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राकेश टिकैत बोले- अपनी पगड़ी के साथ फसल और नस्ल बचानी है, वरना आने वाली पीढ़ियां नहीं करेंगी माफ

राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कृषि कानून किसान और कृषि के हक में नहीं हैं. यह कानून पूरी तरह से देश को विदेशी हाथों में सौंपने को तैयारी है. उन्होंने कहा कि सरकार से बिलों की वापसी की उम्मीद करना ,तो दूर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया. इसलिए अब सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़नी होगी.

राकेश टिकैत
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Published : Sep 4, 2021, 10:40 PM IST

गाजियाबाद: कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठन बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इसे भाजपा की सरकार ना कहकर मोदी सरकार कहा जाए, तो बेहतर होगा.

उन्होंने कहा कि कृषि कानून पूरी तरह से भारत के किसान और कृषि के हक में नहीं हैं. यह कानून देश को विदेशी हाथों में सौंपने की तैयारी है. पहले एक ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई थी, उसने देश को गुलाम बना लिया था और अब तो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी दिशाओं से अनगिनत कंपनियां देश को निगलने के लिये जाल फैला चुकी हैं. टिकैत ने कहा कि अपनी पगड़ी के साथ फसल और नस्ल बचानी है, वरना आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी.

राजनीतिक हुआ किसान आंदोलन, विधानसभा चुनावों पर नहीं पड़ेगा कोई असर : वीरेंद्र सिंह मस्त

उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पिछले नौ महीने से दिल्ली के चारों तरफ बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक शहीद हुए किसानों के बारे में भी कोई शोक संदेश नहीं भेजा है. इस मुद्दे पर सरकार कुछ कदम उठायेगी, ऐसी उम्मीद भी अब खत्म होती नजर आ रही है. सरकार से बिलों की वापसी की उम्मीद करना, तो दूर की बात है. इन्होंने तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया. इसलिए अब सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़नी होगी.

मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को रचेंगे इतिहास: टिकैत

टिकैत ने कहा कि पांच सिंतबर को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के GIC मैदान में राष्ट्रीय किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें करीब 600 संगठनों के अलावा 350 खापों के मुखिया और किसान शिरकत करेंगे. इस महापंचायत में बड़ा फैसला होगा.

गाजियाबाद: कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठन बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इसे भाजपा की सरकार ना कहकर मोदी सरकार कहा जाए, तो बेहतर होगा.

उन्होंने कहा कि कृषि कानून पूरी तरह से भारत के किसान और कृषि के हक में नहीं हैं. यह कानून देश को विदेशी हाथों में सौंपने की तैयारी है. पहले एक ईस्ट इंडिया कंपनी भारत आई थी, उसने देश को गुलाम बना लिया था और अब तो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ सभी दिशाओं से अनगिनत कंपनियां देश को निगलने के लिये जाल फैला चुकी हैं. टिकैत ने कहा कि अपनी पगड़ी के साथ फसल और नस्ल बचानी है, वरना आने वाली पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी.

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उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पिछले नौ महीने से दिल्ली के चारों तरफ बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक शहीद हुए किसानों के बारे में भी कोई शोक संदेश नहीं भेजा है. इस मुद्दे पर सरकार कुछ कदम उठायेगी, ऐसी उम्मीद भी अब खत्म होती नजर आ रही है. सरकार से बिलों की वापसी की उम्मीद करना, तो दूर की बात है. इन्होंने तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया. इसलिए अब सत्ता परिवर्तन की लड़ाई लड़नी होगी.

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टिकैत ने कहा कि पांच सिंतबर को उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर के GIC मैदान में राष्ट्रीय किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें करीब 600 संगठनों के अलावा 350 खापों के मुखिया और किसान शिरकत करेंगे. इस महापंचायत में बड़ा फैसला होगा.

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