंटो तू-तू मैं-मैं करती रहीं. यहां तक की स्वयं सहायता समूह की प्रमिला और रमेश को भी बुलाया गया. पूछताछ हुई. पूछताछ में प्रमिला और रमेश ने बताया कि उन्हें 47 किलो चने की दाल कम दी गयी है. सीडीपीओ से दोबारा पूछने पर उन्होंने चना दाल के आवंटन के संबंध में संतोषजनक जवाब नहीं दिया. वहीं, रिफाइंड तेल के मामले में कहा कि पावती की रसीद पुरानी है. इस बार रिफाइंड तेल का आवंटन ही नहीं हुआ.
वहीं, जब इस बाबत जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे से पूछा गया तो वह भी टालमटोल करते नजर आए. हालांकि उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही. कहा कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में जब जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने तत्काल परियोजना अधिकारी को फोन कर इस बात की जानकारी ली. कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की मजदूरी सीधे उनके खाते में लखनऊ से भेजी जाएगी. यदि खाते में पैसा पहुंचने में देरी होती है तो इसे प्रयास कर जल्द से जल्द उनके खाते में भिजवाने का प्रयास किया जाएगा.