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49 अंत्येष्टि स्थलों में से 9 का मिटा अस्तित्व, कई का नहीं होता इस्तेमाल - जिला पंचायत राज अधिकारी रमेश कुमार उपाध्याय

गंगा में शवों के मिलने के बाद ईटीवी भारत ने गाजीपुर स्थित कई शवदाह गृहों का जायजा लिया. पाया गया कि ज्यादातर शवदाह गृहों पर अव्यवस्थाएं हैं. यहां कई शवदाह गृहों के निर्माण के बाद भी अभी तक उनमें एक भी बार अंतिम संस्कार नहीं किया गया. वहीं डीपीआरओ ने जो सच्चाई बतायी वो हकीकत से कोसों दूर नजर आ रही है.

शवदाह स्थलों पर अव्यवस्थाएं.
शवदाह स्थलों पर अव्यवस्थाएं.
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Published : May 23, 2021, 12:33 PM IST

Updated : May 23, 2021, 8:25 PM IST

गाजीपुर: गंगा तटीय गांवों में शवदाह गृह निर्माण की योजना को सरकार ने हरी झंडी दी थी. योजना को अमल में लाते हुए तमाम शवदाह गृहों का निर्माण कराया गया. आम दिन में तो सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन कोरोना वायरस से हुई मौतों ने शवदाह गृहों को लेकर बनायी गई योजना और उसकी हकीकत की पोल खोल दी. गंगा में शवों के उतराने की तस्वीरें सामने आने पर शासन से लेकर प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया. 10-20 नहीं, बल्कि सैकड़ों की संख्या में मिले शवों के बाद जांच पड़ताल शुरू हुई. लिहाजा सरकार ने गंगा को अविरल निर्मल बनाए रखने के लिए शवदाह गृहों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और अन्य सामाग्री की व्यवस्था करने के आदेश दिए. फिर भी बदहाल सूरत पर ज्यादा बदलाव नजर नहीं आया. और आया भी तो कितना?. इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम गंगा किनारे बनाए गए शवदाह गृहों पर पहुंची.

शवदाह स्थलों से ग्राउंड रिपोर्ट.


पटकनिया और गरुआ मकसूदपुर अंत्येष्टि स्थल का रियलिटी टेस्ट

गाजीपुर के ग्रामीण इलाकों में पंचायतीराज विभाग ने साल 2013 से अब तक 49 अंत्येष्टि स्थल बनाए हैं, जिसमें से 9 अस्तित्व में नहीं हैं. हालांकि 40 अंत्येष्टि स्थल क्रियाशील हैं. यानी विभाग के मुताबिक 40 अंत्येष्टि स्थलों पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. प्रशासन के दावों में कितनी सच्चाई है, इसका रियलिटी टेस्ट किया गया. टीम ने सुहवल थाना क्षेत्र स्थित पटकनिया और गरुआ मकसूदपुर गांव के अंत्येष्टि स्थल का जायजा लिया. जहां से चौंकाने वाली हकीकत सामने आई. पटनिया शवदाह स्थल पर बीते 10 दिन में महज 2 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इससे पहले यहां पर अव्यवस्थाओं की भरमार थी. वहीं गरुआ मकसूदपुर अंत्येष्टि स्थल पर साल 2014-15 के बाद अभी तक एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इस अंत्येष्टि स्थल को किसान और ग्रामीण आरामगाह के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

शवदाह स्थल पर 10 क्विंटल लकड़ी और एक सफाईकर्मी तैनात

पटकनिया गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर गंगा किनारे शवदाह स्थल बना हुआ है. यहां पर सरकार के आदेश पर प्रशासन ने करीब 10 क्विंटल लकड़ी और एक सफाईकर्मी की तैनाती कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस शवदाह स्थल पर कभी भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि कोविड-19 से हुई मौतों और गंगा में शवों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो जिला प्रशासन जागा और सफाईकर्मी की तैनाती कर यहां साफ-सफाई कराई गई.

श्मशान घाट को ग्रामीणों ने बनाया अपना आरामगाह

सुहवल थाना क्षेत्र के गरुआ मकसूदपुर गांव के श्मशान पर साल 2014- 15 में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और जिला पंचायतीराज विभाग ने अंत्येष्टि स्थल का निर्माण करवाया. इस श्मशान स्थल पर दो प्लेटफार्म, लकड़ी रखने का स्थान, कार्यालय और शौचालय की व्यवस्था की गई, लेकिन यहां शवों की जगह किसानों की खेती और गृहस्थी आदि का सामान भरा हुआ है. इतना ही नहीं श्मशान स्थल पर लगे पाइप और टीन शेड को ग्रामीण उठाकर अपने निजी इस्तेमाल में ला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की आवश्यकता: योगी

ग्राम प्रधान और सचिव पर दर्ज हुआ है मुकदमा

जिला पंचायतीराज अधिकारी रमेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि जिले में कुल 49 अंत्येष्टि स्थल जिला पंचायतीराज विभाग ने बनाए हैं, जिसमें से 9 अंत्येष्टि स्थल अस्तित्व में नहीं हैं. हालांकि इसके लिए धन अवमुक्त कर दिया गया, लेकिन निर्माण नहीं कराया गया. इस संबंध में 3 ग्राम प्रधान और सचिवों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. शेष अंत्येष्टि स्थल कार्यरत हैं. यहां पर शासन के आदेश पर लकड़ी, देशी घी और अन्य सामान उपलब्ध करा दिया गया है. असहाय लोगों की मदद के लिए एक-एक कर्मचारी भी तैनात किया गया है.

