नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद जिला मुख्यालय में जहां एक तरफ आज तमाम अधिकारी और कर्मचारी लाइट, पंखे और एसी में काम कर रहे थे तो वहीं जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे अपने कार्यालय में लाइट, एसी और पंखे बंद करके बैठे थे. लाइट पंखे और ऐसी किसी तकनीकी कारण से बंद नहीं थे, बल्कि जिलाधिकारी ने स्वयं एसी और पंखे बंद कराए थे.
जिलाधिकारी ने तमाम सरकारी कार्यालयों में बिजली की बर्बादी को रोकने के लिए एक अभियान चला रखा है. जिलाधिकारी द्वारा सरकारी कार्यालयों का आए-दिन औचक निरीक्षण किया जा रहा है और औचक निरीक्षण का एजेंडा बिजली की बर्बादी को रोकना है.
गुरुवार सुबह जिलाधिकारी ने जिला मुख्यालय का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण में कई अधिकारियों के कमरे में उनकी अनुपस्थिति में लाइट-पंखे बिजली जलती हुई पाई गई. वहीं जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने अपने हाथों से बिजली व पंखे बंद किए. पूरी कलेक्ट्रेट का निरीक्षण करने के बाद जब वह अपने कार्यालय में पहुंचे तो वहां की लाइट और पंखे चलते हुए मिले. जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया तो संबंधित कर्मचारी द्वारा बताया गया कि अभी 15 मिनट पहले ही बिजली, पंखे और एसी को ऑन किया गया है.
एक घंटे गर्मी में किया कार्य
अपने कक्ष में अपने ही आदेश का उल्लंघन का प्रायश्चित करते हुए जिलाधिकारी ने निर्णय लिया कि उनके आने के पहले जितनी देर तक एसी, पंखे और बिजली चल रहे थे. वह उतनी देर तक एसी, पंखे और बिजली बंद करके कार्य करेंगे. जिलाधिकारी ने अपने कार्यालय में करीब एक घंटे गर्मी में कार्य किया. बता दें कि इससे पहले जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने जिला मुख्यालय में पानी की बर्बादी को लेकर स्वयं अपने ऊपर 1000 रुपये का अर्थदंड लगाया था.