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गाजीपुर बॉर्डर के बाद अब यहां भी किसानों का धरना शुरू, जानिये क्या है मामला

एक तरफ गाजीपुर बॉर्डर समेत दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है, तो वहीं दूसरी तरफ किसान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं. भारी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी धरने में शामिल हैं. किसानों ने दफ्तर के बाहर टेंट लगाना भी शुरू कर दिया है.

किसानों का आंदोलन
किसानों का आंदोलन
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Published : Sep 7, 2021, 6:02 AM IST

गाजियाबाद: किसानों ने प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर की सड़क को भी जाम कर रखा है. सड़क पर किसानों के ट्रैक्टरों की लंबी कतार नजर आ रही है. किसानों के धरने के चलते ट्रैफिक पुलिस द्वारा रूट डायवर्ट किया गया है.

गाजियाबाद प्राधिकरण के बाहर धरना

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे किसान और महिलाओं ने कहा कि जब तक प्राधिकरण उनकी मांग पूरी नहीं करता है, तब तक धरना जारी रहेगा. धरने में मौजूद महिलाओं का कहना था कि आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. राशन आदि का सामान भी साथ लेकर आए हैं. जीडीए के बाहर ही चूल्हा जलाएंगे और खाना पकाएंगे. प्राधिकरण द्वारा जब मांग पूरी कर दी जाएगी, तब धरना समाप्त कर घर लौटेंगे.

धरने में मौजूद ट्रैक्टरों पर भारतीय किसान यूनियन के झंडे भी लगे नजर आए. किसानों का समर्थन करने के लिए विपक्षी पार्टियों के नेता भी धरने में पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजय पाल प्रमुख और अरुण चौधरी भुल्लर ने कहा कि हम किसानों की लड़ाई में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं.

दरअसल, गाजियाबाद में मधुबन बापूधाम आवासीय योजना को बसाने के लिए साल 2004 में किसानों की भूमि अधिग्रहण की गई थी. इसमें सदरपुर गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. जिसको लेकर 2007 में किसानों और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के बीच समझौता हुआ था, तब किसानों को 1100 वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया गया था, लेकिन यह बात भी हुई थी कि भविष्य में मुआवजा बढ़ता है, तो बढ़े हुए मुआवजे के हिसाब से ही किसानों को भुगतान किया जाएगा. किसानों का आरोप है कि लड़ाई लड़ते आ रहे हैं और बढ़ा हुआ मुआवज़ा नहीं मिला है.

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गाजियाबाद प्राधिकरण के बाहर धरना

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठे किसान और महिलाओं ने कहा कि जब तक प्राधिकरण उनकी मांग पूरी नहीं करता है, तब तक धरना जारी रहेगा. धरने में मौजूद महिलाओं का कहना था कि आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. राशन आदि का सामान भी साथ लेकर आए हैं. जीडीए के बाहर ही चूल्हा जलाएंगे और खाना पकाएंगे. प्राधिकरण द्वारा जब मांग पूरी कर दी जाएगी, तब धरना समाप्त कर घर लौटेंगे.

धरने में मौजूद ट्रैक्टरों पर भारतीय किसान यूनियन के झंडे भी लगे नजर आए. किसानों का समर्थन करने के लिए विपक्षी पार्टियों के नेता भी धरने में पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय लोक दल के नेता अजय पाल प्रमुख और अरुण चौधरी भुल्लर ने कहा कि हम किसानों की लड़ाई में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं.

दरअसल, गाजियाबाद में मधुबन बापूधाम आवासीय योजना को बसाने के लिए साल 2004 में किसानों की भूमि अधिग्रहण की गई थी. इसमें सदरपुर गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. जिसको लेकर 2007 में किसानों और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के बीच समझौता हुआ था, तब किसानों को 1100 वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया गया था, लेकिन यह बात भी हुई थी कि भविष्य में मुआवजा बढ़ता है, तो बढ़े हुए मुआवजे के हिसाब से ही किसानों को भुगतान किया जाएगा. किसानों का आरोप है कि लड़ाई लड़ते आ रहे हैं और बढ़ा हुआ मुआवज़ा नहीं मिला है.

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