गाजीपुर: गंगा तटीय गांवों में शवदाह गृह निर्माण की योजना को सरकार ने हरी झंडी दी थी. योजना को अमल में लाते हुए तमाम शवदाह गृहों का निर्माण कराया गया. आम दिन में तो सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन कोरोना वायरस से हुई मौतों ने शवदाह गृहों को लेकर बनायी गई योजना और उसकी हकीकत की पोल खोल दी. गंगा में शवों के उतराने की तस्वीरें सामने आने पर शासन से लेकर प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया. 10-20 नहीं, बल्कि सैकड़ों की संख्या में मिले शवों के बाद जांच पड़ताल शुरू हुई. लिहाजा सरकार ने गंगा को अविरल निर्मल बनाए रखने के लिए शवदाह गृहों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और अन्य सामाग्री की व्यवस्था करने के आदेश दिए. फिर भी बदहाल सूरत पर ज्यादा बदलाव नजर नहीं आया. और आया भी तो कितना?. इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम गंगा किनारे बनाए गए शवदाह गृहों पर पहुंची.

शवदाह स्थलों से ग्राउंड रिपोर्ट.


पटकनिया और गरुआ मकसूदपुर अंत्येष्टि स्थल का रियलिटी टेस्ट

गाजीपुर के ग्रामीण इलाकों में पंचायतीराज विभाग ने साल 2013 से अब तक 49 अंत्येष्टि स्थल बनाए हैं, जिसमें से 9 अस्तित्व में नहीं हैं. हालांकि 40 अंत्येष्टि स्थल क्रियाशील हैं. यानी विभाग के मुताबिक 40 अंत्येष्टि स्थलों पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. प्रशासन के दावों में कितनी सच्चाई है, इसका रियलिटी टेस्ट किया गया. टीम ने सुहवल थाना क्षेत्र स्थित पटकनिया और गरुआ मकसूदपुर गांव के अंत्येष्टि स्थल का जायजा लिया. जहां से चौंकाने वाली हकीकत सामने आई. पटनिया शवदाह स्थल पर बीते 10 दिन में महज 2 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. इससे पहले यहां पर अव्यवस्थाओं की भरमार थी. वहीं गरुआ मकसूदपुर अंत्येष्टि स्थल पर साल 2014-15 के बाद अभी तक एक भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. इस अंत्येष्टि स्थल को किसान और ग्रामीण आरामगाह के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

शवदाह स्थल पर 10 क्विंटल लकड़ी और एक सफाईकर्मी तैनात

पटकनिया गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर गंगा किनारे शवदाह स्थल बना हुआ है. यहां पर सरकार के आदेश पर प्रशासन ने करीब 10 क्विंटल लकड़ी और एक सफाईकर्मी की तैनाती कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस शवदाह स्थल पर कभी भी शव का अंतिम संस्कार नहीं किया गया. ग्रामीणों ने बताया कि कोविड-19 से हुई मौतों और गंगा में शवों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ तो जिला प्रशासन जागा और सफाईकर्मी की तैनाती कर यहां साफ-सफाई कराई गई.

श्मशान घाट को ग्रामीणों ने बनाया अपना आरामगाह

सुहवल थाना क्षेत्र के गरुआ मकसूदपुर गांव के श्मशान पर साल 2014- 15 में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और जिला पंचायतीराज विभाग ने अंत्येष्टि स्थल का निर्माण करवाया. इस श्मशान स्थल पर दो प्लेटफार्म, लकड़ी रखने का स्थान, कार्यालय और शौचालय की व्यवस्था की गई, लेकिन यहां शवों की जगह किसानों की खेती और गृहस्थी आदि का सामान भरा हुआ है. इतना ही नहीं श्मशान स्थल पर लगे पाइप और टीन शेड को ग्रामीण उठाकर अपने निजी इस्तेमाल में ला रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की आवश्यकता: योगी

ग्राम प्रधान और सचिव पर दर्ज हुआ है मुकदमा

जिला पंचायतीराज अधिकारी रमेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि जिले में कुल 49 अंत्येष्टि स्थल जिला पंचायतीराज विभाग ने बनाए हैं, जिसमें से 9 अंत्येष्टि स्थल अस्तित्व में नहीं हैं. हालांकि इसके लिए धन अवमुक्त कर दिया गया, लेकिन निर्माण नहीं कराया गया. इस संबंध में 3 ग्राम प्रधान और सचिवों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. शेष अंत्येष्टि स्थल कार्यरत हैं. यहां पर शासन के आदेश पर लकड़ी, देशी घी और अन्य सामान उपलब्ध करा दिया गया है. असहाय लोगों की मदद के लिए एक-एक कर्मचारी भी तैनात किया गया है.

Last Updated : May 23, 2021, 8:25 PM IST
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